किसान करा सकेंगे यूरिया की एडवांस बुकिंग

किसान करा सकेंगे यूरिया की एडवांस बुकिंग

आनलाइन पहुंचेगी मांग, 20 % हिस्से की होगी बुकिंग 

arvind mishra
भोपाल, हर साल सामने आने वाले यूरिया संकट से किसानों को निजात दिलाने के लिए मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार एक पहल करने जा रही है। इसके तहत किसान यूरिया की अग्रिम बुकिंग करा सकेंगे। किसान को राज्य सहकारी विपणन संघ (मार्कफेड) की वेबसाइट पर आवेदन करना होगा। सूचना संबंधित सहकारी समिति के पास पहुंच जाएगी। परीक्षण में पात्रता सही पाए जाने पर किसान को एसएमएस से बुकिंग की सूचना दी जाएगी। यह नवाचार आगामी खरीफ सीजन से लागू होगा। सहकारिता विभाग के अधिकारियों का दावा है कि किसानों के हित में इस तरह की पहल करने वाला मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य है। प्रदेश में हर साल खरीफ और रबी फसलों के लिए 28 लाख टन यूरिया की जरूरत पड़ती है। 

बुकिंग की सुविधा मिलेगी

खाद की मांग आती है और अव्यवस्था की स्थिति निर्मित हो जाती है। इससे बचने के लिए सरकार ने तय किया है कि किसानों को अग्रिम बुकिंग की सुविधा दी जाए। इसमें किसान अपनी जरूरत की खाद पहले से ही आरक्षित करा लेगा। 4,529 सहकारी समितियां मार्कफेड से ऑनलाइन जुड़ी हुई हैं। समितियों को खाद की आपूर्ति मार्कफेड ही करता है। समितियां मांग भेजती हैं, जो सहकारी बैंकों के माध्यम से आती है।

कब और कौन सी खाद चाहिए

अब किसान मार्कफेड की वेबसाइट पर जाकर अपनी जानकारी भरेगा और बताएगा कि उसे कौन सी कंपनी की खाद किस अवधि में चाहिए। जैसे ही वह मांग करेगा, समिति प्रबंधक के लॉगिन में दिखाई देने लगेगा। समिति स्तर पर किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की जानकारी से उसकी मांग का मिलान करने के बाद अनुशंसा के साथ सहकारी बैंक को भेज दिया जाएगा। इस आधार पर खाद आरक्षित होगी। 

सात दिन में उठानी होगी खाद

खाद उठाने के लिए सात दिन का समय मिलेगा ताकि मांग और आपूर्ति में तालमेल बना रहे। प्रदेश में सहकारी समितियों के माध्यम से हर साल 32-33 लाख किसान ऋण लेते हैं। इन्हें कुल साख सीमा का 65 फीसद हिस्सा नकदी और बाकी वस्तु के तौर पर मिला है। वस्तु के तौर पर ज्यादातर किसान खाद लेते हैं।

इनका कहना है
खाद बिक्री व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदारी लानेे के साथ किसानों को सुविधा देने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। इस व्यवस्था का दुरुपयोग न हो, इसके लिए समिति स्तर पर उपलब्ध खाद का अधिकतम बीस फीसद हिस्सा ही आरक्षित किया जा सकेगा।
उमाकांत उमराव, प्रमुख सचिव, 
सहकारिता विभाग