प्रदेश में खसरे से रुकेगी खाद की कालाबाजारी, कृषि और सह-कारिता विभाग ने शुरू की तैयारी

प्रदेश में खसरे से रुकेगी खाद की कालाबाजारी, कृषि और सह-कारिता विभाग ने शुरू की तैयारी

भोपाल। केंद्र सरकार किसानों को खाद उपलब्ध कराने के लिए करोड़ों रुपए का अनुदान देती है। इसका सदुपयोग सुनिश्चित करने के लिए अब मध्य प्रदेश में नया कदम उठाया जा रहा है। इसके तहत किसान कितनी खाद ले रहा है यह खसरे से लिंक किया जाएगा। इससे यह पता चलेगा कि जितनी खाद वो ले रहा है, उसके उपयोग के लिए भूमि है भी या नहीं। 

केंद्र की सहमति से एक जिले में यह पायलट प्रोजेक्ट किया जाएगा। दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा कराई गई जांच में यह बात सामने आई है कि यूरिया बड़ी मात्रा में ऐसे किसानों द्वारा लिया जा रहा है, जिसकी उन्हें दरकार भी नहीं है। 

पिछले साल ऐसे 15 मामलों में एफआईआर कराई गई थी। इस बार प्रत्येक जिले में बड़े खरीदारों का सत्यापन कराया जा रहा है।  प्रदेश में प्रतिवर्ष करीब 20 लाख टन यूरिया की दरकार होती है। केंद्र मांग के अनुरूप राज्य का कोटा तय करता है और खरीफ और रबी सीजन के अनुसार इसका आवंटन होता है। इसका वितरण सहकारी समितियों और निजी विक्रय केंद्रों के माध्यम से किया जाता है। 

प्रबंधक-गोदाम प्रभारी पर एफआईआर
पिछले साल प्रत्येक जिले में बड़े यूरिया के खरीदार किसानों की जांच कराई थी। इसमें होशंगाबाद, सतना सहित अन्य जिलों में गड़बड़ी उजागर हुई थी। होशंगाबाद की गढ़ाघाट सहकारी समिति में 90 क्विंटल यूरिया संदीप प्रजापति के नाम बेचना  बताया था, जबकि वह किसान नहीं हम्माल था। बाद में समिति के सहायक प्रबंधक नारायण पटेल और गोदाम प्रभारी संजीत बर्मन के खिलाफ एफआईआर कराई गई।

सतना में फर्जीवाड़ा
इसी तरह सतना में फूलचंद गुप्ता ने आठ किसानों को अत्याधिक मात्रा में यूरिया बेच दिया। जबकि, बिना पाइंट आफ सेल्स मशीन के खाद नहीं बेची जा सकती है। इसमें समिति के सदस्य किसानों का पूरा ब्योरा रहता है पर समिति के कर्मचारी किसी एक व्यक्ति के नाम पर खाद बेच रहे थे। इस गड़बड़ी को अब पूरी तरह से रोकने के लिए खाद वितरण को खसरे से लिंक करने का प्रोजेक्ट किया जाएगा और परिणाम का आकलन करके इसे पूरे प्रदेश में लागू करने संबंधी निर्णय लिया जाएगा।

इन पर हो चुकी एफआईआर
इंद्रलाल गुप्ता, भगवानदीन गुप्ता और तेजभान कुशवाह रीवा, मेसर्स सोनी ट्रेडर्स सिहावल, जयपाल सिंह भदौरा, अनिल ट्रेडर्स मडवास, शिवेन कुमार मिश्रा पथरोला, शंभुलाल राठौर सविधा फर्टिलाइजर बड़वानी, शकील अहमद खान पिछोर, महशे शर्मा गोदाम प्रभारी दतिया, राजेश शुक्ला गोदाम प्रभारी इंदरगढ़, रमेश कटारे सहकारी संस्था भिंड, नारायण पटेल और संजीत वर्मन पिपरिया, रामसिया गुप्ता सहकारी विपणन संघ खेडा इटारसी।

चुनिंदा लोग ले गए यूरिया
प्रदेश सरकार खाद के उन खरीदारों की जांच करा रहे हैं, जो हजारों बोरी यूरिया ले जा चुके हैं। केंद्र सरकार ने ऐसे किसानों का सत्यापन कराने के निर्देश दिए हैं। इनमें खरगोन के सुरेश (4,781 बोरी), शिवानी (1,976 बोरी) राहुल वर्मा (1,750 बोरी), उज्जैन के दिनेश विक्रम (2,557 बोरी) और राजेश माली (2,080 बोरी), बैतूल के नर्मदा प्रसाद (2,401 बोरी), होशंगाबाद के सुकर्ण विश्वकर्मा (1,850 बोरी), जितेंद्र लोवंशी (1,800), विनोद कुमार गौर (1,800 बोरी) और छिंदवाड़ा के आर काकोदिया (1,905 बोरी) शामिल हैं।

प्रदेश और केंद्र सरकार का मकसद खाद की वितण व्यवस्था को पारदर्शी और व्यवस्थित बनाना है। खसरे में किसान का आधार नंबर रहता है। इसे खाद विक्रय से जोड़ेंगे ताकि उसकी भूमि और फसल संबंधी सारी जानकारी मिल जाए। इसका फायदा खाद संबंधी कार्ययोजना बनाने में मिलेगा।
अजीत केसरी, अपर मुख्य सचिव, कृषि विभाग