चंबल में रिकॉर्ड तोड़ भाव पर सरसो की बंपर खरीदी
अंचल के किसानों ने बिचौलियों को कर दिया दरकिनार
व्यापारियों ने एक अरब आठ करोड़ रुपए का किया भुगतान
अवधेश डंडोतिया
मुरैना, सरसों के भाव इस साल रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं। सरसों पर आई यह महंगाई न सिर्फ किसानों के लिए बल्कि कृषि मंडियों के लिए भी लाभकारी साबित हुई है। किसानों ने बिचौलियों के चक्र को तोड़ते हुए समर्थन मूल्य से 500 से 600 रुपए अधिक में सरसों बेची है। बढ़ी आवक और कम समर्थन मूल्य को देखते हुए मंडी में व्यापारियों ने किसानों को कम दाम देने का कई बार प्रयास किया, परंतु इस समय किसानों के समर्थन में सरकार और स्थानीय प्रशासन के रुख के कारण वे हावी नहीं हो पाए। सरकार ने सरसों का समर्थन मूल्य पर 4650 रुपए क्विंटल तय किया है, जबकि बाजार में सरसों के दाम 5000 से लेकर 5200 तक है। यही कारण है कि समर्थन मूल्य पर सरसों की खरीदी शुरू होने से पहले ही मुरैना जिले में एक लाख 70 हजार 500 क्विंटल सरसों को किसान कृषि मंडी में व्यापारियों को बेच चुके।
मंडी को मिला 1.20 करोड़ का टैक्स कोरोना काल में मुरैना सहित कई मंडियों की हालत ऐसी थी कि कर्मचारियों का वेतन समय पर नहीं बांट पा रहे थे। वहीं मार्च में मुरैना मंडी में सरसों की रिकॉर्ड खरीदी-बिक्री से एक करोड़ 20 लाख रुपए का टैक्स मिला है। मंडी के लाइसेंसधारी व्यापारी को उपज खरीदी का 1.5 प्रतिशत मंडी टैक्स के मंडी देना होता है। यही मंडी की कमाई है।
इसलिए महंगी हो रही सरसों
अभी सरसों की पैदावार का सीजन है। इस सीजन में सरसों के दाम घटते थे, लेकिन पहली बार सरसों के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। दरअसल देश में तेल की मांग की पूर्ति के लिए विदेशों से राइसब्रान, पाम आइल आदि का आयात होता है। सरकार ने पिछले महीनों में तेल के आयात पर टैक्स दरों को बहुत अधिक कर दिया है। इस कारण विदेशी तेल का आना लगभग बंद सा हो गया है और इसके बाद से देश में सरसों के तेल की मांग लगातार बढ़ रही है। इसी पूर्ति को पूरा करने का असर सरसों व उसके तेल के दामों पर पड़ रहा है।
सरसों के दाम अच्छे होने से किसान समर्थन मूल्य की जगह व्यापारियों को सरसों बेचना पसंद कर रहे हैं। यह कृषि मंडी के लिए भी वरदान साबित हुआ है। मार्च में मुरैना मंडी ने 1.20 करोड़ का टैक्स कमाया है, जो अब तक का सर्वाधिक है। अगर दाम यही रहे तो बाकी किसान भी समर्थन मूल्य की जगह मंडी में ही सरसों बेचेंगे। कई बैंक व्यापारियों को पैसा ही नहीं दे पा रहे हैं।
-शिवप्रताप सिंह सिकरवार, मंडी सचिव, मुरैना
समर्थन मूल्य की तुलना में मंडी मचे सरसों के दाम 500 से 600 रुपए क्विंटल ज्यादा है। मंडी में नगद पैसा भी मिल जाता है। इसीलिए हर किसान अपनी सरसों मंडी में ला रहा है। व्यापारियों के पास जितनी रकम थी और जब तक बैंकों ने मांग अनुसार भुगतान किया तब तक सही खरीदी चली। अब बैंकों से पैसे ही नहीं मिल रहे, ऐसे में व्यापारी कैसे खरीद करें।
सुधीर गोयल, संभाग प्रभारी, व्यापार महासंघ
बंपर खरीदी से बैंक हो गए खाली
कृषि उपज मंडियों में हो रही सरसों की बंपर खरीदी से मुरैना जिले की कईयों बैंकों में नकदी का संकट आ गया है। हालत यह है कि जो व्यापारी बैंक में 50 लाख निकालने जा रहा हैं उसे 5 से 10 लाख रुपए ही मिल पा रहे हैं। इससे जिलेभर की मंडियों में सरसों की खरीद पर असर पड़ रहा है। व्यापारियों को बैंकों से पैसे नहीं मिल पा रहे, इस कारण कैलारस की कृषि मंडी में तो व्यापारियों ने पांच दिन तक खरीद नहीं करने का ऐलान कर रखा है। अब तक 2 लाख 10 हजार क्विंटल से ज्यादा सरसों बेच चुके हैं। व्यापारियों ने किसानों को अब तक एक अरब 8 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि भुगतान कर दी है।