अवारा पशुओं से फसल को नुकसान से बचाएगी एआई तकनीक
भोपाल। अब एआई का जमाना है। ऐसे में खेती और किसान भी इस अत्याधुनिक तकनीक से अछूते नहीं रहेंगे। एआई आधारित मोबाइल ऐप किसानों के लिए कई मायनों में मददगार साबित होगा। इसकी मदद से किसानों को मौसम जनित मुसीबतों के अलावा खेत में हमले की भी जानकारी मिल जाएगी। यूपी और एमपी सहित देश के तमाम इलाकों में छुट्टा पशु किसानों की फसलें नष्ट कर देते हैं। किसानों की आय पर बुरी तरह से असर डाल रही इस समस्या से बुंदेलखंड जैसे इलाकों में, जहां किसान पहले से ही बदहाली के शिकार हैं, खेती का संकट बेहद गंभीर हो गया है। किसानों को इस समस्या से छुटकारा दिलाने में एआई की मदद ली गई है। झांसी स्थित रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा एआई आधारित एक मोबाइल ऐप विकसित किया जा रहा है। जल्द ही इसकी शुरुआत बुंदेलखंड से होनी है, इसलिए इस इलाके में खेती का डाटा जुटाने का काम अंतिम चरण में है। इसकी मदद से न केवल छुट्टा पशुओं से फसल की सुरक्षा की जा सकेगी, बल्कि किसानों को मौसम जनित मुसीबतों और फसलों पर कीटों के प्रकोप से बचने के उपायों का भी पता चल जाएगा। यह ऐप देश के किसानों को खेती में कीट प्रबंधन कराने में मदद करने के साथ ओलावृष्टि, अत्यधिक बारिश, पाला पडऩे और सूखे की मार से फसलों को बचाने के अलर्ट भी देगा।
मोबाइल पर मिलेगा अलर्ट
किसानों के लिए फसल को कीट पतंगों और मवेशियों के प्रकोप से बचाने में जो पैसा लगता है, उससे कृषि की लागत बहुत बढ़ जाती है। यह स्थिति किसानों की आय पर नकारात्मक प्रभाव भी डालती है। अब इस समस्या से निपटने के लिए रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विवि के वैज्ञानिकों ने एआई को किसानों का मददगार बनाया है। इसके लिए एआई बेस्ड मोबाइल एप विकसित किया गया है। विश्वविद्यालय के एग्रोफारेस्टरी विभाग के प्रमुख डॉ. प्रभात जांभुलकर ने बताया कि इस ऐप को रियल टाइम डाटा से लैस किया जा रहा है।
अगले साल से मिलेगी सेवा
डॉ. जांभुलकर ने बताया कि इस साल ऐप का ट्रायल पूरा होने के बाद अगले साल से यह ऐप किसानों की सेवा में हाजिर होगा। उन्होंने बताया कि यह मल्टीटास्किंग ऐप है। इसकी मदद से किसानों को फसल पर कीट पतंगों का प्रकोप होने से पहले ही मोबाइल फोन पर अलर्ट मिल जाएगा। एआई तकनीक से पहले ही पता चल जाएगा कि कब किस इलाके में मौसम की परिस्थितियों को देखते हुए किस फसल पर कौन से कीट का प्रकोप होने वाला है। इतना ही नहीं इस ऐप की मदद से मवेशियों और टिड्डी दल के प्रकोप का भी अलर्ट किसानों को मिल जाएगा।
समस्याओं का होगा समाधान
गौरतलब है कि मौजूदा स्थिति में किसानों को मौसम, मवेशी और कीट पतंगों के प्रकोप से बचने में काफी ऊर्जा, समय और धन लगाना पड़ता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि एआई तकनीक किसानों की समस्याओं के समाधान में कारगर मदद कर सकती है। कृषि क्षेत्र में इसकी संभावनाओं को देखते हुए देश के तमाम अग्रणी संस्थानों में खेती से जुड़े एआई आधारित मोबाइल ऐप विकसित किए जा रहे हैं।
उपाय भी बताएगा ऐप
डॉ. जांभुलकर ने बताया कि यह ऐप किसानों को कीट प्रबंधन और आसन्न प्राकृतिक आपदा से निपटने के उपाय भी सुझा देगा। खेतों में फसल सुरक्षा से जुड़े हालात की हजारों तस्वीरों के माध्यम से रियल टाइम डाटा जुटाया गया है। इसे एआई आधारित ऐप के साथ समायोजित कर इस तकनीक को विकसित किया जा रहा है। इस डेटा पर आधारित ऐप की मदद से किसान अपने खेत में ही मिट्टी की गुणवत्ता की जांच भी कर सकेंगे। मृदा परीक्षण के आधार पर किसानों को यह भी पता चल सकेगा कि उनके खेत में कब किस फसल में कौन से कीट का प्रकोप होगा और इससे बचने के क्या उपाय होंगे।