कृषि अर्थशास्त्रियों के 32वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन : कृषि अर्थशास्त्रियों के 32वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 

कृषि अर्थशास्त्रियों के 32वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन : कृषि अर्थशास्त्रियों के 32वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 

सम्मेलन में सतत विकास की बढ़ोत्तरी कार्यक्रम पर ध्यान रहेगा: प्रो. रमेश चंद

नई दिल्ली, नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद आईसीएआर&राष्ट्रीय कृषि अर्थशास्त्र संस्थान में 2 अगस्त से 7 अगस्त तक होने वाले कृषि अर्थशास्त्रियों के 32वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को लेकर आज पूसा संस्थान नई दिल्ली में प्रेसवार्ता की। आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक, अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान दक्षिण एशिया के निदेशक शाहीदुर राशीद] सम्मेलन के सचिव पीके जोशी व डॉ] प्रताप एस बिरथल शामिल थे।
प्रो. रमेश चंद ने कृषि अर्थशास्त्रियों के 32वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन से पूर्व प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि कृषि अर्थशास्त्रियों की एसोसिएशन बहुत पुरानी है। भारत में सबसे पहले 1958 में यह सम्मेलन हुआ था और अब 66 साल के बाद होगा। 1958 में जब यह सम्मेलन हुआ तब देश ग़रीबी] भूखमरी आदि कई समस्याओं से जूझ रहा था। इस सम्मेलन में आये डेलीगेट्स अब एक बदला भारत देखेंगे। देश अब विकसित भारत की बात कर रहा है। विकसित भारत में प्रति व्यक्ति आय 12 & 13  हजार डॉलर है जो रियल टाइम में 18 हजार डॉलर 2047 तक बढ़ाने का लक्ष्य है। हम उसी पर फोक्सड हैं और उसी दिशा में काम कर रहे हैं। हम अब कृषि कमोडिटी से हटकर हॉलीस्टिक की तरफ जा रहे हैं। अब फोकस फूड सिस्टम अप्रोच और सतत विकास पर होगा। आने वाली पीढ़ी को ध्यान में रखते हुए काम करेंगे। सम्मेलन में सतत विकास की बढ़ोत्तरी कार्यक्रम पर ध्यान रहेगा। इस सम्मेलन का विषय है- स्थायी कृषि&खाद्य प्रणालियों की ओर परिवर्तन।

उन्होंने कहा कि सम्मेलन फूड सिस्टम पर ही केंद्रित होगा। यह अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन 2 अगस्त से 7 अगस्त तक होगा। इस सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। इस सम्मेलन में 925 लोग रजिस्टर कर चुके हैं 60&65 छात्रों को भी इस सम्मेलन में भाग लेने का अवसर मिल रहा है। कुल मिलाकर 1000 लोग इस सम्मेलन में शामिल होंगे। 75 देशों से 740 सदस्य इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए दुनिया की प्रमुख यूनिवर्सिर्टीज़] कृषि संस्थान एजीओ आ रहे हैं।

प्रोफेसर रमेश चंद ने कहा कि इस सम्मेलन में कुछ लक्ष्य रखे हैं दुनिया के अलग-अलग देशों से आये डेलीगेट्स के साथ युवा रिसर्चरज़ को अपने कान्टेक्ट बनाने का अवसर मिलेगा और उन कॉन्टेक्ट को वे प्रोफेशनल फायदे के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। कृषि से जुड़ी समस्यायें बहुत जटिल हो गई हैं हमें उनके लिए समाधान ढूंढना होगा। कुछ समाधान निकल कर आयेंगे। इस बात पर ध्यान रहेगा कि फूड सिस्टम को विकसित कर कैसे हेल्थ की तरफ जायें। उन्होंने बताया कि सम्मेलन में 45 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी होगी। इस सम्मेलन में प्रख्यात कृषि अर्थशास्त्रियों के व्याख्यान/लेक्चर] चर्चायें] प्रदर्शनी आदि होंगे।

डॉ. हिमांशु पाठक ने कहा कि इस सम्मेलन से कई आशायें हैं। 66 साल के बाद भारत में यह सम्मेलन होने जा रहा है। सम्मेलन में 45 प्रतिशत महिलायें भाग ले रही हैं। हम खाद्य प्रणाली के बारे में चर्चा करने जा रहे हैं। हम प्रोडक्शन से खाद्य प्रणाली में कैसे जायें इस पर चर्चा  होगी। इस विशेष सम्मेलन में 75 से अधिक देश एक दूसरे के साथ अनुभव साझा करने जा रहे हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का सतत विकास प्रमुख कार्यक्रम है। सम्मेलन में चर्चा होगी कि सभी विषयों को अर्थशास्त्र से कैसे जोड़ा जाये। 

शाहीदुर राशीद ने कहा कि इस सम्मेलन में सिस्टम ट्रांसफॉमेशन से  स्थायी खाद्य प्रणाली की ओर जाना है। खाद्य प्रणाली सबसे महत्वपूर्ण है और यह एक वैश्विक कार्यक्रम है।

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