देश में जल्द मिलेगा परागण रहित मक्का का बीज
दिसंबर और जनवरी छोड़कर पूरे साल होगी खेती
करनाल/भोपाल, मक्का उत्पादक किसानों और इसके स्वादिष्ट एवं पोषक तत्वों से भरपूर व्यंजनों को पसंद करने वालों के लिए अच्छी खबर है। देश में प्रथम परागण रहित (मेल स्टेराइल) मक्का बीज बनाने में सफलता मिलने के बाद इसके ट्रायल का अंतिम वर्ष चल रहा है। यदि इस शोध में सफलता मिली तो भविष्य में मक्का उत्पादक किसानों को सरकारी अनुसंधान संस्थानों के सहयोग से न्यूनतम दर पर बीज प्राप्त हो सकेगा।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान-पूसा नई दिल्ली व चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र करनाल ने संयुक्त रूप से अनुसंधान कर मक्का की हाईब्रिड किस्म एचएम-4 को मेल स्टेराइल में परिवर्तित किया है। अब तक भारत में जितनी भी मक्का किस्में बेबीकार्न के लिए इस्तेमाल की जाती हैं सभी परागण वाली हैं। बेबीकॉर्न उगाने के लिए मक्का के पौधे के ऊपरी हिस्से से फूल तुड़वाने में किसानों को श्रमिक लगाने पड़ते हैं। उनका अतिरिक्त खर्च आता है। यही वजह है कि किसान मेल स्टेराइल बीज पसंद करते हैं। यह विदेशों से आयात होता है, लेकिन आयातित बीज महंगा पड़ता है।
इनका कहना है
हाईब्रिड एचएम-4 किस्म गुणों से भरपूर है
और इसमें परागण होता है। उसे बेबीकॉर्न की खेती के लिए मेल स्टेराइल में परिवर्तित किया है। मेल स्टेराइल बीज में परागण नहीं होगा और गुणवत्ता भी बनी रहेगी। दिसंबर व जनवरी छोड़कर पूरे वर्ष उत्तर भारत में इसकी खेती हो सकती है।
डॉ. फिरोज हुसैन, प्रधान वेज्ञानिक, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान-पूसा नई दिल्ली
भारत में परागण रहित बीज बनाने पर विशेष काम नहीं हुआ। अब सिजेंटा-5414 किस्म का बीज मिलता है जो विदेश से आयात हो रहा है। 600 रुपए प्रति किलो बीज मिलता है। यदि भारत में बीज उत्पादन किया जाए तो किसान को 200 रुपए किलो तक बीज मिल सकता है।
कंवल सिंह चौहान, पद्मश्री किसान, सोनीपत