'सरकार' जब फंड नहीं था तो लावारिस ही रहने देते गौमाता
भोपाल, प्रदेश में एक हजार सरकारी गौशालाएं बन चुकी हैं और दो हजार से ज्यादा नई गौशालाएं बनाने की घोषणा बजट में सरकार कर चुकी है। भोपाल में 12 गौशालाएं बनकर तैयार हैं और इनमें से हरेक पर 25 से 27 लाख रुपए खर्च हुए हैं। 30 गौशालाएं और बनना है। लेकिन, ये सब सिर्फ सरकारी आंकड़े हैं। गौशालाओं की दुर्दशा वो तस्वीर अभी भी रिकॉर्ड से गायब है, जो डरावनी है। दरअसल, भोपाल में अभी 21 अशासकीय और 12 सरकारी गौशालाएं संचालित हो रही हैं। इनमें 6500 गाय हैं। इन्हीं में से बीते एक साल में 650 गायों की मौत हो चुकी है। इनकी मौत की वजह गौशालाओं में साफ-सफाई न होना, बीमार और स्वस्थ गायों को एक ही शेड में रखना है। न तो अफसर यहां नियमित दौरा करते हैं और न ही गायों को अच्छा चारा-भूसा दिया जा रहा।
बजट चाहिए 150 करोड़
पिछले दिनों पशुपालन विभाग ने सरकार से गौशालाओं के संचालन के लिए 150 करोड़ रुपए मांगे थे, लेकिन वित्त विभाग ने सिर्फ 11 करोड़ 80 लाख रुपए ही दिए।
नौ महीने से कुछ नहीं मिला
ज्यादातर गौशालाओं में चारा-भूसा नहीं है, यदि है तो घटिया क्वालिटी का, क्योंकि यहां देखरेख कर रहीं समितियों को प्रशासन से 9 महीने से फंड नहीं मिला। कुछ में दो दिन का ही भूसा है। कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल रहा। नगर निगम ने कहा था कि हाट बाजार व मंडियों से निकला हरा चारा भेजेंगे, लेकिन वो साल में एक या दो बार ही पहुंचा। गौ-संवर्धन बोर्ड हर तीन महीने में प्रति गौवंश/दिन 20 रुपए समितियों को देता है।
-अनदेखी से न पीने का पानी और न चारा, 1 साल में 650 की मौत
-भोपाल में अभी 12 गौशालाएं बनकर तैयार हैं और 30 नई बनेंगी
-33 गौशालाओं में किसी की छत टूट रही तो कहीं दो दिन का भूसा
भोपाल की निजी गौशालाओं को मिला बजट
वर्ष बजट रुपए में
2017-18 10384073
2018-19 5233375
2019-20 10000056
2020-21 18556800
मुख्यमंत्री गौसेवा योजना
2020-21 1260000
इनका कहना है
विदिशा रोड के जीवदया गौरक्षण केंद्र में 1700 गाय रख सकते हैं, लेकिन यहां 1900 गाय रख दी गई हैं। रखरखाव ठीक से नहीं हो सका तो 300 गाय साल में दम तोड़ चुकी हैं।
अशोक जैन, सदस्य, जिला गौ-संवर्धन बोर्ड
बजट के लिए कई बार पत्र लिख चुके हैं। नहीं मिला। जून में कुछ मिला था। मरने वाली कई गायें बीमार थीं। हर साल 650 से 1200 गाय मर रही हैं।
अजय रामटेके, डिप्टी डायरेक्टर, पशुपालन विभाग
गांव अइयापुर तूमड़ा में बनी श्रीकृष्णा गौशाला में यहां सिर्फ दो दिन का भूसा है। तीन महीने से वेतन नहीं मिला। सरपंच जैसे-तैसे पैसे की व्यवस्था कराते हैं। यहां 103 गाय हैं। एक साल में 25 मर चुकी हैं। 4 बार बोर कराया, पर पानी नहीं निकला। एक खेत से पाइप डालकर पानी ले रहे हैं।
दिनेश भिलाला, कर्मचारी, श्रीकृष्णा गौशाला
मुगालियाछाप गांव की महामृत्युंजय गौशाला को न सरकारी फंड मिल रहा, न अफसर सुन रहे। गौशाला का स्ट्रक्चर खराब हो गया है। छत कभी भी गिर सकता है। गायों को पिलाने के लिए पानी छह किमी दूर से लाते हैं। अफसरों को कई चिट्ठी दीं, पर कोई सुनने वाला नहीं। 10 से 12 गाय मर चुकी हैं।
अरविंद पटेल, संरक्षक, महामृत्युंजय गौशाला
कुठार गांव की राधाकृष्णा गौशाला चलाने के लिए अपनी जेब से पैसे खर्च कर रहा हूं, क्योंकि 9 महीने से फंड नहीं मिला। 68 गाय दम तोड़ चुकी हैं। सरकार ने गौशाला तो खुलवा दी, लेकिन इसका मैनेजमेंट कैसे करना है, ये नहीं बताया। साफ-सफाई भी नहीं हो पा रही।
मुकेश अहिरवार, सरपंच, कुठार पंचायत