नई दिल्ली, देश में खरीफ सीजन में धान की आवक 1-20 अक्टूबर के बीच घटकर 18 साल के सबसे निचले स्तर पर है। धान के प्रमुख उत्पादक राज्य हरियाणा, पंजाब सहित दक्षिणी राज्यों में असामान्य बारिश से धान की कटाई प्रभावित हुई है। कृषि विशेषज्ञों ने पुष्टिकरण किया है कि खरीफ सीजन के अंत तक असामान्य रहे मौसम, फसल में लगी बीमारियों और उनके उपचार के कारण कई राज्यों और जिलों में लगभग 90 प्रतिशत धान की फसल खेत में कटाई के लिए खड़ी हुई है। इससे खरीद की आधिकारिक शुरुआत के 23 दिन बाद, अब तक मंडियों में बने क्रय केंद्रों पर धान की आवक सरकारी अनुमानों के अनुरूप नहीं हुई ।
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पंजाब-हरियाणा में धान खरीद केंद्रों पर पहंच रही कम उपज
पंजाब में लुधियान, पटियाला सहित कई जिलों में इस साल धान की कटाई देर से शुरू हो रही है. एशिया की सबसे बड़ी अनाज मंडी खन्ना में धान लेकर किसान पहुंच रहे हैं ।
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मलौद मंडी में सरकारी केंद्रों पर सोमवार तक लगभग 3000 टन धान की खेप पहुंच चुकी है । कृषि विशेषज्ञ सितंबर माह में भारी बारिश और धान के पौधों को लगने वाली काली बीमारी (एसआरबीएसडीवी) को धान की कटाई में देरी की वजह मान रहे हैं. वहीं, हरियाणा में भी लगभग यही स्थिति है। राज्य की मंडियों में 1 अक्टूबर से एमएसपी पर धान की खरीद शुरू की जा चुकी है।
धान की बिक्री में परेशानी नहीं होगी: डीसी
पंजाब के सरकारी खरीद केंद्रों की उपायुक्त सुरभि मलिक का कहना है कि हम सभी दुकानों पर धान की सुचारू खरीद सुनिश्चित कर रहे हैं। किसानों को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होने दी जाएगी। केंद्रों पर धान बेचने आ रहे किसानों को समय पर भुगतान किया जा रहा है। मंडियों में आने वाले किसानों को असुविधा न हो इसके इंतजाम किए गए हैं।
तमिलनाडु की स्थिति
कावेरी डेल्टा में धान की खेती करने वाले किसान भी कटाई में देरी की वजह से फसल को खरीद केंद्रों पर सरकारी अनुमान के अनुसार नहीं पहुंचा पा रहे हैं. राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि मौसम की मार झेल रहे तमिलनाडु के किसानों के लिए धान की खरीद पर अतिरिक्त 5 प्रतिशत का कैप बढ़ाया जाए।