फसल बीमा योजना का पुनरुद्धार, बीमाकृत किसानों की दृष्टि से विश्व की सबसे बड़ी योजना 

फसल बीमा योजना का पुनरुद्धार, बीमाकृत किसानों की दृष्टि से विश्व की सबसे बड़ी योजना 

नई दिल्ली, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) को साल 2016 से पूरे देश में सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया जा रहा है। सरकार ने बेहतर पारदर्शिता, जवाबदेही, किसानों को दावों का समय पर भुगतान सुनिश्चित करने और योजना को अधिक किसान हितैषी बनाने के लिए कई हस्तक्षेप किए हैं, जिसके परिणामस्वरूप साल 2023-24 में योजना के तहत कवर किए जाने वाले क्षेत्र और किसान अब तक के उच्चतम स्तर पर हैं। यह योजना अब बीमाकृत किसानों की दृष्टि से विश्व की सबसे बड़ी योजना है।

पीएमएफबीवाई दिशानिर्देशों के प्रावधानों के अनुसार किसान का प्रीमियम हिस्सा खरीफ फसलों के लिए 2 फीसद, रबी फसलों के लिए 1.5 फीसद और वाणिज्यिक/बागवानी फसलों के लिए 5 फीसद तक सीमित है। कुछ राज्यों ने प्रीमियम में किसानों के हिस्से में छूट दी है, जिससे किसानों पर बोझ बहुत कम हो गया है।

इस योजना के तहत 1,67,475 करोड़ रुपये के कुल दावों में से 1,63,519 करोड़ रुपये (98 फीसद) का भुगतान पहले ही किया जा चुका है। वहीं, कुछ राज्य में विभिन्न कारणों जैसे कि- राज्यों द्वारा प्रीमियम अनुदान (सब्सिडी) का देरी से जारी किया जाना, उपज के आंकड़ों का विलंबित प्रसारण, बीमा कंपनियों और राज्यों के बीच उपज संबंधी विवाद, पात्र किसानों के बैंक खातों में दावों को अंतरित करने के लिए कुछ किसानों के खाता विवरण प्राप्त न होना और राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण (एनईएफटी) से संबंधित मुद्दे, राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (एनसीआईपी) पर व्यक्तिगत रूप से किसानों के आंकड़ों की गलत/अपूर्ण प्रविष्टि और किसानों के प्रीमियम हिस्से को भेजने में देरी/संबंधित बीमा कंपनी को किसानों के प्रीमियम के हिस्से को नहीं भेजना आदि के कारण कुछ दावों के निपटान में थोड़ी देरी हुई है।

यह पाया गया है कि राज्यों द्वारा प्रीमियम सब्सिडी का अपना हिस्सा जारी करने में देरी के कारण अधिकांश लंबित दावों का भुगतान नहीं किया जा सका है। इसका संज्ञान लेते हुए भारत सरकार, राज्य सरकार के हिस्से को जारी करने से अलग करके प्रीमियम सब्सिडी का अपना हिस्सा अग्रिम रूप से जारी कर रही है। इसके अनुरूप बीमा कम्पनियों की ओर से आनुपातिक आधार पर दावे जारी किए जाते हैं, जिससे किसान को परेशानी न हो। इसके अलावा योजना के संशोधित परिचालन दिशा-निर्देशों के प्रावधानों के अनुसार बीमा कंपनियों को राज्य सरकार से अंतिम उपज डेटा प्राप्त होने और फसल क्षति सर्वेक्षण पूरा होने की तारीख से पीएमएफबीवाई दिशानिर्देशों में निर्धारित अवधि से आगे  की अवधि के लिए किसानों को 12 फीसद प्रति वर्ष की दर से दंडात्मक ब्याज का भुगतान करना जरूरी है।

विभाग सभी हितधारकों की साप्ताहिक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और व्यक्तिगत बैठकों के साथ-साथ राष्ट्रीय समीक्षा सम्मेलनों के माध्यम से दावों के समय पर निपटान सहित बीमा कंपनियों के कामकाज की नियमित निगरानी कर रहा है। दावा वितरण प्रक्रिया की कड़ी निगरानी के लिए खरीफ- 2022 से दावों के भुगतान के लिए ‘डिजिक्लेम मॉड्यूल’ नामक एक समर्पित मॉड्यूल को परिचालित किया गया है। इसमें सभी दावों का समय पर और पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (एनसीआईपी) को पीएफएमएस और बीमा कंपनियों की लेखा प्रणाली के साथ एकीकृत करना शामिल है। यह जानकारी केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने आज लोकसभा में एक लिखित जवाब में दी।

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