पशुओं में तनाव का होना आवश्यक या अनावश्यक?

पशुओं में तनाव का होना आवश्यक या अनावश्यक?

डॉ. दीपिका डायना जैस्सी
डॉ. मनोज कुमार अहिरवार
डॉ. ज्योतसना शक्करपूड़े
डॉ. आम्रपाली भीमटे
डॉ. श्वेता राजोरिया
डॉ. कविता रावत
डॉ. मधू शिवहरे
डॉ. नवल सिंह रावत
पशुचिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय, महू  मध्य प्रदेश
वास्तविक या काल्पनिक खतरे की प्रतिक्रिया होने पर पशु शरीर में तनाव उत्पन्न होता है, जिसमें शरीर उस स्थिति से निपटने या लडऩे के लिए तैयार होता है। यह स्ट्रेस हार्मोन सक्रिय होने के कारण विकसित होती है। इस दौरान शरीर के एड्रेनालिन व कोर्टिसोल, जिन्हे स्ट्रेस हार्मोन भी कहा जाता है सक्रिय हो जाते हैं, जो जीव को वास्तविक या काल्पनिक खतरे से निपटने या बचने के लिए तैयार करते हैं। तनाव के कई कारक होतें हैं जिन्हे स्ट्रेससार भी कहा जाता है। पशु यदि तनाव में है तो उसको हम उसके व्यवहार से भी पहचान सकते हैं जैसे की आक्रामक बर्ताव जो कई बार पकड़ में भी नहीं आते हैं। 

तनाव शरीर के लिए एक प्राकृतिक रक्षा प्रणाली की तरह काम करता है। हालांकि, यदि यह बिना किसी कारण के बार-बार हो रहा है और इसके साथ अन्य समस्याएं भी हो रही हैं, तो यह शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है। तनाव में शरीर तुरंत प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार हो जाता है; धड़कने तेज होने लगती है, श्वसन दर का बढऩा, मांसपेशियाों का कठोर हो जाना, रक्तचाप का स्तर भी बढ़ जाता है और पाचन तंत्र की गतिविधि में गिरावट या कमी देखी जाती है, प्रजनन दर एवं उत्पादन में कमी हो जाती है ।   

तनाव के प्रकार

तनाव प्रतिक्रियाओं के लिए जिम्मेदार तत्वों को या तो बाह्य, मनोवैज्ञानिक या व्यवहार संबंधी कारकों के रूप में परिभाषित किया गया है। 

बाह्य कारक

बाह्य कारक जैसे की तापमान या ऊष्मीय तनाव उद्धरण के लिए शीत एवं उत्ताप तनाव। जो तापमान के अधिक एवं कम होने के परिणामस्वरूप होता है। उपरोक्त तनाव को कम किया जा सकता है, जैसे हीट स्ट्रेस होने पर पशु को छायादार जगह में रखना, पर्याप्त पानी की व्यवस्था, स्प्रिंकलर इत्यादि । 

मनोवैज्ञानिक कारक

पशु कल्याण के मोलभूत सिद्धांतों के विपरीत रख-रखाव करने पर पशुओं में मनोवैज्ञानिक तनाव उत्पन्न होते हैं जैसे की पर्याप्त पानी एवं भोजन उपलब्ध ना होना, दर्द-चोट -बीमारियों से सुरक्षा ना होना, किसी शिकारी पशुओं का डर होना, प्रापर रहने या हाउजि़ंग की व्यवस्था ना होना, उनके झुंड में से किसी की मृत्यु हो जाना, उनके झुंड से उनके बच्चे या किसी पशु का खो जाना, किसी दर्दनाक दुर्घटनाओं  का अनुभव करना इत्यादि। इस तरह के तनाव से पशुओं में शारीरिक विकार और बीमारियाँ उत्पन्न हो सकती है । 

तनाव के लक्षण

तनाव के लक्षण आमतौर पर शारीरिक, भावनात्मक व्यावहारिक रूप से विकसित होते हैं। हालांकि, तनाव से होने वाले लक्षण प्रत्येक में उनके शरीर के अनुसार अलग-अलग भी हो सकते हैं । हालांकि, तनाव से होने वाले प्रमुख शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक लक्षण कुछ इस प्रकार के हो सकते हैं जिन्हे पहचानना और सही समय पर उससे पशु को बाहर निकालना अतिआवश्यक हो जाता है, जिससे कि उसमे शारीरिक विकार उत्पन्न ना हो सके और यदि वह दुधारू पशु है तो उससके प्रजनन एवं दुग्ध उत्पादन में किसी प्रकार की गड़बड़ी ना हो । 
तनाव से होने वाले शारीरिक लक्षण
ज्यादा पसीना आना, मांसपेशियों में ऐंठन व मरोड़
बेहोश होना (गंभीर मामलों में)
नसों में ऐंठन आना, चक्कर आना, नींद न आना या अत्यधिक नींद आना, बदहजमी या दस्त होना
तनाव से होने वाले भावनात्मक लक्षण
क्रोध, ध्यान न लगा पाना
थका रहना, अपने आप को सुरक्षित महसूस न करना और बेचैन रहना।

सोशल मीडिया पर देखें खेती-किसानी और अपने आसपास की खबरें, क्लिक करें...

- देश-दुनिया तथा खेत-खलिहान, गांव और किसान के ताजा समाचार पढने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म गूगल न्यूजगूगल न्यूज, फेसबुक, फेसबुक 1, फेसबुक 2,  टेलीग्राम,  टेलीग्राम 1, लिंकडिन, लिंकडिन 1, लिंकडिन 2टवीटर, टवीटर 1इंस्टाग्राम, इंस्टाग्राम 1कू ऐप  यूटयूब चैनल से जुडें- और पाएं हर पल की अपडेट