काले टमाटर की खेती किसानों को कर सकती है मालामाल, जानिए कैसे करें खेती

काले टमाटर की खेती किसानों को कर सकती है मालामाल, जानिए कैसे करें खेती

भोपाल, भारत में खेती निरंतर प्रगति के पथ पर अगसर है किसान कम लागत में अधिक लाभप्रद खेती की तरफ तेजी से बढ रहा है। खेती में ज्यादा फायदे के लिए किसान नित नए प्रयोग कर रहा है।  इसी कडी में काले टमाटर की खेती अब हमारे देश में भी आम होती जा रही है। इससे किसानों अच्छी कीमत भी मिल रही है। 

शुरूआत इंग्लैंड में हुई

सबसे पहले काले टमाटर की खेती की शुरूआत इंग्लैंड में हुई है। इसका श्रेय रे ब्राउन को जाता है। उन्होंने जेनेटिक मुटेशन के द्वारा काले टमाटर को तैयार किया था। अब भारत में भी काले टमाटर की खेती  की शुरूआत हो चुकी है। यूरोप के मार्केट का ‘सुपरफूड’ कहा जाने वाली ‘इंडिगो रोज टोमेटाे’ की खेती में अब भारत के कई स्थानों पर सफलता पूर्वक हो रही है। काले टमाटर की खेती से प्रति हेक्टेयर 5 लाख का मुनाफा हो जाता है। जानिए  इसकी खेती की पूरी जानकारी... 

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खेती के लिए उचित जलवायु और जमीन
काले टमाटर की क़िस्म ठंडे स्थानों में ठीक से विकास नहीं कर पाती है। इसके लिए गर्म जलवायु वाला क्षेत्र उपयुक्त होता है। इसके खेती के लिए उचित जल निकासी वाली भूमि जिसका P.H. मान 6-7 के मध्य हो उपयुक्त होती है।

काले टमाटर की बुआई का समय एवं तापमान
जनवरी माह में पौध की बुआई की जाती है और गर्मियों यानी मार्च-अप्रैल के माह में किसान को काले टमाटर मिलने लगते हैं। काले टमाटर की खेती के लिए 10 से 30 डिग्री का तापमान उपयुक्त होता है, तथा 21 से 24 डिग्री तापमान पर पौधे ठीक से वृद्धि करते है। काले टमाटर के बीजो की रोपाई के लिए रोपाई से पहले नर्सरी की मिट्टी को भुरभुरा कर ले। इसके बाद बीजो को भूमि की सतह से 20 से 25 CM की ऊंचाई पर लगाना होता है। नर्सरी में बीजो की रोपाई के 30 दिन पश्चात् खेत में पौध रोपाई कर दे। भारत में इसकी खेती झारखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार के कई किसान कर रहे हैं।

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कहां मिलेगा बीज 
काले टमाटर की बीज अब भारत में आसानी से उपलब्ध है। इसके लिए बीज आप अमेजन, फ्लिपकार्ट, बिगहाट जैसी कंपनियों से ऑनलाइन मंगा सकते हैं। 

उन्नत किस्मे

-ब्लू चॉकलेट
-ब्लू गोल्ड फ़ारेनहाइट ब्लूज
-डांसिंग विथ स्मर्फस
-हेल्सिंग जंक्शन ब्लूज
-इंडिगो ब्लू बेरीज डार्क गैलेक्सी
-इंडिगो रोज़
-इंडिगो रब
-सनब्लैक
-पर्पल बंबलबी
-ब्लैक ब्यूटी
-ब्लू बायो

नर्सरी तैयार करने की विधि
बीज की रोपाई से पहले मिट्टी को भुरभुरी बना लें। इसके बाद बीज की रोपाई भूमि की सतह से 20 से 25 सेंटीमीटर की ऊंचाई पर करें। नर्सरी में बीज की रोपाई के करीब 30 दिनों बाद पौधे रोपाई कर दें।

सिंचाई प्रबंधन 
आवश्यकता के अनुसार सिंचाई करें। टपक विधि से सिंचाई टमाटर की खेती के लिए काफी उपयुक्त होता है। मिट्टी में नमी की कमी न होने दें। सिंचाई के बाद यदि मिट्टी सूखी लगे तो खुरपी की सहायता से मिट्टी की ढीली कर खरपतवार निकाल दें। खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करें।

उर्वरक प्रबंधन
अच्छी पैदावार के लिए प्रति हेक्टेयर 100 किलो नाइट्रोजन 60 किलो सल्फर और 60 किलो पोटाश की जरूरत होती है। खाद देते समय ध्यान रहें कि रोपाई के समय यूरिया की जगह आप दूसरी मिश्रित खाद या अमोनियम सल्फेट का प्रयोग करें। इसके लिए जैविक खाद बहुत ही फायदेमंद होता है। नर्सरी और पौध की रोपाई के समय कंपोस्ट और गोबर की खाद जरूर दें। 

काला टमाटर की खासियत
काला टमाटर में लाल टमाटर के मुकाबले अधिक औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसे लंबे समय तक ताजा रखा जा सकता है। अलग रंग और गुण होने के कारण इसकी कीमत बाजार में लाल टमाटर के मुक़ाबले अधिक है।  

लागत एवं मुनाफा
इसकी खेती में भी उतना ही खर्च आता है, जितना लाल टमाटर की खेती में होता है। केवल बीज का खर्च अधिक पड़ता है। इसकी खेती में खर्च निकालकर प्रति हेक्टेयर 4-5 लाख का मुनाफा हो सकता है। काले टमाटर की पैकिंग और ब्रांडिंग भी मुनाफे को बढ़ा देती है। पैकिंग करके आप इसे बड़े महानगरों में बिक्री के लिए भेज सकते हैं। इसके आकर्षक रंग को देखकर ग्राहकों की उत्सुकता खरीदने में और बढ़ जाती है।

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