स्वच्छ दूध उत्पादन-समय की आवश्यकता

स्वच्छ दूध उत्पादन-समय की आवश्यकता

डॉ. अनिल शिंदे
डॉ. लक्ष्मी चौहान
डॉ. प्रमोद शर्मा
डॉ. सुमन कुमार
पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय, जबलपुर, मप्र.
हमारा भारत देश एक कृषि प्रधान देश है तथा भारतीय कृषि मुख्यत: पशुओं पर आधारित है। प्रदेश के आर्थिक एवं सामाजिक विकास में पशुपालन से संबंधित गतिविधियां तथा कार्यक्रम महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हमारे ज्यादातर किसान एक या दो गाय/भैंस पालते हैं और उस जानवर का दूध स्वयं के घर के लिए उपयोग करते हैं या पड़ोस में बेच देते हैं। धीरे-धीरे दुग्ध व्यवसाय के लिए पशुपालन करने में बढ़ोतरी हो रही है और उसमें बहुत से लोग मुनाफा भी ले रहे हैं। दूध कैल्शियम तथा प्रोटीन का एक अच्छा स्त्रोत है और बच्चों से लेकर बूढ़ों तक यह एक आदर्श फूड के रूप में देखा गया है। इसके विपरीत अस्वच्छ दूध कई किस्म की बीमारियों का कारण भी हो सकता है तथा यह जल्द खराब भी हो जाता है और बाजार में इसके दाम भी कम मिलते हैं इसलिए स्वच्छ दूध आने वाले समय की जरूरत है। स्वच्छ दूध: दूध में कोई हानिकारक जीवाणु, धूल के कण, गोबर, मिट्टी, बाल या मक्खी इत्यादि ना हो तो उसे स्वच्छ दूध कह सकते हैं। 
साफ -सुथरा वातावरण तथा गौशाला: गौशाला आरामदायक, आसानी से साफ करने योग्य और उसकी संरचना आसानी से परिवर्तित हो। जैसे कि ठंडी हवाओं से बचाया जा सके तथा गर्मियों उपयुक्त हवादार हो। पशुओं के आवास की फर्श और दीवारें, दरारों और छिद्रों से मुक्त हो क्योंकि ऐसे स्थानों पर जीवाणु एवं परजीवी पलते रहते हैं। फर्श पक्का, नमी रहित ढलावयुक्त, न फिसलने वाला और आसानी से साफ करने योग्य हो। स्वच्छ पीने के पानी की व्यवस्था, पशु तथा आवास को साफ रखने के लिए अत्यावश्यक है।
स्वच्छ एवं स्वस्थ पशु: दुहन से पहले पशुओं को धूलकण, गोबर और टूटे बालों को साफ करने के लिए खुरेश करें। थनों को अच्छी प्रकार से साफ पानी से धोना चाहिए। पशु संक्रामक रोग जैसे बू्रसेलोसिस, टी.बी. तथा अन्य बीमारियों से ग्रसित न हो। ग्वाला और उसका स्वास्थ्य: ग्वाला अस्वस्थ व अस्वच्छ न हो अन्यथा रोगाणुओं के फैलने का कारण बन सकता है। ग्वाले के वस्त्र स्वच्छ एवं नाखून कटे हो तथा पशु को दुहन से पहले व बाद में अच्छी निर्जीवीकरण रसायन के घोल से अच्छी तरह से हाथ साफ  करना चाहिए। दूध को पूर्णता से दुहना चाहिए। संपूर्ण हथेली विधि पशु के थनों के स्वास्थ्य के लिए अधिक लाभकारी है। साफ  बर्तन: दूध निकालने वाले बर्तनों का ऊपर से खुला भाग कम चौड़ा तथा नीचे अधिक चौड़ा हो। स्वच्छ और स्वस्थ दुहन: दुहन से पूर्व हाथों को साबुन से अच्छे से धोना चाहिए। दुहन के बाद थनों को सूखे तथा साफ कपड़े से पौछें। 8-10 मिनट में दूध दोहन करना लाभकारी होता है।  

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