छोटे एवं मझौले किसानों के लिये एक वरदान है जवाहर मॉडल खेती  

छोटे एवं मझौले किसानों के लिये एक वरदान है जवाहर मॉडल खेती  

'प्राकृतिक खेती-चुनौतियां एवं अवसर' पर प्रशिक्षण दिया गया

जबलपुर। कृषि महाविद्यालय जबलपुर के अंतर्गत संचालित मृदा विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष एवं आचार्य डॉ. एन. जी. मित्रा के मार्गदर्शन में, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा पोषित ‘‘सेंटर आफ एडवांस फैकेल्टी’’ (काफ्ट) ट्रेनिंग में  पूरे देश के विभिन्न राज्यों से आए कृषि वैज्ञानिकों को ‘‘प्राकृतिक खेती-चुनौतियां एवं अवसर’’ पर प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के दौरान  5 राज्यों के विभिन्न संस्थानों से आये कृषि वैज्ञानिकों को विश्वविद्यालय द्वारा संचालित जवाहर मॉडल का भ्रमण कराया गया।

कम लागत में वर्ष भर विभिन्न प्रकार की फसलों की खेती

जवाहर मॉडल के प्रमुख डॉ. मोनी थॉमस, प्रमुख वैज्ञानिक ने बताया कि यह छोटे एवं मझौले किसानों के लिये एक वरदान है। हमारे मझौले एवं छोटे किसान कम लागत में वर्ष भर विभिन्न प्रकार की फसलों की खेती करके लाभ कमा सकते हैं। क्योंकि कम लागत एवं कम जगह पर भी किसान जवाहर मॉडर के माध्यम से खेती करके एक से डेढ़ माह में ही मुनाफा कमाना शुरू कर सकते हैं। जिन किसानों के पास जमीन नहीं है या फिर पथरीली, ककरीली वाली जमीन या फिर छतां पर बोरी में मिट्टी भरकर विभिन्न प्रकार की फसलों की खेती कर जैविक रूप से खाद्यान्न उत्पाद की प्राप्ति कर सकते हैं। जवाहर मॉडल में प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. मोनी थॉमस और उनकी टीम के डॉ. नीरज त्रिपाठी, जितेन्द्र पटेल, कमलेश पटेल, राजेश यादव, निर्मलपंथी, धु्रव पटेल द्वारा कार्य किया जा रहा है।

व्याख्यान, चिंतन एवं दिशा दृष्टि पर वैचारिकी एवं शोध पर चर्चा

प्रशिक्षण के दौरान राष्ट्रीय स्तर के प्राकृतिक खेती के जानकार  प्रख्यात वैज्ञानिकों द्वारा एवं विद्वानों द्वारा विषय आधारित व्याख्यान, चिंतन एवं दिशा दृष्टि पर वैचारिकी एवं शोध पर चर्चा। साथ ही पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से अति उपयोगी जानकारी प्रदान की गई । प्रशिक्षण में कोऑर्डिनेटर की भूमिका डॉ. पी.एस. कुल्हारे, को-कोऑर्डिनेटर डॉ. एच. के. राय, प्राध्यापक, डॉ. शेखर सिंह बघेल, वरिष्ठ वैज्ञानिक ने निभायी ।

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