खेती के विकास के लिए विद्यार्थी करें अपने ज्ञान का उपयोग: कृषि मंत्री

खेती के विकास के लिए विद्यार्थी करें अपने ज्ञान का उपयोग: कृषि मंत्री

खाद्य तेल के आयात में कमी लाने व पोषक-अनाज को बढ़ावा देने पर केंद्र सरकार का जोर

ग्वालियर, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि के विद्यार्थियों से ज्ञान का उपयोग खेती के विकास के लिए करने का आह्वान किया है। श्री तोमर ने कहा कि आमतौर पर कृषि विद्यार्थियों को अच्छी नौकरी की चाहत रहती है लेकिन वैज्ञानिकों व अन्य जिम्मेदार लोगों को इनसे संवाद करके इन्हें पढ़ाई पूरी होने के बाद कृषि के क्षेत्र में ही काम करते हुए अपनी जमीन होने पर खेती करने, कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) से जुड़ने, केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ किसानों तक पहुंचाने सहित खेती को आगे बढ़ाने के दायित्व निभाने के लिए प्रयत्न करना चाहिए। सेवानिवृत्त कृषिकर्मियों की सेवाओं का लाभ भी खेती की प्रगति हेतु लिया जा सकता है। श्री तोमर ने बताया कि चंबल-ग्वालियर के बीहड़ क्षेत्र में खेती को बढ़ावा देने की दिशा में भी काम चल रहा है, जिसके लिए राज्य सरकार से बात की गई है, वहीं अंचल में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए समिट की गई है। 

केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने यह बात राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर के 13वें स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में कही। श्री तोमर ने कहा कि 19 अगस्त का दिन ग्वालियर के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी दिन यहां कृषि वि.वि. व संगीत वि.वि. की स्थापना हुई थी। श्री तोमर ने कहा कि केंद्र व म.प्र. सरकार की किसान हितैषी नीतियों, किसानों के कठोर परिश्रम व वैज्ञानिकों की कुशलता का ही नतीजा है कि कृषि के क्षेत्र में म.प्र. दिनों-दिन प्रगति कर रहा है। कृषि क्षेत्र में अग्रणी होने के लिए श्री तोमर ने किसानों, वैज्ञानिकों तथा म.प्र. सरकार को बधाई दी। उन्होंने कहा कि कोविड के समय पूरी दुनिया में प्रतिकूलता थी, इसके बावजूद देशभर के किसानों ने बंपर उत्पादन किया, सरकार ने भी उपार्जन किया और खेती की अर्थव्यवस्था अप्रभावित रही तथा एक बार फिर कृषि क्षेत्र ने अपनी प्रासंगकिता सिदध् की है। कृषि क्षेत्र हमारे देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, देश में दो हेक्टेयर से कम रकबे वाले 80 प्रतिशत से ज्यादा किसान है, जिन्हें मुनाफे में लाने व उनकी प्रगति के लिए उन्हें टेक्नालाजी से जुड़ने, महंगी फसलों की ओर आकर्षित होने, उनके उत्तम उत्पादों को मार्केट लिंक मिलने के लिए प्रयासों की जरूरत है। केंद्र सरकार इस संबंध में विभिन्न योजनाओं के माध्यम से काम कर रही है। 

श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने लगातार गांव-गरीब-किसानों की उन्नति पर बल दिया है, उनकी कोशिश है कि यह वर्ग नए भारत के निर्माण, आत्मनिर्भर भारत बनाने में योगदान दे सकें। हमारा देश आज खाद्यान्न में आत्मनिर्भर ही नहीं, बल्कि अतिशेष बन चुका है, अनेक कृषि उत्पादों के संबंध में दुनिया में भारत नंबर एक या दो पर है। आज आवश्यकता इस बात की है हमारे किसानों को अच्छा बाजार व उचित दाम मिले, जिसके लिए प्रोसेसिंग सुविधाओं की जरूरत है, इस दिशा में सरकार सब्सिडी देने सहित योजनाओं के जरिये काम कर रही है। गांवों-खेतों तक इंफ्रास्ट्रक्चर पहुंचाने के लिए एक लाख करोड़ रूपए का एग्री इंफ्रा फंड लाया गया है, जिसमें अभी तक चार हजार करोड़ रू. से अधिक की योजनाएं स्वीकृत हो चुकी है व काम भी प्रारंभ हो गया है। इसका लाभ उठाने में म.प्र. अग्रणी है। पशुपालन, मछलीपालन, हर्बल खेती, छोटी प्रोसेसिंग यूनिट्स लगाने सहित अन्य कार्यों के लिए भी म.प्र. को केंद्र सरकार के 50 हजार करोड़ रू. से ज्यादा के पैकैजों का लाभ उठाना चाहिए। केंद्र हरदम राज्य के साथ है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दलहन-तिलहन की दृष्टि से और काम करना बाकी है, प्रधानमंत्री जी के के आह्वान पर देश में दलहन का उत्पादन बढ़ा है, तिलहन में भी रकबा बढ़ा है, वहीं खाद्य तेल का आयात कम करने के लिए भी शुरूआत प्रधानमंत्री जी ने की है। केंद्र सरकार पाम आयल का आयात घटाना चाहती है, जिसके लिए 11 हजार करोड़ रू. के खर्च से राष्ट्रीय खाद्य तेल–पाम ऑयल मिशन (एनएमईओ-ओपी) शुरू करने का निर्णय लिया गया है। इससे पूर्वोत्तर के राज्यों की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा व किसानों का जीवन स्तर ऊंचा उठेगा। मिशन से पाम आयल की खेती को अनुकूल क्षेत्रों में बढ़ावा मिलेगा। किसानों को औसत मूल्य दिलाने की व्यवस्था भी केंद्र सरकार करेगी व दाम कम होने पर अंतर की राशि केंद्र सरकार सीधे किसानों के बैंक खातों में जमा कराएगी। श्री तोमर ने पोषक अनाज को बढ़ावा देने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि पहले ज्वार-बाजरा आदि घर-घर की रसोई के हिस्से होते थे, अब फिर ऐसी स्थिति बनाने के लिए केंद्र सरकार ने मिलेट्स को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है और भारत के आग्रह पर संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को मिलेट्स ईयर मनाना तय किया है। केंद्र ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी है। आम आदमी तक पोषक अनाज पहुंचाने का लक्ष्य है, ताकि आने वाली पीढ़ी को इसका पूरा फायदा हो सकें 

कार्यक्रम को म.प्र. के कृषि मंत्री कमल पटेल एवं उद्यानिकी तथा खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री श्री भारत सिंह कुशवाह, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के डीडीजी डा. एस.के. चौधरी, कुलपति प्रो. एस.के. राव, कुलसचिव श्री डी.एल. कोरी ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर श्री दिनेश बग्गड़ (धार), श्री श्याम सुंदर कारपेंटर (नीमच) व श्री राव गुलाब सिंह लोधी (नरसिंहपुर) को कृषक फैलो सम्मान प्रदान किया गया।