बालाघाट के किसानों ने सीखी उन्नत तकनीकी
बालाघाट, सबमिषन आनॅ लाईन एग्रीकल्चर एक्सटेंसन आत्मा अंतर्गत राज्य के अंदर कृषक प्रषिक्षण कैफेटेरिया कार्यक्रम के तहत जिला बालाघाट क विभिन्न विकास खण्डों बैहर, परसवाड़ा, लालबर्रा, वारासिवनी आदि के 21 कृषक परियोजना संचालक श्री सी आर गौर जिला बालाघाट, श्री एस के सोने, सुश्री अर्चना डोंगरे, उपपरियोजना संचालक, के माध्यम से बी.टी.एम. हरीष बर्वे द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्र मण्डला में 5 दिवसीय आवासीय प्रषिक्षण कृषि की उन्न्त तकनीकी के ज्ञानार्जन हेतु आए थे।
इस कार्यक्रम में कृषकों को मधुमक्खी पालन का सैद्धांतिक एवं व्यवहारिक ज्ञान निसार कुरैषी द्वारा प्रदया किया गया केन्द्र के वैज्ञानिकों डा. विषाल मेश्राम, डा. आर पी अहिरवार, डा. प्रणय भारती, श्री नील कमल पन्द्रे, कु केतकी धूमकेती द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्र में स्थापित खेती की समन्वित कृषि प्रणाली जैविक उत्पादन, मषरूम उत्पादन, टेरेष गार्डन, मल्टी क्राप लेयरिंग माडल, टपक सिचाई, फसल संग्राहलय, पोषण वाटिका, गौपालन, मुर्गीपालन, बकरी पालन आदि का ज्ञान क्लास रूम टीचिंग एंव भ्रमण द्वारा प्रेक्टिकल एप्रोच के माध्यम से विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई।
केन्द्र के प्रमुख वरिष्ठ वैज्ञानिक डा विषाल मेश्राम ने बताया कि कृषि विज्ञान केन्द्र में पहली बार जिले से बाहर के प्रषिक्षणर्थियों को आवासीय प्रषिक्षण का आयोजन किया गया है और 5 दिनों में उन्हे केन्द्र के वैज्ञानिकों द्वारा जिले में चलाए ला रहे कार्यक्रमों से परिचित करवाने तथा अलग अलग 2 प्रगतिषील कृषकों के कार्या को कृषक की ही जुबानी सुनने और दिखाने हेतु प्रक्षेत्र भ्रमण करवाया गया।
कृषक अपने अनुभव सांझा कर सके, पहले दिन ग्राम मचला विकास खण्ड मोहगांव के कृषक धूपलाल धुर्वे, भानु प्रताप के यहां टपक सिचाई द्वारा लगाये गए टमाटर, मिर्च, भटे के प्रक्षेत्र का भ्रमण करवाया गया बालाघाट से आए कृषकों ने इस प्रकार की खेती और उत्पादन की सराहना करते हुए कहा की बंजर और पथरीले पठारी क्षेत्रों में भी अगर लगन और मेहनत से इस प्रकार की उन्नत तकनीकी अपनाकर लाभ लिया जा सकता है।