मृदा को स्वस्थ बनाने हरी खाद के साथ-साथ खेत के अवशेषों के प्रबंधन की आवश्यकता: डा. एके पाण्डेय 

मृदा को स्वस्थ बनाने हरी खाद के साथ-साथ खेत के अवशेषों के प्रबंधन की आवश्यकता: डा. एके पाण्डेय 

रीवा। रीवा कृषि विज्ञान केन्द्र रीवा द्वारा विश्व मृदा दिवस का आयोजन अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय रीवा डा. एसके त्रिपाठी की उपस्थिति वं कृषि विज्ञान केन्द्र रीवा के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. एके पाण्डेय के मार्गदर्शन मे किया गया। वर्ष 2024 की थीम ' मृदा एवं जल: जीवन का स्त्रोत' रही। कार्यक्रम का उद्धाटन मुख्य अतिथि डा. एस. के. त्रिपाठी ने दीप प्रज्वलन के साथ किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में उन्होने छात्रों एवं कृषकों से आग्रह किया कि वे भारत सरकार की मंशानुरूप अपने मृदा के स्वास्थ व उर्वरता में सुधार लाने हेतु हर सम्भव संसाधन संरक्षण तकनीकी का प्रयोग करे व मृदा को जीवित बनाये रखें। ताकि जनसंख्या की आहार संबंधी अवश्यक्ताओं की पूर्ति हो सके। वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. ए. के. पाण्डेय  ने हरी खाद के साथ-साथ खेत के अवशेषों के प्रबंधन की आवश्यकता पर जोर दिया। जिससे मृदा मेे कार्बनिक पदार्थों के स्तर और मृदा की जल धारण क्षमता को बढ़ाया जा सके। कार्यक्रम प्रभारी एके पटेल ने इस अवसर पर जानकारी देते हुए बताया कि हमारे भोजन का 95 प्रतिशत मिट्टी से उत्पन्न होता है। फसलों/पौधे के लिए आवश्यक पोषक तत्वों मे से 15 मृदा से ही प्राप्त होते हंै। 2050 में विश्व की आहार संबंधी आवश्यकतायें पूरी करने के लिए वर्तमान उत्पादन से 60 प्रतिशत अधिक उत्पादन की आवश्यकता होगी। कुल मृदा का 33 प्रतिशत हिस्सा खराब अनुत्पादक होने की करार पर है। केवल मृदा के उचित प्रबंधन के द्वारा ही लगभग 58 प्रतिशत भोजन की आपूर्ति संभव हो सकती है। इस अवसर पर डा आरपी जोशी डॉ. राजेश सिंह, डा. किंजुलक सिंह, डा. सीजे सिंह, डॉ. बी. के. तिवारी डा अखिलेश कुमार, डॉ. स्मिता सिंह डा केएस बघेल एमके मिश्रा, मंजू शुक्ला ने भाग लिया।

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