जबलपुर में बनाया गया प्रदेश का पहला डेयरी स्टेट, पशुपालन मंत्री ने किया लोकार्पण

जबलपुर में बनाया गया प्रदेश का पहला डेयरी स्टेट, पशुपालन मंत्री ने किया लोकार्पण

प्रवीन नामदेव
जबलपुर। जिले में मध्य प्रदेश की पहली डेयरी स्टेट की स्थापना की गई है। 50 एकड़ क्षेत्र में स्थापित डेयरी स्टेट में डेयरियों के संचालन के लिए 70 आवेदकों को जमीनों का आवंटन कर दिया गया है। यहां डेयरी उद्योग की सुविधा से जुड़े सभी संसाधन भी जुटाए गए है।

डेयरी स्टेट का लोकार्पण हुआ
डेयरियों को शहरी सीमा से दूर रखने और व्यवस्थित एस्टेट बनाने की दिशा में सरकार ने अहम कदम उठाते हुए डेयरी स्टेट की स्थापना की है। एक समारोह में प्रदेश के पशुपालन मंत्री प्रेम सिंह पटेल, मध्य प्रदेश राज्य पशुधन और कुक्कुट विकास निगम के अध्यक्ष जसवंत जाटव और मध्य प्रदेश राज्य गौ पालन एवं गौ संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वर आनंद गिरि महाराज की उपस्थिति में डेयरी स्टेट का लोकार्पण किया गया।

10 करोड़ की लागत से तैयार हुआ
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम द्वारा बरेला के ग्राम खमरिया में डेयरी स्टेट परियोजना को आकार दिया गया है। करीब 10 करोड़ रुपए की लागत से 50 एकड़ भूमि पर डेयरी स्टेट बनकर तैयार हो गया है। आमंत्रित अतिथियों ने कहा है कि प्रदेश का पहला डेयरी स्टेट जबलपुर में स्थापित होने के बाद डेयरी व्यवसाय को व्यवस्थित स्वरूप मिलेगा। इसके साथ ही रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। अतिथियों ने उम्मीद जताई है कि डेयरी स्टेट की स्थापना होने से डेयरियों का दूषित जल नदियों में नहीं मिलेगा।

क्या क्या सुविधा है
खास बात यह है कि इस डेयरी स्टेट में डेयरी संचालकों को वह तमाम तरह की सुविधाएं दी जाएंगी जिनकी उन्हें जरूरत होगी। डेयरी स्टेट में सीमेंट, सड़क, स्ट्रीट लाइट और 2 लाख लीटर पानी की व्यवस्था की गई है। यहां तक कि डेयरी स्टेट में पशुओं के लिए इलाज और दवा की सुविधा भी मौजूद रहेगी. डेयरी संचालकों को आकर्षित करने के लिए विभाग ने सिर्फ 50 पैसे प्रति वर्गफीट/माह की दर पर डेयरी के लिए जमीन मुहैया कराई है।

गोबर गैस प्लांट भी लगा है
इस डेयरी स्टेट की सबसे खास बात यह है कि यहां न केवल डेयरियों का संचालन किया जाएगा, बल्कि डेयरियों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ का भी ग्रीन एनर्जी बनाने में उपयोग किया जाएगा। इसके लिए एक गोबर गैस प्लांट लगाया गया है, जहां से निकलने वाली गैस का इस्तेमाल कर बिजली बनाई जाएगी और फिर ऑर्गेनिक खाद को भी तैयार किया जाएगा। यह खाद किसानों को बेहद कम दरों पर उपलब्ध कराई जाएगी।

दरअसल जबलपुर की नर्मदा,परियट और गौर नदी के किनारे जो डेयरियां संचालित हो रही हैं, उनसे नदियों में प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है. इस मुद्दे को हाईकोर्ट और फिर एनजीटी में चुनौती भी दी गई है, जहां यह आदेश दिए गए कि डेयरियों को शहर के बाहर विस्थापित किया जाए।