प्राकृतिक खेती पद्धति से ही सुधर सकता है मिटटी का स्वास्थ्य

प्राकृतिक खेती पद्धति से ही सुधर सकता है मिटटी का स्वास्थ्य

पन्ना, कृषि विज्ञान केन्द्र पन्ना द्वारा प्राकृतिक खेती जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन ग्राम - सिरी, विकासखण्ड पन्ना में दिनांक 12 जनवरी 2023 को किया गया। केन्द्र के वरिष्ठ वरिष्ठ एवं प्रमुख डा.  पी0एन0 त्रिपाठी ने कृषकों को प्राकृतिक खेती अपनाने की सलाह दिया। उन्होंने मोटे अनाज की खेती सब्जियों एवं जलवायु अनुकूल फलों की खेती प्राकृतिक पद्धति से करने पर विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने बताया कि मृदा में कार्बनिक कार्बन, सूक्ष्म जीवों एवं देशी केंचुओं की संख्या मंे कमी होने से मृदा स्वास्थ्य खराब हो रही है। अतः प्राकृतिक खेती पद्धति अपनाकर मृदा स्वास्थ्य सुधारा जा सकता है।

डा. आर0के0 जायसवाल ने प्राकृतिक खेती के स्तंभ बीजामृत, जीवामृत एवं घनजीवामृत फसल आच्छादन, वाफसा एवं फसल विविधीकरण के बारे में विस्तार से वर्णन किया उन्होंने बताया कि देशी गाय के गोबर में करोड़ों की संख्या में सूक्ष्म जीवाणुओं की उपलब्धता होती है तथा गाय का मूत्र खनिज लवण का स्त्रोत होता है। डा. रणविजय प्रताप सिंह ने उद्यानिकी फसलों में जीवामृत एवं घनजीवामृत का इस्तेमाल कर फसलों को आवश्यक पोषक तत्वों की उपलब्धता कराने के साथ-साथ ही मृदा स्वास्थ्य को सुधारा जा सकता है एवं सभी कृषकों से प्राकृतिक पद्धति अपनाने पर विशेष बल दिया। कार्यक्रम के दौरान कृषकों द्वारा बनाये गये घनजीवामृत, बीजामृत, जीवामृत, नीमास्त्र, अग्नियास्त्र एवं मोटे अनाज कोटो कुटकी इत्यादि का प्रदर्शन भी किया गया। कार्यक्रम के दौरान कृषि से संबंधित समसामयिक प्रश्नों का उत्तर दिया गया। 

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