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जवाहरलाल नेहरू कृषि विवि में बीज संग्रहालय का उद्घाटन 

praveen namdev

जबलपुर । जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय पिछले चार दशक से राष्ट्र स्तर पर प्रजनन बीज के उत्पादन गुणवत्ता एवं उपलब्धता में प्रथम है। मध्यप्रदेश फसलों की जैव विविधता हेतु ख्याति प्राप्त है। मप्र के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में अनेक अति उपयोगी पोषक तत्वों के साथ ही गुणवत्ता में अग्रणी फसलों एवं किसानों का उत्पादन होता रहा है इनका फसलों के बीजों का समुचित संरक्षण एवं संवर्धन का कार्य ना होने से विलुप्त होने की कगार में है इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए बीज संग्रहालय का निर्माण विश्वविद्यालय में किया गया है। बीज संग्रहालय का उद्घाटन कुलपति डॉं. प्रदीप कुमार बिसेन ने किया ।

डॉं. जी.के. कोतू का अमूल्य योगदान 
संग्रहालय की रूपरेखा एवं मूल रूप प्रदान करने में संचालक अनुसंधान सेवायें डॉं. जी.के. कोतू का अमूल्य योगदान है। मध्यप्रदेश की जैव विविधता से पूर्ण आदिवासी क्षेत्रों में धान की लगभग 7000 परंपरागत किस्में उगाई जाती है। आज यह किस्में लुप्त हो रही है इनके संरक्षण के साथ देश में उपलब्ध जैव विविधता एवं इसका व्यापक प्रचार-प्रसार व जागरूक करने के उद्देश्य से बीज संग्रहालय की स्थापना की गई है।

प्रथम बीज संग्रहालय, जहां फसलों की उपलब्धता एवं जैव विविधता की जानकारी 
यह बीज क्षेत्र राष्ट्र का का , प्रथम बीज संग्रहालय होगा जहां विभिन्न फसलों की उपलब्धता एवं जैव विविधता की जानकारी दी गई है। इस म्यूजियम में कोदो, कुटकी, रागी, मंडिया सिकिया इत्यादि इनकी कुछ किस्में जैसे कुटकी की सीतही किस्म एवं बैगा जनजातियों द्वारा उगाई जाने वाली अरहर की बेगानी राहर एवं नाग दमन कुटकी विशेष आकर्षण का केंद्र है। धान की औषधीय एवं अन्य गुणों से भरपूर किसम जैसे लाल धान, बेहासान, सठिया ठर्री, भरी क्षत्री, हिंरदी कपूर, चिन्नोर, जीरा शंकर, रानी काजल, दिल बक्सा आदि कई किस्मों के जीवंत प्रदर्शन मुख्य आकर्षण के केंद्र हैं। गेहूं सोयाबीन एवं अन्य फसलों के बीज व उनके क्रमिक विकास की जानकारी भी रोचक ढंग से संग्रहालय में प्रस्तुत की गई है।

जवाहरलाल नेहरू कृषि विवि में बीज संग्रहालय का उद्घाटन 

praveen namdev

जबलपुर । जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय पिछले चार दशक से राष्ट्र स्तर पर प्रजनन बीज के उत्पादन गुणवत्ता एवं उपलब्धता में प्रथम है। मध्यप्रदेश फसलों की जैव विविधता हेतु ख्याति प्राप्त है। मप्र के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में अनेक अति उपयोगी पोषक तत्वों के साथ ही गुणवत्ता में अग्रणी फसलों एवं किसानों का उत्पादन होता रहा है इनका फसलों के बीजों का समुचित संरक्षण एवं संवर्धन का कार्य ना होने से विलुप्त होने की कगार में है इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए बीज संग्रहालय का निर्माण विश्वविद्यालय में किया गया है। बीज संग्रहालय का उद्घाटन कुलपति डॉं. प्रदीप कुमार बिसेन ने किया ।

डॉं. जी.के. कोतू का अमूल्य योगदान 
संग्रहालय की रूपरेखा एवं मूल रूप प्रदान करने में संचालक अनुसंधान सेवायें डॉं. जी.के. कोतू का अमूल्य योगदान है। मध्यप्रदेश की जैव विविधता से पूर्ण आदिवासी क्षेत्रों में धान की लगभग 7000 परंपरागत किस्में उगाई जाती है। आज यह किस्में लुप्त हो रही है इनके संरक्षण के साथ देश में उपलब्ध जैव विविधता एवं इसका व्यापक प्रचार-प्रसार व जागरूक करने के उद्देश्य से बीज संग्रहालय की स्थापना की गई है।

प्रथम बीज संग्रहालय, जहां फसलों की उपलब्धता एवं जैव विविधता की जानकारी 
यह बीज क्षेत्र राष्ट्र का का , प्रथम बीज संग्रहालय होगा जहां विभिन्न फसलों की उपलब्धता एवं जैव विविधता की जानकारी दी गई है। इस म्यूजियम में कोदो, कुटकी, रागी, मंडिया सिकिया इत्यादि इनकी कुछ किस्में जैसे कुटकी की सीतही किस्म एवं बैगा जनजातियों द्वारा उगाई जाने वाली अरहर की बेगानी राहर एवं नाग दमन कुटकी विशेष आकर्षण का केंद्र है। धान की औषधीय एवं अन्य गुणों से भरपूर किसम जैसे लाल धान, बेहासान, सठिया ठर्री, भरी क्षत्री, हिंरदी कपूर, चिन्नोर, जीरा शंकर, रानी काजल, दिल बक्सा आदि कई किस्मों के जीवंत प्रदर्शन मुख्य आकर्षण के केंद्र हैं। गेहूं सोयाबीन एवं अन्य फसलों के बीज व उनके क्रमिक विकास की जानकारी भी रोचक ढंग से संग्रहालय में प्रस्तुत की गई है।

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