नहीं लगाने पड़ेंगे कार्यालय के चक्कर, आनलाइन उपलब्ध होगी भू- अधिकार ऋण पुस्तिका
भोपाल। किसानों के जीवन को सरल करने और उनकी आय बढ़ाने के लिए शिवराज सरकार लगातार प्रयासरत है। वही नवीन नीतियां भी तैयार की जा रही है। इसी बीच किसानों और भूमि स्वामी को अपने भू- अधिकार ऋण पुस्तिका प्राप्त करने के लिए तहसील कार्यालय के चक्कर लगाने से मुक्ति मिलेगी। इसके साथ ही उन्हें पटवारियों को अपने काम करवाने के लिए देने वाली रिश्वत से भी छुटकारा मिलेगा।
भू- अधिकार ऋण पुस्तिका को आनलाइन
दरअसल आम जनता की सुविधा के लिए भू- अधिकार ऋण पुस्तिका को आनलाइन कर दिया गया है। अब कोई भी व्यक्ति अपनी भू अधिकार ऋण पुस्तिका को किओस्क सेंटर, कॉमन सर्विस सेंटर सहित अपने स्वयं के फोन से निर्धारित शुल्क की अदायगी कर प्राप्त कर सकते हैं। इसका लाभ सीधे-सीधे भूमि स्वामी और किसानों को मिलेगा। अब उन्हें भू अधिकार ऋण पुस्तिका प्राप्ति के लिए पटवारी के पास से दौड़ लगाने की आवश्यकता नहीं होगी। बता दे किसानों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए राजस्व विभाग ने इसकी शुरूआत की है।
ई-तकनीक को बढ़ावा
पीएम मोदी और सीएम शिवराज के लगातार आवाहन के बाद प्रदेश के सभी विभाग में ई-तकनीक को बढ़ावा दिया जा रहा है। वहीं राजस्व विभाग ने इस तकनीक का प्रयोग कर किसानों एवं आमजन को बेहतर राहत दी है। इससे पूर्व समीक्षा बैठक करते हुए सीएम शिवराज द्वारा सभी विभागों को तकनीक का पूर्ण इस्तेमाल करते हुए सभी व्यवस्था को आॅनलाइन करने के निर्देश दिए गए थे। वहीं राजस्व विभाग द्वारा किसानों से अपील की गई है कि सुविधाजनक रूप से किए गए बदलाव का लाभ उठाएं और भू अधिकार पुस्तिका आनलाइन प्राप्त करने की कोशिश करते हुए परेशानियों से बचें। इतना ही नहीं किसानों और अन्य आम जनता को राहत देने के लिए उनके खाते के खसरा, बी-1 और ऋण पुस्तिका की प्रति भी उन्हें व्हाट्सएप पर उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है। जिसका लाभ आम जनता को मिलेगा। इसके अलावा आम जनता की सुविधा के लिए रजिस्ट्री को भी भू अभिलेख पोर्टल के इंटीग्रेशन से सरल करने की तैयारी की गई है।
भूमि सत्यापन किए जाने की सुविधा
जिसके लिए संपदा पोर्टल और रेवेन्यू केस मैनेजमेंट पोर्टल को एक साथ जोड़ कर रजिस्ट्री के समय भूमि सत्यापन किए जाने की सुविधा प्रदान की गई है। इसके अलावा भूमि के सत्यापन के समय ही नामांतरण के लिए प्रकरण दर्ज कर लिया जाता है। जिसका लाभ जनता को इस तरह मिलता है कि संपदा पोर्टल पर रजिस्ट्री होते ही रिवेन्यू केस मैनेजमेंट पोर्टल पर नामांतरण कर लिए जाते हैं और साथ ही पेशी की तारीख भी तय कर दी जाती है।