पौधारोपण पर डेढ़ हजार करोड़ और रखरखाव पर 90 करोड़ खर्च, फिर भी जंगल वीरान
एक साल में 350 करोड़ खर्च
प्रदेश में हर साल पौधों की खरीद और रख-रखाव पर हर साल करोड़ों रुपए खर्च होते हैं। 2021-22 में अकेले पौधारोपण पर 350.96 करोड़ खर्च हुए। वहीं, इनके सरक्षण पर 17.98 करोड खर्च किए गए। इसी तरह 2020-21 में पौधारोपण पर 348 करोड़ और संरक्षण पर 20.92 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। जो वर्ष 2021-22 में घटकर 77493 वर्ग किमी रह गया है।
भोपाल। मध्यप्रदेश में हर साल लाखों पौधे लगाए जाने का दावा किया जाता है। लेकिन पिछले 12 साल में कम से कम 207 वर्ग किमी जंगल घट गया है। बीते पांच साल में प्रदेश के जंगल में 25 करोड़ से ज्यादा पौधारोपण हुआ। इसके बाद भी हरियाली गायब है। प्रदेश के जंगल में हरियाली बढ़ाने पौधारोपण किया जाता है। 2022-23 में प्रदेश के जंगल में 4 करोड़ 79 लाख 3 हजार 207 पौधे लगाए गए थे। बीते चार साल में पौधारोपण पर 1510 करोड़ रुपए और रखरखाव पर 90 करोड़ रुपए खर्च किए गए। इतनी बड़ी रकम खर्च होने के बाद भी न तो हरियाली बढ़ी और न ही अवैध कटाई रुकी। 1980 से 2021-22 तक 119401 हेक्टेयर वन भूमि को दूसरे कामों के लिए इस्तेमाल किया गया है। वहीं, पिछले चार साल में अवैध खनन से 10974 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ है। लगातार गांव से शहर तक हो रहे निर्माण की वजह से भी जंगल घट रहा। इससे अब पर्यावरण संतुलन भी बिगडऩे लगा है। स्टेट ऑफ फॉरस्ट रिपोर्ट के मुताबिक 2009-10 में राज्य में अति सघन, सघन और खुला वनक्षेत्र 77,700 वर्ग किमी था। मप्र वन विभाग के वार्षिक प्रशासकीय प्रतिवेदन वर्ष 2021-22 के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि शहरी क्षेत्रों से सटे जंगलों में ज्यादा अतिक्रमण हो रहा है। आदिवासी क्षेत्र बैतूल और भोपाल से सटे जंगल में हुए अतिक्रमण के आकड़ों से यह साफ पता चलता है। 2018 से नवंबर 2021 तक उपलब्ध आंकड़े यही बताते हैं। 2018 से नवंबर 2021 तक आदिवासी बाहुल्य जिले बैतूल से सटे महज 55 हेक्टेयर जंगल में अतिक्रमण हुआ। वहीं भोपाल से लगे 476 हेक्टेयर वनक्षेत्र में अतिक्रमण हो गया।
कब-कितना पौधरोपण
2017-18 58839400
2018-19 54371563
2019-20 33429268
2020-21 38600000
2021-22 30277626
2022-23 47903207
वर्षवार पौधों की संख्या
2013-14 878.79 लाख
2014-15 866.87 लाख
2015-16 640.00 लाख
2016-17 810.00 लाख
2017-18 825.00 लाख
207 वर्ग किमी जंगल घटा
देखा जाए तो 12 साल में 207 वर्ग किमी जंगल घट गया। ऐसा तब है, जब हर साल पौधारोपण होने का दावा किया जाता है। आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2009 में 7 लाख 47 हजार, वर्ष 2010 में 6 लाख 60 हजार और वर्ष 2011 में 7 लाख 4 हजार पौधे रोपे गए। साल 2020-21 में वन विभाग ने 3 करोड़ 86 लाख से ज्यादा और साल 2021-22 में 3 करोड़ 2 लाख से ज्यादा पौधे लगाए।
ओवन फॉरेस्ट का दायरा बढ़ा
वर्ष 2019-20 में मध्यम घना जंगल 34341 वर्ग किमी था, जो वर्ष 2021-22 में घटकर 34209 वर्ग किमी रह गया। यही नहीं, बहुत घने जंगल का रकबा भी दो किमी घटा ही है। 2019-20 में ये आंकड़ा 6667 वर्ग किमी था, जो वर्ष 2021-22 में घटकर 6665 वर्ग किमी पर आ गया। 2019 में ओपन फॉरेस्ट का दायरा 36465 था, जो वर्ष 2021-22 में बढ़कर 36618 हो गया है। रिपोर्ट के मुताबिक ओपन फॉरेस्ट का दायरा 153 वर्ग किमी तक बढ़ गया है।