अब कृषि विवि व कॉलेजों में प्रवेश और पीएचडी के लिए जेईई, नीट की तरह राष्ट्रीय स्तर पर एक ही परीक्षा
कृषि में बीएससी के बाद सीधे पीएचडी
भोपाल। कृषि शिक्षा नीति में राष्ट्रीय स्तर पर कई बदलाव होने जा रहे हैं। नई शिक्षा नीति में एग्रीकल्चर की पढ़ाई के साथ वोकेशनल कोर्स में भी विद्यार्थी डिप्लोमा-डिग्री कर सकेंगे। बड़े बदलाव में कृषि में बीएससी के बाद सीधे पीएचडी की जा सकेगी। कृषि विवि व कॉलेजों में प्रवेश और पीएचडी के लिए जेईई, नीट की तरह राष्ट्रीय स्तर पर एक ही परीक्षा लेने की तैयारी है। अभी हर राज्य की अलग-अलग प्रवेश परीक्षा होती है।
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आइआइटी आइआइएम से संबंधित कोर्स भी शामिल किए जा रहे
यह नवाचार कृषि शिक्षा में विद्यार्थियों की रुचि बढ़ाने और उन्हें रोजगार देने वाला बनाने के लिए किया जा रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर कृषि शिक्षा में विद्यार्थियों का नामांकन अन्य शिक्षण संस्थानों की तुलना में महज एक प्रतिशत है। युवाओं को इससे जोडऩे के लिए पारंपरिक कृषि शिक्षा पद्धति में आइआइटी आइआइएम से संबंधित कोर्स भी शामिल किए जा रहे हैं। नए सत्र से इसी सिस्टम के तहत प्रवेश होंगे।
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अभी ये व्यवस्था
अभी कृषि में 4 साल की बीएससी होती है। फिर एमएससी के बाद पीएचडी के लिए यूनिवर्सिटी की प्रवेश परीक्षा पास करनी होती है। अब चार साल की बीएससी के साथ कृषि से जुड़े प्रौद्योगिकी प्रबंधन व तकनीकी शिक्षा में भी व्यावसायिक कोर्स किया जा सकेगा।
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जेईई, नीट की तरह परीक्षा
जेईई, नीट की तरह कृषि विवि व कॉलेजों में प्रवेश और पीएचडी के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक ही परीक्षा लेने की तैयारी है। अभी हर राज्य की अलग-अलग प्रवेश परीक्षा होती है। मप्र में प्री।एग्रीकल्चर टेस्ट से प्रवेश होता है।
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मप्र में दो विवि जबलपुर व ग्वालियर हैं तो 11 कृषि कॉलेज हैं। कृषि अनुसंधान एवं प्रबंधन अकादमी हैदराबाद के निदेशक डॉण् सीएच श्रीनिवासराव ने बताया कि नई शिक्षा नीति में कई बदलाव हुए हैं। इसको लेकर तेजी से काम हो रहा है। कृषि कॉलेज इंदौर के डीन डॉ शरद चौधरी बताते हैं कि कृषि में अब बीएससी के बाद पीएचडी हो सकेगी। व्यावसायिक कोर्स भी बीएससी के साथ हांगेे। यह नवाचार विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम है। कृषि संकायों में प्रवेश के लिए देशभर में एक ही परीक्षा लेने की तैयारी है।