किसानों को सहायता देने के लिए शुरू की गई नई योजनाएं

किसानों को सहायता देने के लिए शुरू की गई नई योजनाएं

नई दिल्ली, सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। वह देश में किसानों के कल्याण के लिए कृषि के पूरे क्षेत्र को शामिल करने वाली केन्‍द्रीय क्षेत्र और केन्‍द्र प्रायोजित विभिन्न योजनाओं को लागू कर रही है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान किसानों को सहायता देने के लिए शुरू की गई नई पहलों का विवरण अनुलग्नक में दिया गया है।

फसल कटाई के दौरान जब भी कीमतें एमएसपी से नीचे गिरती हैं, सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर राज्य स्तरीय एजेंसियों के माध्यम से केन्‍द्रीय नोडल एजेंसियों द्वारा उचित औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) मानदंडों के अनुरूप निर्धारित पीएम-आशा की किसानों को कृषि उत्‍पाद, उत्‍पादकता और उत्‍पाद का बे‍हतर मूल्‍य उपलब्‍ध कराने की योजना के अंतर्गत मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) में अधिसूचित तिलहन, दलहन और खोपरा की खरीद सीधे पूर्व-पंजीकृत किसानों से की जाती है। यह योजना संबंधित राज्य सरकार/संघ शासित प्रदेशों के अनुरोध पर कार्यान्वित की जाती है जो खरीदी गई वस्तुओं को मंडी कर से छूट देने और केन्‍द्रीय नोडल एजेंसियों को लॉजिस्टिक व्यवस्था में सहायता करने के लिए सहमत होती है, जिसमें बोरियां, राज्य एजेंसियों के लिए कार्यशील पूंजी, पीएसएस संचालन के लिए परिक्रामी निधि का निर्माण आदि शामिल हैं, जैसा कि योजना दिशानिर्देशों के तहत आवश्यक है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के साथ-साथ मौसम सूचकांक आधारित पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (आरडब्ल्यूबीसीआईएस) खरीफ 2016 से लागू की जा रही है। ये योजनाएं बड़े क्षेत्र को प्रभावित करने वाले सूखे, बाढ़ आदि जैसी व्यापक आपदाओं के लिए क्षेत्र तक पहुंचने के आधार पर लागू की जा रही हैं। इस योजना के तहत, किसानों द्वारा देय अधिकतम प्रीमियम सभी खरीफ खाद्य और तिलहन फसलों के लिए 2 प्रतिशत, रबी खाद्य और तिलहन फसलों के लिए 1.5 प्रतिशत और वार्षिक वाणिज्यिक/बागवानी फसलों के लिए 5 प्रतिशत है और किसानों द्वारा देय बीमा शुल्क और बीमा दर के बीच का अंतर सभी राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों में केन्‍द्र और राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों द्वारा 50:50 के अनुपात में समान रूप से साझा किया जाता है। 2020 से पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) और 2023 से पहाड़ी राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों में केन्‍द्र और राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों के बीच अनुपात 90:10 है। किसानों को संपूर्ण शिकायतों/चिंताओं/प्रश्नों के समाधान में सक्षम बनाने के लिए अखिल भारतीय एकल टेलीफोन नंबर के साथ कृषि रक्षक पोर्टल और हेल्पलाइन (केआरपीएच) टोल-फ्री नंबर 14447 भी विकसित किया गया है।

पिछले कुछ वर्षों के दौरान सरकार द्वारा शुरू की गई प्रमुख कृषि योजनाओं का संक्षिप्त विवरण

1. प्रधानमंत्री किसान सम्‍मान निधि (पीएम-किसान)

पीएम-किसान एक केन्‍द्रीय क्षेत्र की योजना है जिसे 24 फरवरी 2019 को कुछ अपवादों को छोड़कर, भूमि जोत वाले किसानों की वित्तीय जरूरतें पूरा करने के लिए शुरू किया गया था। इस योजना के तहत, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) मोड के माध्यम से देश भर के किसान परिवारों के बैंक खातों में तीन बराबर चार-मासिक किस्तों में प्रति वर्ष 6000 रुपये का वित्तीय लाभ हस्तांतरित किया जाता है। अब तक, विभिन्न किस्तों के माध्यम से 11 करोड़ से अधिक लाभार्थियों (किसानों) को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से 3.24 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए हैं।

2. प्रधानमंत्री किसान मान धन योजना (पीएम-केएमवाई)

प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना (पीएमकेएमवाई) 12 सितम्‍बर 2019 को शुरू की गई एक केन्‍द्रीय क्षेत्र की योजना है, जिसका उद्देश्य सबसे कमजोर किसान परिवारों को सुरक्षा प्रदान करना है। पीएम-केएमवाई अंशदायी योजना है, छोटे और सीमांत किसान (एसएमएफ), बहिष्करण मानदंडों के अधीन, पेंशन फंड में मासिक सदस्यता का भुगतान करके योजना के सदस्य बनने का विकल्प चुन सकते हैं। इसी तरह, केन्‍द्र सरकार द्वारा भी राशि का योगदान दिया जाएगा।

18 से 40 वर्ष की आयु के आवेदकों को 60 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक 55 रुपये से 200 रुपये प्रति माह के बीच अंशदान करना होगा। पीएमकेएमवाई किसानों की वृद्धावस्था के दौरान देखभाल कर रहा है और 60 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद नामांकित किसानों को 3,000 रुपये मासिक पेंशन प्रदान करता है, जो बहिष्करण मानदंडों के अधीन है।

जीवन बीमा निगम (एलआईसी) पेंशन फंड प्रबंधक है और लाभार्थियों का पंजीकरण सीएससी और राज्य सरकारों के माध्यम से किया जाता है। अब तक 23.38 लाख किसानों ने इस योजना के तहत नामांकन कराया है।

3. कृषि बुनियादी ढांचा कोष (एआईएफ)

मौजूदा बुनियादी ढांचे की कमियों को दूर करने और कृषि बुनियादी ढांचे में निवेश को बढ़ाने के लिए, आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत एग्री इंफ्रा फंड शुरू किया गया था। देश के कृषि बुनियादी ढांचे के परिदृश्य को बदलने के उद्देश्य से एआईएफ की शुरुआत की गई थी। कृषि बुनियादी ढांचा कोष ब्याज अनुदान और ऋण गारंटी सहायता के माध्यम से फसल कटाई के बाद के प्रबंधन के बुनियादी ढांचे और सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों के लिए व्यवहार्य परियोजनाओं में निवेश के लिए एक मध्यम-दीर्घकालिक ऋण वित्तपोषण सुविधा है। इस योजना के तहत 1 लाख करोड़ रुपये का कोष वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2025-26 तक वितरित किया जाएगा और इस योजना के तहत सहायता वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2032-33 की अवधि के लिए प्रदान की जाएगी।

इस योजना के तहत बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा 3 प्रतिशत प्रति वर्ष की ब्याज छूट के साथ 1 लाख करोड़ रुपये ऋण के रूप में प्रदान किए जाएंगे और 2 करोड़ रुपये तक के ऋण के लिए सीजीटीएमएसई के तहत ऋण गारंटी कवरेज दिया जाएगा। इसके अलावा, प्रत्येक इकाई अलग-अलग एलजीडी कोड में स्थित 25 परियोजनाओं के लिए योजना का लाभ पाने के लिए पात्र है।

पात्र लाभार्थियों में किसान, कृषि उद्यमी, स्टार्ट-अप, प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पीएसीएस), विपणन सहकारी समितियां, किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ), स्वयं सहायता समूह (एसएचजी), संयुक्त देयता समूह (जेएलजी), बहुउद्देशीय सहकारी समितियां, केन्‍द्रीय/राज्य एजेंसी या स्थानीय निकाय प्रायोजित सार्वजनिक निजी भागीदारी परियोजनाएं, राज्य एजेंसियां, कृषि उपज बाजार समितियां (मंडियां), राष्ट्रीय एवं राज्य सहकारी संघ, एफपीओ (किसान उपज संगठन) के संघ और स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के संघ शामिल हैं। 16-07-2024 तक 70,762 के लिए 44,824 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं।

4. नए 10,000 एफपीओ का गठन और संवर्धन

सरकार ने वर्ष 2020 में “10,000 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के गठन और संवर्धन” के लिए केन्‍द्रीय क्षेत्र की योजना (सीएसएस) शुरू की। इस योजना का कुल बजटीय परिव्यय 6865 करोड़ रुपये है। एफपीओ का गठन और संवर्धन कार्यान्वयन एजेंसियों (आईए) के माध्यम से किया जाना है, जिसमें आगे 5 साल की अवधि के लिए एफपीओ बनाने और पेशेवर सहायता प्रदान करने के लिए क्लस्टर आधारित व्यवसाय संगठन (सीबीबीओ) शामिल किए जाएंगे।

एफपीओ को 3 वर्ष की अवधि के लिए प्रति एफपीओ 18.00 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता मिलती है। इसके अतिरिक्त, एफपीओ के प्रत्येक किसान सदस्य को 2,000 रुपये तक के इक्विटी अनुदान का प्रावधान किया गया है, जिसकी सीमा 15.00 लाख रुपये प्रति एफपीओ है और एफपीओ को संस्थागत ऋण सुलभता सुनिश्चित करने के लिए पात्र ऋणदाता संस्थान से प्रति एफपीओ 2 करोड़ रुपये तक के परियोजना ऋण की ऋण गारंटी सुविधा भी दी गई है। एफपीओ के प्रशिक्षण और कौशल विकास के लिए उपयुक्त प्रावधान किए गए हैं।

इसके अलावा, एफपीओ को राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) मंच पर शामिल किया गया है, जो पारदर्शी मूल्य निर्धारण पद्धति के माध्यम से उनकी कृषि वस्तुओं के ऑनलाइन व्यापार की सुविधा प्रदान करता है, जिससे एफपीओ को अपनी उपज के लिए बेहतर लाभकारी मूल्य प्राप्त करने में मदद मिलती है। अब तक इस योजना के अंतर्गत कुल 8,872 एफपीओ पंजीकृत किए गए हैं।

 5. राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन (एनबीएचएम)

मधुमक्खी पालन के महत्व को ध्यान में रखते हुए, वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन के समग्र प्रचार और विकास तथा "मीठी क्रांति" के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए क्षेत्र में इसके कार्यान्वयन के लिए 2020 में आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (एनबीएचएम) नामक एक नई केन्‍द्रीय क्षेत्र योजना शुरू की गई थी। कुछ उपलब्धियों में शामिल हैं;

किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए 5वें स्रोत के रूप में मधुमक्खियां/मधुमक्खी पालन को मंजूरी दी गई है
शहद के परीक्षण के लिए राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (एनबीएचएम) के तहत 4 विश्व स्तरीय अत्याधुनिक शहद परीक्षण प्रयोगशालाएं और 35 मिनी शहद परीक्षण प्रयोगशालाएं स्वीकृत की गई हैं।
मधुमक्खी पालकों/शहद समितियों/फर्मों/कंपनियों के ऑनलाइन पंजीकरण के लिए मधुक्रांति पोर्टल शुरू किया गया है।
देश में 10,000 एफपीओ योजना के तहत 100 शहद एफपीओ को लक्षित किया गया है। नैफेड, एनडीडीबी और ट्राइफेड द्वारा 100 एफपीओ पंजीकृत किए गए हैं।
पोर्टल पर लगभग 14,822 मधुमक्खी पालक/मधुमक्खी पालन एवं शहद समितियां/फर्म/कंपनियां पंजीकृत हैं, जिनकी 23 लाख मधुमक्खी कॉलोनियां हैं।

6. राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन (एनएमईओ)-ऑयल पाम

भारत सरकार ने 2021 में एक नई केन्‍द्र प्रायोजित योजना, राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन (एनएमईओ)-ऑयल पाम (एनएमईओ-ओपी) शुरू की है, जिसका उद्देश्य देश को खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर बनाना है, जिसमें पूर्वोत्तर राज्यों और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पर विशेष ध्यान दिया गया है। इस मिशन के तहत 2021-22 से 2025-26 तक अगले 5 वर्षों में 11040 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ पूर्वोत्तर राज्यों में 3.28 लाख हेक्टेयर और शेष भारत में 3.22 लाख हेक्टेयर के साथ 6.5 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र को ऑयल पाम के रोपण के अंतर्गत लाया जाएगा।

7. नमो ड्रोन दीदी

सरकार ने हाल ही में 1261 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 2024-25 से 2025-26 की अवधि के लिए महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) को ड्रोन उपलब्ध कराने के लिए केन्‍द्रीय क्षेत्र की एक योजना को मंजूरी दी है। इस योजना का उद्देश्य कृषि उद्देश्य (उर्वरकों और कीटनाशकों के आवेदन) के लिए किसानों को किराये की सेवाएं प्रदान करने के लिए 15000 चयनित महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) को ड्रोन उपलब्ध कराना है। इस योजना के तहत, ड्रोन की खरीद के लिए महिला एसएचजी को ड्रोन और सहायक उपकरण/सहायक शुल्क की लागत का 80 प्रतिशत @ केन्‍द्रीय वित्तीय सहायता (अधिकतम 8.0 लाख रुपये तक) प्रदान की जाएगी। एसएचजी के क्लस्टर स्तरीय संघ (सीएलएफ) राष्ट्रीय कृषि इंफ्रा फाइनेंसिंग सुविधा (एआईएफ) के तहत शेष राशि (खरीद की कुल लागत माइनस सब्सिडी) ऋण के रूप में जुटा सकते हैं यह योजना स्वयं सहायता समूहों को स्थायी व्यवसाय और आजीविका सहायता भी प्रदान करेगी और वे प्रति वर्ष कम से कम 1.0 लाख रुपये की अतिरिक्त आय अर्जित करने में सक्षम होंगे। यह जानकारी केन्‍द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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