महुआ ने खोले महिलाओं के लिए आर्थिक समृद्धि के रास्ते, जानिए कैसे?
बड़भूम के स्वसहायता समूह की 13 महिलाएं बना रही आचार
रायपुर, लोगों ने महुए से शराब बनती जरूर देखी होगी। वहीं शराब का सेवन भी किया होगा। अब महुए से आचार भी बनाया जा रहा है। इसका टेस्ट अच्छा होने की वजह से इसकी मांग रायपुर में भी हो रही है। गुरुर विकासखंड अंतर्गत ग्राम बड़भूम की जय मां शारदा महिला स्वसहायता समूह की 13 महिलाएं इन दिनों जंगल में मिलने वाले महुआ के फूल से आचार बना रही हैं। इसे वन विभाग वनोपज संस्था फर्म रायपुर के माध्यम से इसकी बिक्री कर रही है। इस आचार का नाम छत्तीसगढ़ हर्बल महुआ आचार रखा गया है।
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अब तक 29 क्विंटल महुआ का आचार बना चुके
महिला समूह के मुताबिक 2020 से अब तक 2900 किलो महुआ से आचार बना चुके हैं। इन दो साल में इन महिलाओं ने पार्ट टाइम काम कर लगभग 50 हजार से अधिक का मुनाफा कमाया है। अब महिलाएं और उत्साह से महुआ से आचार बना रही हंै। अच्छी बात यह है कि महिलाएं दिनभर आचार नहीं बनाती बल्कि समय-समय में ही आचार बनाने का काम करती हैं। बाकी समय अपना काम करती हैं।
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इस साल 1700 क्विंटल महुआ का आचार बना रही
जय मां शारदा महिला समूह की अध्यक्ष शकुंतला कुरैटी ने बताया की इस कार्य से अब लाभ होने लगा है। 2020 में इस योजना की शुरुआत की थी, तब थोड़ा डर लग रहा था आखिर कैसे व क्या होगा। जब वन विभाग ने आचार बनाने प्रशिक्षण दिया, तब पहले साल कम आचार बनाया, लेकिन अब लगातार इसकी मात्रा बढ़ाया जा रहा है। इस साल 1700 क्विंटल महुआ का आचार बना रही।