काले गेहूं की खेती: मऊगंज के अनिल मिश्रा के नवाचार से क्षेत्र के किसानों को आस

काले गेहूं की खेती: मऊगंज के अनिल मिश्रा के नवाचार से क्षेत्र के किसानों को आस

भोपाल। भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां पर किसान रबी और खरीफ फसलों की बड़े स्तर पर खेती करते हैं, लेकिन मप्र, यूपी, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और बिहार में किसान सबसे अधिक गेहूं की खेती करते हैं। इससे अच्छी कमाई होती है। इन राज्यों में किसान गेहूं की कई किस्मों को उगा रहे हैं, जिसकी पैदावार भी काफी अच्छी है, लेकिन 'जागत गांव हमारÓ अपने इस अंक में गेहूं की एक ऐसी किस्म के बारे में बताने जा रहा है, जिसकी खेती करने पर किसानों की आय बढ़ जाएगी। खास बात यह है कि इस किस्म की कीमत सामान्य गेहूं के मुकाबले काफी अधिक होती है। पैसे वाले लोग ही सिर्फ इस किस्म के गेहूं के आटे का इस्तेमाल करते हैं। दरअसल, हम बात कर रहे हैं काले गेहूं की खेती के बारे में। काले गेहूं की कीमत सामान्य गेहूं से ज्यादा होती है। मप्र के मऊगंज जिले के प्रगतिशील किसान अनिल कुमार मिश्र ने अपने खेतों में पहली बार काले गेहूं की बोवनी की है। संभवत: मऊगंज जिले के इतिहास में पहली बार काले गेहूं की फसल लहलहा रही है। जो स्थानीय किसानों के आकर्षण का केंद्र बन गई है।

गेहूं उत्पादक राज्य 

उत्तर प्रदेश: यह भारत का सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक राज्य है।
पंजाब: यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक राज्य है।
हरियाणा: यह भारत का तीसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक राज्य है।
मध्य प्रदेश: यह भारत का चौथा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक राज्य है।
राजस्थान: यह भारत का पांचवां सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक राज्य है।

किसान अनिल कुमार मिश्र का कहना  है कि काले गेहूं में प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसमें सामान्य गेहूं के मुकाबले 60 फीसदी अधिक लौह तत्व पाया जाता है। इसका सेवन करने से शरीर को काफी पोषण मिलता है। खास बात यह है कि इसमें एंथोसायनिन नामक रंगद्रव्य मौजूद होता है, जिसकी वजह से यह देखने में काला लगता है। इस किस्म में एंटीऑक्सीडेंट तत्व पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं।

प्रति एकड़ 40 से 50 किलोग्राम बीज की जरूरत

अनिल कुमार के अनुसार अभी भारत के कई राज्यों में किसानों ने काले गेहूं की खेती शुरू कर दी है। नवंबर का महीना काले गेहूं की बोवनी के लिए बेहतर माना गाया है। यदि किसान काले गेहूं की बोवनी पंक्तियों में करते हैं प्रति एकड़ 40 से 50 किलोग्राम बीज की जरूरत पड़ती है। इस साल हमने कम रकबे में बोवनी की है, आगे से सभी खेतों में काले गेहूं की खेती करूंगा। गहाई के बाद इसके उत्पादन का सही आकलन हो पाएगा। हमने इसमें किसी प्रकार की रासायनिक खाद का उपयोग नहीं किया है।

4 से 5 बार सिंचाई  

काले गेहूं की  चार से पांच बार सिंचाई करनी पड़ती है। पहली सिंचाई बोवनी के १८ दिन बाद करें। फिर कलियां फूटते समय, बालियां निकलने से पहले, बालियों में दूध आते समय और दानों के पकने के समय सिंचाई करना चाहिए। विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है कि जब गेहूं में फूल आ रहा हो तब सिंचाई नहीं करनी चाहिए।

हमारे यहां काले गेहूं की फसल लगभग तैयार हो चुकी है। जल्द ही कटाई लगाई जाएगी। हमें उम्मीद है कि अच्छी उपज मिलेगी। बाजार में इसकी कीमत ८००० रुपए प्रति क्विंटल है। हम इसका बीज कनाडा से मंगाए थे। 
अनिल कुमार मिश्र, प्रगतिशील किसान, मऊगंज

सोशल मीडिया पर देखें खेती-किसानी और अपने आसपास की खबरें, क्लिक करें...

- देश-दुनिया तथा खेत-खलिहान, गांव और किसान के ताजा समाचार पढने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म गूगल न्यूजगूगल न्यूज, फेसबुक, फेसबुक 1, फेसबुक 2,  टेलीग्राम,  टेलीग्राम 1, लिंकडिन, लिंकडिन 1, लिंकडिन 2टवीटर, टवीटर 1इंस्टाग्राम, इंस्टाग्राम 1कू ऐप से जुडें- और पाएं हर पल की अपडेट