विश्व रैबिज दिवस: रैबिज का टीकाकरण और जागरूकता ही है उपाय
डॉ. शिवम सिंह मेहरोत्रा
डॉ. आकाश सुमन
डॉ. शिवराज चौहान
डॉ. रितेश वमा
पशु चिकित्सा एवं पशु पालन महाविद्यालय, महू, मप्र.
हर साल 28 सितंबर को मनाया जाने वाला विश्व रैबिज दिवस रैबिज के प्रति जागरूकता फैलाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि रैबिज एक गंभीर बीमारी है, जो न केवल पालतू जानवरों के लिए, बल्कि मानव स्वास्थ्य के लिए भी एक बड़ा खतरा बन सकती है। रैबिज के मामलों में वृद्धि की वजह से इसे रोकने और इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।
रैबिज एक वायरल संक्रमण है, जिसे रैबीड वायरस के कारण होता है। यह मुख्यत: कुत्तों, बिल्लियों, और अन्य वन्य जानवरों के माध्यम से फैलता है। जब एक संक्रमित जानवर किसी व्यक्ति को काटता है, तो वायरस उसके शरीर में प्रवेश करता है और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है।
लक्षण: रैबिज के लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं और संक्रमण के बाद के चरणों में गंभीर रूप लेते हैं:
प्रारंभिक लक्षण: बुखार, सिरदर्द, और सामान्य अस्वस्थता। ये लक्षण साधारण फ्लू के समान होते हैं।
गंभीर लक्षण
चिड़चिड़ापन, भ्रम, मांसपेशियों में ऐंठन, और अत्यधिक संवेदनशीलता। इसके बाद पागलपन और लकवा भी हो सकता है, जो मृत्यु का कारण भी बन सकता है।
रैबिज का इतिहास: रैबिज का इतिहास कई सदियों पुराना है। प्राचीन समय में, इसे एक घातक बीमारी के रूप में देखा गया था। 19वीं सदी में, प्रसिद्ध वैज्ञानिक लुई पैस्टर ने रैबिज के खिलाफ पहला टीका विकसित किया। उनका यह कार्य रैबिज के खिलाफ वैश्विक प्रयासों की शुरुआत का प्रतीक बना। इसके बाद, कई देशों में रैबिज के खिलाफ टीकाकरण कार्यक्रमों की शुरुआत हुई, जिससे इस बीमारी की रोकथाम में मदद मिली।
रैबिज के खिलाफ टीकाकरण का महत्व
टीकाकरण रैबिज के प्रसार को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका है। टीकाकरण से न केवल जानवरों की सुरक्षा होती है, बल्कि यह मनुष्यों के लिए भी सुरक्षा कवच का कार्य करता है।
टीकाकरण कार्यक्रम: पहला टीका: पालतू जानवरों को 12 से 16 सप्ताह की आयु में पहला टीका लगवाना चाहिए।
बूस्टर डोज: पहले टीके के एक वषज़् बाद बूस्टर डोज लगवाना आवश्यक है। इसके बाद, हर साल बूस्टर डोज का नियमित अनुसरण करना चाहिए, ताकि जानवरों को लगातार सुरक्षा मिलती रहे।
रैबिज से बचाव के उपाय: रैबिज से बचने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय निम्नलिखित हैं:
पालतू जानवरों का टीकाकरण
अपने पालतू जानवरों को नियमित रूप से टीका लगवाना न भूलें, क्योंकि यह उनकी और आपकी सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
संक्रमित जानवरों से दूरी: संक्रमित जानवरों से संपर्क करने से बचें, और यदि आपको किसी जानवर ने काटा है तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।
काटने की स्थिति में तुरंत चिकित्सा: यदि किसी जानवर ने काट लिया है, तो तुरंत डॉक्टर से संपकज़् करें। समय पर उपचार से रैबिज को रोका जा सकता है। कुत्ते बिल्ली के काटने पर तुरंत ही साबुन से घाव को बहते हुए पानी में धो लें। इसके बाद टीकाकरण सुनिश्चित करें।
रैबिज से संबंधित मिथक और तथ्य
रैबिज के बारे में कई मिथक भी प्रचलित हैं। उदाहरण के लिए, यह धारणा है कि रैबिज केवल कुत्तों के काटने से ही फैलता है, जबकि यह अन्य जानवरों से भी फैल सकता है। सही जानकारी का प्रसार जरूरी है, ताकि लोग सही कदम उठा सकें।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, साल 2024 के विश्व रेबीज दिवस की थीम ब्रेकिंग रेबीज बाउंड्रीज या 'रेबीज की सीमाओं को तोडऩाÓ है, जो घातक बीमारी के खिलाफ मुकाबले में आने वाली अड़चनों को दूर करने के लिए चल रहे वैश्विक प्रयासों को सामने लाता है। विश्व रैबिज दिवस हमें यह याद दिलाता है कि रैबिज एक नियंत्रित बीमारी है, यदि हम सभी मिलकर प्रयास करें। टीकाकरण, जागरूकता, और समुदाय के सहयोग से, हम रैबिज के प्रसार को रोक सकते हैं और मानव तथा जानवरों के स्वास्थ्य को सुरक्षित रख सकते हैं।
आइए हम सभी मिलकर रैबिज के खिलाफ लड़ाई में कदम बढ़ाएं और अपने पालतू जानवरों को सुरक्षित रखें। इससे न केवल हम अपने जानवरों की रक्षा कर सकेंगे, बल्कि अपनी और अपने परिवार की भी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकेंगे।