कम लागत में ज्यादा कमाई के लिए करें सहजन की खेती, जानिए खेती की विधि और उन्न्त किस्म

कम लागत में ज्यादा कमाई के लिए करें सहजन की खेती, जानिए खेती की विधि और उन्न्त किस्म

भोपाल। सहजन जिसको मोरिंगा के नाम से भी जाना जाता है। इसका वानस्पतिक नाम मोरिंगा ओलिफेरा है। इसे हिंदी में सहजना, सुरजना, सेंजन और मुनगा आदि नामों से जाना जाता है। सहजन को अंग्रेजी में ड्रमस्टिक भी कहा जाता है। यह एक बहुउपयोगी पेड़ है। इसके सभी भाग फल, फूल, पत्तियों, बीजों में अनेक पोषक तत्व होते हैं। इसलिए इसका उपयोग कई प्रकार से किया जाता है। इसकी खेती करने से काफी लाभ प्राप्त होता है। 

एक एकड में हो सकती है 6 लाख की कमाई

सहजन की खेती यदि एक एकड़ में उन्नत तरीके से की जाए तो इसमें 6 लाख रुपए की कमाई आराम से हो सकती है। सहजन को किसी भी प्रकार की जमीन में उगाया जा सकता है। वहीं किसी अन्य फसल के साथ भी इसकी खेती की जा सकती है।

60-170 दिनों में आने लगता है फल

सामान्य रूप से सहजन का पौधा लगभग 160-170 दिनों में फल देने लगता है। साल में एक पौधा से 65-170 किलोग्राम फल तैयार हो जाता है। इसकी कच्ची-हरी फलियां सर्वाधिक उपयोग में लाई जातीं हैं। सहजन के करीब सभी अंग (पत्ती, फूल, फल, बीज, डाली, छाल, जड़ें, बीज से प्राप्त तेल आदि) खाये जाते हैं।

कई पोषक तत्वों का भंडार है सहजन 

सहजन में कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसमें मुख्य रूप से कार्बोहाइड्रट, वसा, प्रोटीन, पानी, विटामिन, कैल्शियम, लोहतत्व, मैगनीशियम, मैगनीज, फॉस्फोरस, पोटेशियम, सोडियम आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं। सहजन में 300 से अधिक रोगों के रोकथाम के गुण हैं। इसमें 90 तरह के मल्टीविटामिन्स, 45 तरह के एंटी आक्सीडेंट गुण, 35 तरह के दर्द निवारक गुण और 17 तरह के एमिनो एसिड मिलते हैं।

खेती के लिए उन्नत किस्में

सहजन की उन्नत किस्मों में कोयम्बटूर 2, रोहित 1, पी.के.एम 1 और पी.के.एम 2 अच्छी मानी जाती हैं। 

खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी और जलवायु

सामान्यत: किसी भी प्रकार की मिटटी में सहजन की खेती की जा सकती है। जैसे- बेकार, बंजर और कम उर्वरा भूमि में भी इसकी खेती की जा सकती है। यह सूखी बलुई या चिकनी बलुई मिट्टी में अच्छी तरह बढ़ता है। इसका पौधा गर्म इलाकों में आसानी से फल फूल जाता है। इसको ज्यादा पानी की भी जरूरत नहीं होती। सर्द इलाकों में इसकी खेती बहुत कम की जाती है क्योंकि इसका पौधा अधिक सर्दी और पाला सहन नहीं कर पाता है। वहीं इसके फूल खिलने के लिए 25 से 30 डिग्री तापमान की जरूरत होती है। 

पौध तैयार की विधि 

सहजन की एक हेक्टेयर में खेती करने के लिए 500 से 700 ग्राम बीज की मात्रा पर्याप्त होती है। बीज को सीधे तैयार गड्ढ़ो में या फिर पॉलीथीन बैग में तैयार कर गड्ढ़ों में लगाया जा सकता है। पॉलीथीन बैग में पौध एक महीना में लगाने योग्य तैयार हो जाता है। एक महीने के तैयार पौध को पहले से तैयार किए गए गड्ढ़ों में जून से लेकर सितंबर तक रोपण किया जा सकता है। पौधा जब लगभग 75 सेंमी का हो जाए तो पौध के ऊपरी भाग को तोड़ देना चाहिए, इससे बगल से शाखाओं को निकलने में आसानी होती है। 

रोपाई करने का सही तरीका

सहजन के पौधे का रोपण गड्ढा बनाकर किया जाता है। खेत को अच्छी तरह खरपतवार मुक्त करने के बाद 2.5 X 2.5 मीटर की दूरी पर 45 X 45 X 45 सेंमी. आकार का गड्ढा बनाया जाना चाहिए। गड्ढे के उपरी मिट्टी के साथ 10 किलोग्राम सड़ा हुआ गोबर का खाद मिलाकर गड्ढे को भर देना चाहिए। इससे खेत पौध के रोपनी के लिए तैयार हो जाता है। बता देें कि सहजन में बीज और शाखा के टुकड़ों दोनों प्रकार से ही प्रबर्द्धन होता है। अच्छी फलन और साल में दो बार फलन के लिए बीज से प्रबर्द्धन करना जरूरी होता है।

खाद और उर्वरक

रोपनी के तीन महीने के बाद 100 ग्राम यूरिया + 100 ग्राम सुपर फास्फेट + 50 ग्राम पोटाश प्रति गड्ढा की दर से डालना चाहिए। वहीं इसके तीन महीने बाद 100 ग्राम यूरिया प्रति गड्ढा का दुबारा डालना चाहिए। सहजन पर किए गए शोध से यह पाया गया कि मात्र 15 किलोग्राम गोबर की खाद प्रति गड्ढा तथा एजोसपिरिलम और पी.एस.बी. (5 किलोग्राम/हेक्टेयर) के प्रयोग से जैविक सहजन की खेती में किया जा सकता है। 

कब करे सिंचाई

सहजन के अच्छे उत्पादन के लिए समय-समय पर सिंचाई करना फायदेमंद रहता है। यदि गड्ढ़ों में बीज से प्रबर्द्धन किया गया है तो बीज के अंकुरण और अच्छी तरह से स्थापन तक नमी का बना रहना आवश्यक है। फूल लगने के समय खेत ज्यादा सूखा या ज्यादा गीला रहने पर दोनों ही अवस्था में फूल के झडऩे की समस्या होती है। इसलिए इसके पौधों की आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई ही की जानी चाहिए। इसके लिए ड्रिप या फव्वारा सिंचाई का इस्तेमाल किया जा सकता है। 

फसल में रोग और कीट प्रबंधन

सहजन में मुख्य रूप से भुआ पिल्लू नामक कीट का प्रकोप होता है। यह कीट पूरे पौधे की पत्तियों को खा जाता है तथा आसपास में भी फैल जाता है। इसके नियंत्रण डाइक्लोरोवास (नूभान) 0.5 मिली. एक लीटर पानी में घोलकर पौधों पर छिडक़ाव करना चाहिए। इसके अलावा सहजन में फल मक्खी का आक्रमण भी इसमें देखा गया है। इससे भी फसल को भारी नुकसान होता है। इसके नियंत्रण के लिए डाइक्लोरोवास (नूभान) 0.5 मिली. दवा एक लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव करना चाहिए। 

10 साल तक उपज देता है सहजन का पेड

जरूरत के अनुसार विभिन्न अवस्थाओं में फल की तुड़ाई की जा सकती है। पौधे लगाने के करीब 160-170 दिनों में फल तैयार हो जाता है। एक बार लगाने के बाद से 4-5 वर्षों तक इससे फलन लिया जा सकता है। प्रत्येक वर्ष फसल लेने के बाद पौधे को जमीन से एक मीटर छोडक़र काटना जरूरी होता है। दो बार फल देने वाले सहजन की किस्मों की तुड़ाई सामान्यत: फरवरी-मार्च और सितम्बर-अक्टूबर में होती है। प्रत्येक पौधे से लगभग 200-400 (40-50 किलोग्राम) सहजन सालभर में प्राप्त हो जाता है। सहजन के फल में रेशा आने से पहले ही तुड़ाई कर लेनी चाहिए। इससे इसकी बाजार में मांग बनी रहती है और इससे लाभ भी ज्यादा मिलता है। बता दें कि पहले साल के बाद साल में दो बार उत्पादन होता है और आमतौर पर एक पेड़ 10 साल तक अच्छा उत्पादन करता है। 

अनुमानित उपज और होने वाला लाभ

यदि आप एक एकड़ में करीब 1500 पौधे लगाते हैं। यदि  और सहजन के पेड़ मोटे तौर पर 12 महीने में उत्पादन देते हैं। यदि पेड़ अच्छी तरह से बढ़े हैं तो 8 महीने में ही तैयार हो जाते हैं और कुल उत्पादन 3000 किलो तक हो जाता है। इस तरह से 7.5 लाख का उत्पादन हो सकता है। इस तरह आपको सहजन की खेती से करीब 6 लाख रुपए तक का फायदा हो सकता है। 

बाजार में सहजन का रेट

सामान्यत : सहजन का फुटकर रेट आमतौर पर 40 से 50 के बीच रहता है। थोक में इसका रेट 25 रुपए के करीब होता है।

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