ठंड के मौसम में बकरी के बच्चों की कैसे करें देखभाल, जानिए क्या कहते हैं पशु वैज्ञानिक
भोपाल। जब एक बकरी बच्चा देती है तो वो पशुपालक का मुनाफा होता है। उसी बच्चे को निरोगी रख पाल पोसकर जब बड़ा करेंगे तो वो मुनाफा उतना ही मोटा होता जाएगा। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि बच्चे के जन्म से पहले ही उसका ख्याल रखा जाए और तमाम तरह की बीमारियों समेत मौसम से बचाया जाए।
असल मुनाफा बकरी के बच्चों से
बकरी पालन में असल मुनाफा बकरी के बच्चों से होता है। सालभर जितने बच्चे मिलेंगे उतना ही मोटा मुनाफा होगा। ये बकरी पालन में मुनाफे की बुनियाद भी होते हैं। लेकिन बकरी के बच्चे मुनाफे में तब बदलते हैं जब उनकी मृत्यु दर को कम या फिर पूरी तरह से कंट्रोल किया जाए। केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के साइंटिस्ट की मानें तो मृत्यु दर कम करने की तैयारी बकरी के गर्भधारण से ही शुरू हो जाती है। साथ ही बच्चा पैदा होने के कम से कम 15 दिन तक खास देखभाल करनी होती है।
सर्दी के मौसम में देखभाल
बकरी के बाड़े में भी खास तैयारी करनी होती है। बच्चे के खानपान का भी ख्याल रखना होता है। ये सब करने से ही बच्चे में बीमारी से लडऩे की ताकत पैदा होती है। अगर इस सब का पालन किया तो फिर सर्दी के मौसम में बच्चे ठंड से बार-बार बीमार नहीं पड़ेंगे।
बकरी का गर्भकाल पांच महीने का
सीआईआरजी के साइंटिस्ट डॉ. गोपाल दास ने किसान तक को बताया कि बकरी का गर्भकाल पांच महीने का होता है। आखिरी के 45 दिन बकरी के खानपान में हरा चारा, सूखा चारा और दाना शामिल होना चाहिए। इसका फायदा बकरी के होने वाले बच्चे को भी मिलेगा। बच्चे हैल्थी होंगे। बीमारी से लड़ सकेंगे। बकरी दूध भी ज्यादा देगी। इससे बच्चों को भी भरपूर दूध पीने को मिलेगा। बच्चा देने के तीन-चार दिन तक बकरी जो कोलस्ट्रम यानि खीज वाला दूध देती है। इस दूध में चार गुना तक प्रोटीन होता है। साथ ही एक खास इम्यू्नोग्लोबीलिन प्रोटीन भी होता है, जो बच्चों को बीमारी से लडऩे की ताकत देता है।
जन्म के पांच-छह दिन बच्चे को झुंड से अलग रखें
कभी-कभी ऐसा भी होता है कि बकरी बच्चा देने के बाद उसे अपना दूध नहीं पिलाती है। ऐसे में बच्चे को उस दूसरी बकरी का दूध भी पिलाया जा सकता है जिसने उसी के आसपास बच्चा दिया हो। जन्म के करीब पांच-छह दिन तक बकरी और बच्चे को दूसरी बकरियों के झुंड से अलग अकेले में रखें। इससे होगा ये कि बकरी अपने बच्चे को ठीक तरह से पहचान लेगी। बच्चे को पहले 15 दिन सिर्फ बकरी के दूध पर ही रखें। बच्चे मिट्टी ना खाएं इसके लिए उनके आसपास हमेशा लाहौरी (सैंधा) नमक की डेली रखें।
निमोनिया बच्चों की जान ले सकता है
साइंटिस्ट डॉ. गोपाल दास ने बताया कि सर्दी के मौसम में दो महीने तक के बच्चों की खास देखभाल बहुत जरूरी हो जाती है। क्योंकि ठंड के मौसम में बच्चों को निमोनिया जकड़ लेता है। निमोनिया इतना खतरनाक हो जाता है कि बच्चों की जान तक ले लेता है। इसलिए बच्चों को ठंड से बचाना बहुत जरूरी हो जाता है। इसलिए ठंड का मौसम शुरू होते ही बच्चों को ठंडी हवा से बचाएं। शेड को तिरपाल या जूट की बोरी से चारों तरफ से ढक दें।
15 दिन के बाद बच्चों को दाना खिलाना शुरू कर दें
जमीन पर भी सूखी घास बिछा दें। समय-समय पर घास को बदलते रहें, क्यों कि बच्चों के यूरिन से घास गीली हो जाती है। शेड में डेली वाले चूने का छिड़काव करें। चूना गर्मी पैदा करता है। साथ ही चूना छिड़कने से शेड में कीटाणु भी मर जाते हैं। 15 दिन के बाद बच्चों को दाना खिलाना शुरू कर दें।