होम किसानों के अनुभव कृषि यंत्र कृषि योजनाएं खेती किसानी पंचायत की योजनाएं पशुधन
मेन्यू
Jagatgaon Logo
Home Videos Web Stories
E Paper
पंचायत की योजनाएं खेती किसानी कृषि योजनाएं कृषि यंत्र किसानों के अनुभव पशुधन मप्र/छत्तीसगढ़ वैज्ञानिकों के विचार सक्सेस स्टोरी लाइफस्टाइल

Bundelkhan में ‘श्वेत क्रांति’ लाएगा gokul ग्राम  

अनिल दुबे
सागर, देश में सूखे के लिए चर्चित बुंदेलखंड को बड़ी सौगात मिली है। केन-बेतवा लिंक के जरिए खेतों में पानी पहुंचाने के लक्ष्य के बाद केंद्र और राज्य सरकार ने बुंदेलखंड में ‘श्वेत क्रांतिÓ का बीड़ा उठाया है। यहां देसी गायों के संरक्षण और पशुपालन को किसानों की आय का प्रमुख जरिया बनाने को लेकर केंद्र और राज्य सरकार ने यहां गोकुल ग्राम की स्थापना की है। इसके जरिए बुंदेलखंड में थारपारकर, साहीवाल, गिरी सहित अन्य उच्च दुग्ध उत्पादन नस्ल की भैंस का वंश तैयार होगा।  

दरअसल, केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश का पहला गोकुल ग्राम सागर जिले के रतौना में बनाने का फैसला किया है। इसके लिए राज्य सरकार ने 500 एकड़ जमीन का अलॉटमेंट कर दिया है। इस जमीन पर 600 देसी भारतीय गायों के रहने की व्यवस्था होगी। गौरतलब है कि अभी देश में कुल 20 गोकुल ग्राम हैं। एक गाय के लिए यहां पर रहने, खाने और इलाज की सुविधाएं जुटाने में लगभग एक लाख 70 हजार रुपए खर्च होंगे मतलब गोकुल ग्राम में गायों के लिए कुल दस करोड़ खर्च किए जाएंगे। कंस्ट्रक्शन का काम भी शुरू हो हो गया है। हालांकि लॉकडाउन की वजह से गति धीमी है। अगर लॉकडाउन नहीं होता तो अब तक गोकुल ग्राम बनकर तैयार हो जाता। यहां पर गायों, बछिया और बछड़ों के लिए अलग-अलग शेल्टर बनाए गए हैं। इन्हें ऐसे बनाया बनाया गया है ताकि गौवंश के लिए ये आरामदायक हों, उनका वेंटिलेशन ठीक से हो।  अब मध्य प्रदेश पहला ऐसा राज्य हो जो गायों के लिए इस तरह का ग्राम बसने जा रहा है। 

-मध्य क्षेत्र का पहला गोकुल ग्रांम सागर का रतौना गांव
-केंद्र से मिल चुकी प्रदेश को राशि
-डेयरी विस्थापन में प्रशासन को होगी आसानी
-गायों के संरक्षण पर राज्य व केंद्र सरकार का पूरा फोकस

अभी 300 गाय, 150 भैंस

अधिकारियों ने बताया कि शुरुआत में थारपारकर नस्ल की गाय गोकुल ग्राम में रखी जाएंगी। इस प्रजाति को बढ़ावा देने के लिए विशेष कार्य किए जाएंगे। फिलहाल में इस प्रजाति की करीब 300 से ऊपर गाय हैं। इसके अलावा डेढ़ सौ के करीब उच्च क्वालिटी की भैंस भी हैं। इसकी खास बात एक यह भी होगी कि यहां पर सिर्फ चुनिंदा गाय ही रखी जाएंगी। मतलब एक ही नस्लों की गाए और सांड होंगे। इन नस्लों की क्रॉस ब्रीडिंग नहीं कराई जाएगी। 

दूध उत्पादन पर फोकस

गोकुल ग्राम में गाय उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात जैसे दूसरे राज्यों से लाई जाएंगी। यहां पर 600 गायों में से साठ फीसदी गाय उत्पादन वाली और 40 फीसदी उत्पादन न करने वाले पशु होंगे। इन गायों को कृत्रिम गर्भ धारण कराया जाएगा। गायों के लिए यहां कोरांटीन शेड्स बन गए हैं। अधिकारियों ने बताया कि गोकुल ग्राम बसाने के पीछे उद्देश्य है कि भारतीय देसी गायों की नस्लों का संरक्षण हो सके। 

भारतीय गायों का होगा सेंटर

गोकुल ग्राम विकसित होने के बाद यहां एक एकीकृत भारतीय देसी गायों का सेंटर बनाया जाएगा। यहां पर भारतीय देसी गायों को तैयार करके किसानों और गाय पालकों को उपलब्ध कराई जाएंगी। गोकुल ग्राम के संचालन में अरने वाला खर्च गायों का दूध, जैविक खाद, वर्मी खाद, गौमूत्र बेचकर निकाला जाएगा।  

देशी गायों का होगा संरक्षण

राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत प्रदेश का पहला पशु प्रजनन और कृषक एवं कृत्रिम गर्भाधान प्रशिक्षण केन्द्र सागर के रतौना में शुरू किया गया है। 15 करोड़ की लागत से तैयार किए गए केन्द्र का शुभारंभ हाल ही में प्रदेश के पशुपालन मंत्री प्रेम सिंह पटेल ने किया। यहां 9 करोड़ 70 लाख की लागत से पशु प्रजनन प्रक्षेत्र, 5 करोड़ से कृषक एवं कृत्रिम गर्भाधान प्रशिक्षण संस्थान, छात्रावास, प्रशासनिक भवन और पशु शेड तैयार किया गया है। 

13 राज्यों में गोकुल ग्राम 

देश में 13 राज्यों में 20 जगह गोकुल मिशन शुरू किया गया है, जिसमें बुंदेलखंड के सागर जिले के रतौना का चयन किया गया है। इससे यहां के पशुपालकों को लाभ मिलेगा। देसी गायों की नस्ल सुधार व दूध उत्पादन में वृद्धि के लिए कार्य किए जाएंगे। इससे रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। 

गौ उत्पाद केंद्र बनेगा गोकुल ग्राम  

गोकुल ग्राम को गाय उत्पाद का केंद्र बनाया जाएगा। यहां बायोगैस प्लांट से बिजली और सीएनजी उत्पादन भी किया जाएगा। वर्मी कंपोस्ट यानी अच्छी गुणवत्ता की खाद तैयार की जाएगी। गौमूत्र से फिनायल और दवाएं बनाई जाएंगी। गोकुल ग्राम को गौ उत्पाद केंद्र के साथ-साथ गाय अनुसंधान केंद्र के रूप में भी विकसित किया जाएगा।

देश में होंगे 21 गोकुल ग्राम

गत 21 जून 2019 को राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत समेकित मवेशी विकास केंद्र के रूप में 21 गोकुल ग्रामों की स्थापना के लिए राशि मंजूर की गई है। अभी चार गोकुल ग्राम वाराणसी, मथुरा, पटियाला और फोरा में स्थापित हो चुके हैं। शेष 17 गोकुल ग्रामों में काम चल रहा है। योजना के तहत  आंधप्रदेश में एक, अरुणाचल प्रदेश में एक, बिहार में एक, छत्तीसगढ़ में दो, गुजरात में तीन, हरियाणा में एक, हिमाचल में एक, कर्नाटक में एक, महाराष्ट्र में तीन, मध्यप्रदेश में एक, पंजाब में एक, उत्तर प्रदेश में तीन, उत्तराखंड में एक और तेलंगाना में एक कुल 21 गोकुल ग्राम स्थापित किए जाएंगे।

इनका कहना है
यह केंद्र 1 सितंबर 2019 में बना है। यहां पर फिलहाल 425 पशु हैं, जिनमें से 310 गौवंश और 115 भैंस वंश हैं। केंद्र का सबसे ज्यादा जोर बछिया की संख्या बढ़ाने पर है। इसके लिए यहां सभी जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है। यहां पर थारपारकर नस्ल के गौवंश को बढ़ावा देने पर अधिक फोकस है।
-डॉ. एसके पचौरी, प्रभारी, गोकुल ग्राम रतौना, सागर

Bundelkhan में ‘श्वेत क्रांति’ लाएगा gokul ग्राम  

अनिल दुबे
सागर, देश में सूखे के लिए चर्चित बुंदेलखंड को बड़ी सौगात मिली है। केन-बेतवा लिंक के जरिए खेतों में पानी पहुंचाने के लक्ष्य के बाद केंद्र और राज्य सरकार ने बुंदेलखंड में ‘श्वेत क्रांतिÓ का बीड़ा उठाया है। यहां देसी गायों के संरक्षण और पशुपालन को किसानों की आय का प्रमुख जरिया बनाने को लेकर केंद्र और राज्य सरकार ने यहां गोकुल ग्राम की स्थापना की है। इसके जरिए बुंदेलखंड में थारपारकर, साहीवाल, गिरी सहित अन्य उच्च दुग्ध उत्पादन नस्ल की भैंस का वंश तैयार होगा।  

दरअसल, केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश का पहला गोकुल ग्राम सागर जिले के रतौना में बनाने का फैसला किया है। इसके लिए राज्य सरकार ने 500 एकड़ जमीन का अलॉटमेंट कर दिया है। इस जमीन पर 600 देसी भारतीय गायों के रहने की व्यवस्था होगी। गौरतलब है कि अभी देश में कुल 20 गोकुल ग्राम हैं। एक गाय के लिए यहां पर रहने, खाने और इलाज की सुविधाएं जुटाने में लगभग एक लाख 70 हजार रुपए खर्च होंगे मतलब गोकुल ग्राम में गायों के लिए कुल दस करोड़ खर्च किए जाएंगे। कंस्ट्रक्शन का काम भी शुरू हो हो गया है। हालांकि लॉकडाउन की वजह से गति धीमी है। अगर लॉकडाउन नहीं होता तो अब तक गोकुल ग्राम बनकर तैयार हो जाता। यहां पर गायों, बछिया और बछड़ों के लिए अलग-अलग शेल्टर बनाए गए हैं। इन्हें ऐसे बनाया बनाया गया है ताकि गौवंश के लिए ये आरामदायक हों, उनका वेंटिलेशन ठीक से हो।  अब मध्य प्रदेश पहला ऐसा राज्य हो जो गायों के लिए इस तरह का ग्राम बसने जा रहा है। 

-मध्य क्षेत्र का पहला गोकुल ग्रांम सागर का रतौना गांव
-केंद्र से मिल चुकी प्रदेश को राशि
-डेयरी विस्थापन में प्रशासन को होगी आसानी
-गायों के संरक्षण पर राज्य व केंद्र सरकार का पूरा फोकस

अभी 300 गाय, 150 भैंस

अधिकारियों ने बताया कि शुरुआत में थारपारकर नस्ल की गाय गोकुल ग्राम में रखी जाएंगी। इस प्रजाति को बढ़ावा देने के लिए विशेष कार्य किए जाएंगे। फिलहाल में इस प्रजाति की करीब 300 से ऊपर गाय हैं। इसके अलावा डेढ़ सौ के करीब उच्च क्वालिटी की भैंस भी हैं। इसकी खास बात एक यह भी होगी कि यहां पर सिर्फ चुनिंदा गाय ही रखी जाएंगी। मतलब एक ही नस्लों की गाए और सांड होंगे। इन नस्लों की क्रॉस ब्रीडिंग नहीं कराई जाएगी। 

दूध उत्पादन पर फोकस

गोकुल ग्राम में गाय उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात जैसे दूसरे राज्यों से लाई जाएंगी। यहां पर 600 गायों में से साठ फीसदी गाय उत्पादन वाली और 40 फीसदी उत्पादन न करने वाले पशु होंगे। इन गायों को कृत्रिम गर्भ धारण कराया जाएगा। गायों के लिए यहां कोरांटीन शेड्स बन गए हैं। अधिकारियों ने बताया कि गोकुल ग्राम बसाने के पीछे उद्देश्य है कि भारतीय देसी गायों की नस्लों का संरक्षण हो सके। 

भारतीय गायों का होगा सेंटर

गोकुल ग्राम विकसित होने के बाद यहां एक एकीकृत भारतीय देसी गायों का सेंटर बनाया जाएगा। यहां पर भारतीय देसी गायों को तैयार करके किसानों और गाय पालकों को उपलब्ध कराई जाएंगी। गोकुल ग्राम के संचालन में अरने वाला खर्च गायों का दूध, जैविक खाद, वर्मी खाद, गौमूत्र बेचकर निकाला जाएगा।  

देशी गायों का होगा संरक्षण

राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत प्रदेश का पहला पशु प्रजनन और कृषक एवं कृत्रिम गर्भाधान प्रशिक्षण केन्द्र सागर के रतौना में शुरू किया गया है। 15 करोड़ की लागत से तैयार किए गए केन्द्र का शुभारंभ हाल ही में प्रदेश के पशुपालन मंत्री प्रेम सिंह पटेल ने किया। यहां 9 करोड़ 70 लाख की लागत से पशु प्रजनन प्रक्षेत्र, 5 करोड़ से कृषक एवं कृत्रिम गर्भाधान प्रशिक्षण संस्थान, छात्रावास, प्रशासनिक भवन और पशु शेड तैयार किया गया है। 

13 राज्यों में गोकुल ग्राम 

देश में 13 राज्यों में 20 जगह गोकुल मिशन शुरू किया गया है, जिसमें बुंदेलखंड के सागर जिले के रतौना का चयन किया गया है। इससे यहां के पशुपालकों को लाभ मिलेगा। देसी गायों की नस्ल सुधार व दूध उत्पादन में वृद्धि के लिए कार्य किए जाएंगे। इससे रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। 

गौ उत्पाद केंद्र बनेगा गोकुल ग्राम  

गोकुल ग्राम को गाय उत्पाद का केंद्र बनाया जाएगा। यहां बायोगैस प्लांट से बिजली और सीएनजी उत्पादन भी किया जाएगा। वर्मी कंपोस्ट यानी अच्छी गुणवत्ता की खाद तैयार की जाएगी। गौमूत्र से फिनायल और दवाएं बनाई जाएंगी। गोकुल ग्राम को गौ उत्पाद केंद्र के साथ-साथ गाय अनुसंधान केंद्र के रूप में भी विकसित किया जाएगा।

देश में होंगे 21 गोकुल ग्राम

गत 21 जून 2019 को राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत समेकित मवेशी विकास केंद्र के रूप में 21 गोकुल ग्रामों की स्थापना के लिए राशि मंजूर की गई है। अभी चार गोकुल ग्राम वाराणसी, मथुरा, पटियाला और फोरा में स्थापित हो चुके हैं। शेष 17 गोकुल ग्रामों में काम चल रहा है। योजना के तहत  आंधप्रदेश में एक, अरुणाचल प्रदेश में एक, बिहार में एक, छत्तीसगढ़ में दो, गुजरात में तीन, हरियाणा में एक, हिमाचल में एक, कर्नाटक में एक, महाराष्ट्र में तीन, मध्यप्रदेश में एक, पंजाब में एक, उत्तर प्रदेश में तीन, उत्तराखंड में एक और तेलंगाना में एक कुल 21 गोकुल ग्राम स्थापित किए जाएंगे।

इनका कहना है
यह केंद्र 1 सितंबर 2019 में बना है। यहां पर फिलहाल 425 पशु हैं, जिनमें से 310 गौवंश और 115 भैंस वंश हैं। केंद्र का सबसे ज्यादा जोर बछिया की संख्या बढ़ाने पर है। इसके लिए यहां सभी जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है। यहां पर थारपारकर नस्ल के गौवंश को बढ़ावा देने पर अधिक फोकस है।
-डॉ. एसके पचौरी, प्रभारी, गोकुल ग्राम रतौना, सागर

Join WhatsApp

Join Now

Leave a Comment