कृषि उद्यमिता जागरुकता एवं प्रदर्शनी' का आयोजन, पंजाब की 23 ज़िलों की 350 महिलाओं ने लिया भाग
कृषि की दिशा में कैसे अग्रसर महिला उद्यमियों ने किया अनुभव साझ
डॉ शशिकान्त सिंह
चंडीगढ़, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय,भारत सरकार एवं पंजाब सरकार और राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंध संस्थान, हैदराबाद के सहयोग से पंजाब विश्वविद्यालय मे एक दिवसीय 'महिलाओं के लिए कृषि उद्यमिता पर जागरुकता एवं प्रदर्शनी' का आयोजन पमेती लुधियाना में किया। इस ऐलान करना है। इसके बारे में कृषि क्षेत्र से जुड़ी महिलाओं और महिला उद्यमियों के बीच जागरूकता पैदा करना था। इस कार्यक्रम में पंजाब के सभी 23 जिलों से कृषि से जुड़ी 350 से अधिक महिलाओं, महिला कृषि उद्यमियों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में पंजाब के विभिन्न जिलों की लगभग 20 महिला कृषि उद्यमियों द्वारा एक प्रदर्शनी भी लगाई गई। कार्यक्रम की शुरुआत महिला उद्यमियों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी के उद्घाटन के साथ हुई। महिलाओं ने अचार, मसाले, शहद, हाथ से बनी ज्वैलरी और कांथा परिधान, क्रोशिया बैग, मफिन, केक, प्रिंटेड सूट, कैंडी, आंवला उत्पाद, रंगाई किए सूट, फुलकारी दुपट्टे, जैम, स्क्वैश, मुरब्बा, चटनी, साबुन, मोमबत्ती, केश तेल, बाजरे से बनी कुकीज और अन्य बाजरा उत्पाद, मोरिंगा पाउडर, कोकोपीट, वर्मीकम्पोस्ट, प्लांटर्स और नर्सरी उत्पाद, जूट बैग आदि जैसे विभिन्न उत्पादों का प्रदर्शन किया। बातचीत के दौरान, प्रदर्शनी में शामिल उद्यमियों को बताया गया कि वे कैसे केंद्र और राज्य सरकार की मदद से और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करके अपने कारोबार का विस्तार कर सकती हैं। इस कार्यक्रम का विवरण सुश्री भारती मदान, उप निदेशक पमेती, लुधियाना ने दिया। डॉ. विनीता कुमारी, उप निदेशक (जेंडर स्टडीज), मैनेज, हैदराबाद ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, श्री एस आर इंगले, ज्वाइंट डायरेक्टर (एक्सटेंशन), कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने अपने संबोधन में जी 20 के मुख्य एवं सहायक कार्यक्रमों के महत्व को रेखांकित किया और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा आयोजित जी 20 कार्यक्रमों का विवरण दिया। उन्होंने आगे उल्लेख किया कि वर्तमान में भारत की कुल उद्यमिता में महिलाओं का हिस्सा 14 प्रतिशत है। उन्होने उचित विपणन रणनीति, उत्पादों की लेबलिंग और बुनियादी ढांचे को उन्नत बनाने की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होने इस पर भी चर्चा की कि कैसे एमओए एंड एफडब्लू, भारत सरकार की एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (एआईएफ) स्कीम महिला उद्यमियों को उनकी प्राथमिक और द्वितीयक प्रसंस्करण इकाइयों को स्थापित करने और बढ़ाने में मदद कर सकती है। इसके साथ ही उन्होने इन महिला उद्यमियों को उनके उद्यम को बढ़ाने के लिए एफपीओ गठन के लाभों पर जोर दिया। श्री दविंदर सिंह, क्लस्टर हेड, लुधियाना ने महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए नाबार्ड की पहल के बारे में बताया। स्कूल ऑफ बिजनेस स्टडीज के प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, डॉ. रमनदीप सिंह ने महिला उद्यमियों के लिए प्रभावी विपणन रणनीतियाँ क्या हो सकती है। इसके लिए उन्हें क्या करना चाहिए पर विस्तार से चर्चा की। पमेती, लुधियाना के निदेशक डॉ एमआईएस गिल ने इस अवसर पर प्रतिभागियों को संबोधित किया और कहा कि महिलाओं की निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाने के लिए महिलाओं का सशक्तिकरण महत्वपूर्ण है। उन्होंने प्रदर्शनी में महिला उद्यमियों द्वारा प्रदर्शित उत्पादों की भी सराहना की और सुझाव दिया कि बेहतर कीमत के लिए उनके उत्पादों की पैकेजिंग और लेबलिंग विश्व स्तर की होनी चाहिए। कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर के डीन डॉ. आर के धालीवाल ने अपने संबोधन में कृषि क्षेत्र से जुड़ी महिलाओं और महिला कृषि उद्यमियों को धन, शिक्षा और कौशल के साथ आत्म-सशक्तिकरण के माध्यम से अपनी निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि उन्हें अपने अनुभवों का उपयोग करना चाहिए और अपनी उद्यमशीलता कौशल को बढ़ाना चाहिए। विषय के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने कृषि क्षेत्र से जुड़ी महिलाओं और महिला उद्यमियों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए इस अवसर पर व्याख्यान दिया। डॉ. पूनम सचदेव, प्रमुख, खाद्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, पीएयू ने बताया कि महिलाएँ खाद्य क्षेत्र में अपने उद्यम को कैसे बढ़ावा दे सकती हैं। कुछ प्रगतिशील महिला उद्यमी - ग्लोबल एसएचजी से श्रीमती गुरदेव कौर देओल, नीटनिट से श्रीमती पूजा रिखी और जीत एसएचजी से सुश्री सुखविंदर कौर ने अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए डिजिटल और सोशल मीडिया के उपयोग पर अन्य महिला प्रतिभागियों को भी प्रेरित किया तथा अपनी उद्यमशीलता की यात्रा पर अनुभव साझा कि किया। अंत में बलविंदर सिंह, उपनिदेशक, एग्रीकल्चर एक्सटेंशन, पमेती ने सबको धन्यवाद एवं आभार प्रकट किया।