प्रदेश में नर्मदा किनारे लगाए जाएंगे ऑक्सीजन देने वाले पौधे
भोपाल, मप्र की लाइफलाइन नर्मदा नदी के कैचमेंट में सिर्फ 38 प्रतिशत ही वनक्षेत्र रह गया है। इसमें भी 20 प्रतिशत से 25 प्रतिशत वनक्षेत्र खराब हो गया है। सबसे ज्यादा नुकसान होशंगाबाद और निमाड़ के खंडवा व इंदौर में हो रहा है, जबकि डिंडोरी में 38 हजार हैक्टेयर बिगड़े वनों का सुधार हुआ। विशेषज्ञ नर्मदा के कैचमेंट में वन क्षेत्र घटना सही नहीं मान रहे हैं। इसीलिए मप्र ग्रीन इंडिया मिशन के तहत प्रदेश के 8 जिलों में नर्मदा किनारे 14 नगर वन और एक नगर वाटिका विकसित किया जाएगा। राज्य की बढ़ती आबादी और क्लाइमेट चेंज के असर को कम करने बनाए जा रहे नगर वन शहरों के लिए ऑक्सीजन बैंक का काम करेंगे।
नर्मदा के कैचमेंट में पिछले कुछ सालों में कितना वनक्षेत्र कम हुआ है इसकी जानकारी जुटाई जा रही है। यहां बता दें कि नर्मदा नदी का कुल कैचमेंट 98,796 वर्ग किमी है। इसमें से मप्र के हिस्से में 85,149 वर्ग किमी क्षेत्र आता है जो 87 प्रतिशत है। इसी में 32 हजार 400 वर्ग किमी (38 प्रतिशत) फॉरेस्ट एरिया है। हर साल मप्र में पौधरोपण होता है। वर्ष 1970-80 के दौरान 400 हैक्टेयर क्षेत्र में यूकेलिप्टस के पौधे लगाए गए थे। इन्हें अब हटाया जा रहा है। दो सौ हैक्टेयर के यूके लिप्टस काट दिए गए हैं। बाकी भी इस साल कटेंगे। इसके बदले में साल, सागौन, आंवला, महुआ, अचार, हर्रा और स्थानीय प्रजाति के पेड़ लगाए जाएंगे।
ऑक्सीजन देने वाले पौधे लगाने पर जोर
मप्र ग्रीन इंडिया मिशन के तहत प्रदेश के 8 जिलों में नर्मदा किनारे ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन देने वाले पौधे लगाए जाएंगे। इन्हें अगले पांच साल में विकसित करने की योजना है। सबसे ज्यादा 7 नगर वन खरगोन जिले में विकसित किए जाएंगे। यहां लोग प्रकृति का आनंद तो लेंगे ही, सेहत का ख्याल भी रख सकेंगे। वन विभाग ने इसके लिए जगह चिह्नित कर ली है। नगर वन और वाटिका 3 एकड़ से 50 हेक्टेयर भूमि पर तैयार किए जाएंगे। इसमें पहाड़ी और मैदानी दोनों क्षेत्र को शामिल किया जा रहा है। वहीं जबलपुर, कटनी, सिंगरोली और रतलाम में जमीन को लेकर कुछ परेशानी है। देवास, भोपाल, ग्वालियर और सागर में नगर वन विकसित किए जा रहे हैं। इंदौर में देवगुराडिय़ा पहाड़ी पर 100 हेक्टेयर में नगर वन विकसित किया जाएगा। इसके लिए 58 लाख स्वीकृत किए गए हैं। नर्मदापुरम में 13 हेक्टेयर में 52 लाख से नर्मदा हर्बल पार्क तैयार होगा। अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक, ग्रीन इंडिया मिशन एसपी शर्मा का कहना है कि प्रदेश में 14 नगर वन और एक नगर वाटिका विकसित की जाएगी। नर्मदा नदी किनारे प्रदेश के 8 जिलों में 406.30 हेक्टेयर में 16.20 करोड़ से ये काम होगा। ये नगर वन शहर के लिए ऑक्सीजन बैंक का काम करेंगे।
नर्मदा का कैचमेंट एरिया पूरी तरह जंगल से भरा होना जरूरी
सेवानिवृत्त एपीसीसीएफ ललित सूद का कहना है कि नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने 1985 से 2005 तक नर्मदा पर बने बांधों के डूब क्षेत्र के बदले वैकल्पिक पौधरोपण किया। यह आज भी बेहतर है। लेकिन तब जरूरत के मुताबिक राशि खर्च नहीं हो पाती थी। नर्मदा के कैचमेंट में वन विभाग अब पौधे लगा रहा है तो यह अच्छी चीज है। वैसे केंद्र सरकार की गाइड लाइन कहती है कि जहां कुल क्षेत्र का 33 फीसदी वन क्षेत्र है तो वह बेहतर स्थिति है, लेकिन नर्मदा के कैचमेंट में फॉरेस्ट एरिया पूरी तरह जंगल से भरा होना अच्छा होगा। उधर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने देशभर में 200 नगर वन तैयार करने की घोषणा की थी। मप्र ग्रीन इंडिया मिशन ने पहले फेज में भोपाल के कलियासोत और ग्वालियर में नगर वन विकसित करने की योजना बनाई। भोपाल के लिए 2 करोड़ का बजट आवंटित किया गया है। इसके बाद 9 नगर वन तैयार करने की योजना बनाई गई। केंद्र से इस योजना में 34.32 करोड़ का फंड स्वीकृत किया गया है। इनमें वॉकिंग और जॉगिंग ट्रैक बनाए जाएंगे। योग के लिए स्थान उपलब्ध रहेगा। इस पर कारपेट ग्रास लगाई जाएगी। लोगों को पेड़, पौधों और वन्यप्राणियों के बारे में जानकारी देने व्याखानमाला बनाई जाएगी।