आत्मनिर्भर बनने आदिवासी अंचल में 'कोदो क्रांति' की शुरूआत

आत्मनिर्भर बनने आदिवासी अंचल में 'कोदो क्रांति' की शुरूआत

सीधी। दशकों तक गरीबों की थाली के अनाज के रूप में कोदो की पहचान रही है। अब गरीबों का यह अनाज अपने पौष्टिक गुणों के कारण हर तबके में अपनी पहुंच बना रहा है। हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के जनजातीय बाहुल्य जिलों की, यहां की महिलाओं ने कोदो को अपनी आजीविका के प्रमुख संसाधनों से जोड़ा है।

श्वेत क्रांति, हरित क्रांति के बाद अब आदिवासी अंचल ने कोदो क्रांति की शुरूआत की है। अब आदिवासी बाहुल्य सीधी जिले ने भी पारंपरिक अनाज कोदो को सुपर मार्केट तक पहुंचाने की ओर कदम बढ़ाए हैं। अपने औषधीय गुणों के बीच कोदो की बढ़ती डिमांड ने महिला समूहों के सशक्त आजीविका की राहों को आसान किया है। केंद्रीय जनजातीय विष्वविद्यालय अमरकंटक और सीधी जिला प्रषासन के प्रयासों के बाद जल्द ही जनजातीय महिलाओं द्वारा निर्मित सोनांचल कोदो उत्पाद सुपर मार्केट तक पहुंचेगा। 

छोटे अनाजों की मार्केट में बढ़ती डिमांड ने जनजातीय वर्ग के लोगों को स्व-रोजगार के नए अवसर दिए हैं। आत्मनिर्भर प्रदेश की परिकल्पना में सीधी जिले की जनजातीय महिलाओं ने नए आयाम की शुरूआत की है। जनजातीय महिलाओं के स्व-सहायता समूहों ने ब्रांडिंग और पैकेजिंग के जरिए कोदो को अपनी आजीविका के प्रमुख संसाधनों में शामिल किया है। जल्द ही अब महिलाओं की मेहनत सोनांचल कोदो के रूप में दिखाई देगी। अनूपपुर जिले में स्थापित देश के पहली जनजातीय विष्वविद्यालय के साथ मिलकर सीधी जिला प्रषासन ने आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश को साकार करने की कवायद की है। 

जनप्रतिनिधियों ने किया लोकार्पित

मध्यप्रदेश के सुदूर अंचल सीधी जिले में सांसद रीति पाठक, राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह, विधायक केदारनाथ शुक्ला की मौजूदगी में सोनांचल कोदो को लोकार्पित किया गया। समारोह के दौरान क्षेत्रीय सांसद रीति पाठक ने जनजातीय महिलाओं के उत्पाद को उनके विकास की कड़ी में अहम बताया। साथ ही मिलेट प्रमोशन में संसाधनों की कमी नहीं होने देने का आष्वासन दिया। राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह ने कोदो अनाज की बढ़ती मांग को देखते हुए जिले में नई कोदो प्रसंस्करण ईकाई स्थापित करने को कहा। उन्होंने पौष्टिक गुणों से भरपूर कोदो अनाज का निर्यात कर क्षेत्र को अधिक से अधिक लाभ दिलाने के लक्ष्य पर कार्य करने की बात की। विधायक केदारनाथ शुक्ला ने कोदो सहित अन्य मोटे अनाजों की उपयोगिता बताते हुए इनके वैज्ञानिक विधि से उत्पादन पर बल दिया। जनजातीय विष्वविद्यालय से आए प्रो. आशीष माथुर ने जनप्रतिनिधियों के समक्ष सोनांचल कोदो के प्रयासों की रूपरेखा स्पष्ट की। इसके अलावा उन्होंने जनप्रतिनिधियों से मिलेट कॉरीडोर तैयार करने के लिए जनप्रतिधियों से सहयोग की अपील की।  

जिले को मिलेगा अपना ब्रांड ‘‘सोनांचल कोदो’’

महाप्रबंधक जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र ने जानकारी देकर बताया है कि आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश रोडमैप 2023 के तहत एक जिला एक उत्पाद योजनांतर्गत सीधी जिले में चयनित उत्पाद कोदो को एक नई पहचान मिलने जा रहा है। जिला प्रशासन द्वारा माह जनवरी 2021 से कोदो प्रसंस्करण के प्रयास प्रारंभ किए गए थे। जिले के दो महिला स्व-सहायता समूहों जय मां दुर्गा स्व-सहायता समूह समरदह विकासखण्ड सिहावल एवं भीम स्व-सहायता समूह टमसार विकासखण्ड कुसमी की कोदो प्रसंस्करण इकाईयां स्थापित की गई है। उक्त कार्य मे जिला प्रशासन द्वारा लाइवलीहुड बिजनेस इक्यूबेशन सेंटर, आईजीएनटीयू अमरकंटक को अपना नॉलेज पार्टनर बनाया गया, तथा सेंटर के माध्यम से महिला स्व-सहायता समूह को कौशल प्रशिक्षण व व्यापार की बारीकियों से भी अवगत कराया गया। आज यहां के दो महिला स्व-सहायता समूह कोदो प्रसंस्करण, विपणन इत्यादि गतिविधियों में दक्ष होकर आत्मनिर्भर तरीके से सोनांचल कोदो का निर्माण व विपणन कर रही हैं। 

केंद्र सरकार की एक जिला एक उत्पाद योजना अब रंग दिखाने लगी है तथा मध्यप्रदेश इस तरह के उत्पादों के बाजार में उतरने से इसमें एक अग्रणी भूमिका निभाने वाले राज्य की ओर अग्रसर है। सोनांचल कोदो किसी भी रूप में बाजार में मिलने वाले अन्य स्थापित ब्रांड से कमतर नहीं है तथा यह एक सुखद आष्चर्य है कि सीधी जैसे सुदूर जिले से इतनी जल्दी स्तरीय ब्रांड तैयार किया जा सका है। 

पौष्टिक गुणों ने बढ़ाई कोदो की डिमांड

वर्तमान समय में लोगों के बीच अपनी सेहत को लेकर बढ़ती जागरूकता ने कोदो की मांग तेजी से बढ़ाई है। ह्दय रोग, मधुमेह और मोटापे पर नियंत्रण के गुणों के कारण कोदो ने चावल की जगह अपना स्थान सुनिश्चित किया है। एक लंबे समय तक कोदो सिर्फ ग्रामीणों की थालियों तक सीमित रहा है। शहरों में बढ़ती मांग ने न सिर्फ कोदो की मांग बढ़ाई है बल्कि इसमें आजीविका के नए अवसर भी तैयार किए हैं। 

मिलेट कॉरीडोर बनाने की तैयारी

एलबीआई केंद्र समन्वयक प्रो. आशीष माथुर ने बताया कि भारत सरकार द्वारा मिलेट प्रमोशन को प्राथमिकता दिए जाने व इसे आमजन में लोकप्रिय बनाने की भावना के अनुरूप जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक के कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने ऐसे पारंपरिक अनाजों को बढ़ावा देने के लिए इसे विश्वविद्यालय की विशेष कार्य योजना में शामिल किया हैं।
इसके अंतर्गत भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा प्रायोजित आजीविका व्यापार प्रशिक्षण केंद्र (एलबीआई),

आईजीएनटीयू अमरकंटक मिलेट कॉरीडोर के रूप में कोदो उत्पादन क्षेत्रों को चिन्हित व विकसित करते हुए कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है। एलबीआई अब तक राज्य के विभिन्न महकमों के साथ आदिवासी महिलाओं को बड़े पैमाने पर प्रशिक्षित कर चुका है तथा उन्हें स्व-रोजगार से भी जोड़ा जा सका है।

गांव ही विकास की प्राथमिक ईकाई

देश की एक तिहाई आबादी गांव में रहती है। ग्रामीणों को उनके घर में ही रोजगार उपलब्ध कराते हुए हम आत्मनिर्भर भारत बना सकते हैं। इन अनाजों की लोकप्रियता लोगों के बीच है लेकिन उपलब्धता का अभाव भी है। कोदो प्रसंस्करण और उसे उचित बाजार तक पहुंचा कर हम ग्रामीणों एवं उपभोक्ता दोनों को ही फायदा पहुंचा सकते हैं। महिलाओं का ब्रांडिंग और मार्केटिंग को लेकर बढ़ता रूझान आने वाले स्वर्णिम समय का परिचायक है। हम मिलेट कॉरीडोर को तैयार करने के लिए शासन-प्रशासन के साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं।
प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी
कुलपति, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विष्वविद्यालय, अमरकंटक

लोकार्पण समारोह में सोनांचल कोदो की जानकारी देते एलबीआई समन्यवयक प्रो. आशीष माथुर। 

सोनांचल कोदो का लोकार्पण। मौजूद हैं सांसद रीति पाठक, राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह, विधायक केदारनाथ शुक्ला व अन्य।

अपने उत्पाद सोनांचल कोदो का प्रदर्षन करती स्व-सहायता समूह की महिला सदस्य।

दूरांचल गांव में सोनांचल कोदो यूनिट, उत्पादन और विपणन पर प्रषिक्षण प्रदान करते जनजातीय विष्वविद्यालय अमरकंटक, जिला उद्योग कार्यालय सीधी एवं एनआरएलएम के अधिकारीगण।