खाद्य फसल से नकदी फसल की ओर
नई दिल्ली, भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा 04 जून, 2024 को जारी तीसरे अग्रिम अनुमान 2023-24 के अनुसार, वाणिज्यिक/नकदी फसलों का क्षेत्रफल कृषि वर्ष 2021-22 में 18,214.19 हजार हेक्टेयर से बढ़कर कृषि वर्ष 2023-24 में 18,935.22 हजार हेक्टेयर हो गया है। पिछले तीन वर्षों का राज्य-वार ब्यौरा अनुबंध में दिया गया है। निश्चित रूप से, वाणिज्यिक/नकदी फसलों (गन्ना, कपास, जूट और मेस्ता) का उत्पादन भी कृषि वर्ष 2021-22 में 4,80,692 हजार टन से बढ़कर कृषि वर्ष 2023-24 में 4,84,757 हजार टन हो गया है।
नीति आयोग की कार्य समूह की रिपोर्ट, 2018 में कहा गया था कि भविष्य के वर्ष 2032-2033 के लिए खाद्यान्न की मांग और आपूर्ति क्रमशः 337.01 मिलियन टन और 386.25 मिलियन टन होने का अनुमान है, जो दर्शाता है कि खाद्य सुरक्षा के मामले में हमारे समग्र खाद्यान्न की स्थिति बहुत अच्छी रहेगी।
कृषि और किसान कल्याण विभाग (डीए एंड एफडब्ल्यू) देश के सभी 28 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में क्षेत्र विस्तार और उत्पादकता वृद्धि के माध्यम से खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) लागू कर रहा है। एनएफएसएम के अंतर्गत छोटे एवं सीमांत किसानों सहित किसानों को पद्धतियों के उन्नत पैकेज पर क्लस्टर प्रदर्शन, फसल प्रणाली पर प्रदर्शन, उच्च उपज किस्मों (एचवाईवी)/संकरों के बीजों का वितरण, उन्नत फार्म मशीनरी/संसाधन संरक्षण मशीनरी/औजार, कुशल जल अनुप्रयोग उपकरण, पौधा संरक्षण उपाय, पोषक तत्व प्रबंधन/मृदा सुधार, प्रसंस्करण और कटाई के बाद के उपकरण, किसानों को फसल प्रणाली आधारित प्रशिक्षण आदि जैसे मध्यवर्तनों के लिए राज्य सरकारों के माध्यम से सहायता प्रदान की जाती है। मिशन विषय वस्तु विशेषज्ञों/वैज्ञानिकों के पर्यवेक्षण में किसानों को प्रौद्योगिकी समर्थन और हस्तांतरण के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों (एसएयू)/कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) को सहायता भी प्रदान करता है।
इसके अलावा, सरकार अपनी मूल्य नीति के माध्यम से उच्चतर निवेश और उत्पादन को प्रोत्साहित करने तथा उचित मूल्यों पर आपूर्ति उपलब्ध कराकर उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा करने के दृष्टिकोण से उत्पादकों को उनके उत्पाद के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करती है। इस दिशा में, सरकार वाणिज्यिक/नकदी फसलों सहित 22 अधिदेशित फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्यों (एमएसपी) की घोषणा करती है, जिसमें इन फसलों के लिए उच्चतर न्यूनतम समर्थन मूल्य की पेशकश की जाती है। 2018-19 के केंद्रीय बजट में एमएसपी को उत्पादन लागत का 1.5 गुना के स्तर पर रखने के लिए पूर्व-निर्धारित सिद्धांत की घोषणा की गई थी। तदनुसार, सरकार कृषि वर्ष 2018-19 से उत्पादन की अखिल भारतीय भारित औसत लागत पर कम से कम 50 प्रतिशत रिटर्न के साथ वाणिज्यिक/नकदी फसलों सहित सभी अनिवार्य फसलों के लिए एमएसपी घोषित कर रही है। सरकार ने देश में किसानों की आय के साथ-साथ फसलों के उत्पादन में वृद्धि करने के लिए अनेक नीतियों, सुधारों, विकासात्मक कार्यक्रमों को भी अपनाया है और कार्यान्वित किया है। कुछ महत्वपूर्ण कार्यक्रम इस प्रकार सूचीबद्ध हैं
1. पीएम किसान के माध्यम से किसानों को आय सहायता
2. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीआई)
3. कृषि क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण
4. देश में जैविक कृषि को बढ़ावा
5. पर ड्रॉप मोर क्रॉप
6. सूक्ष्म सिंचाई कोष
7. किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को बढ़ावा देना
8. कृषि मशीनीकरण
9. किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान करना
10. राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) विस्तार प्लेटफार्म की स्थापना
11. कृषि अवसंरचना निधि (एआईएफ)
12. कृषि उपज परिचाल में सुधार, किसान रेल की शुरुआत
13. कृषि और संबद्ध क्षेत्र में स्टार्ट-अप इको सिस्टम का निर्माण
14. कृषि और संबद्ध कृषि-वस्तुओं के निर्यात में उपलब्धि
15. केंद्रीय क्षेत्र की योजना नमो ड्रोन दीदी।