1 करोड़ में बिका कृष्णा नाम का हल्लीकर सांड, जानिए क्या है खासियत
बैंगलोर, बैंगलोर कृषि मेला में एक सांड आकर्षक का केंद्र बना हुआ है। अभी हाल ही में चार दिवसीय कृषि मेले का आयोजन किया गया। इस मेले में कृष्णा नाम का सांड सुर्खियां बचोर रहा है। कृष्णा को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी रही। लोग इसे देखने और खरीदने के लिए भीड़ लगा रहे हैं। कृष्णा नाम का यह सांढ अभी साढे़ तीन साल का है, यह सांड हल्लीकर नस्ल का सांड है।
बैंगलोर में आयोजित हुए 4 दिवसीय कृषि मेले को काफी अत्याधुनिक तरीके से आयोजित किया गया था। लोग इसमें शारिरिक और वर्चुअली दोनों तरह से भाग ले सकते थे। एक तरह से यह पहला कृषि मेला भी था।
विलुप्त होते जा रहे हैं हल्लीकर नस्ल के मवेशी
हल्लीकर नस्ल के मवेशी अब विलुप्त होते जा रहे हैं। हल्लीकर नस्ल के मवेशियों के दूध में ए2 प्रोटीन ज्यादा होती और इसलिए इस नस्ल के मवेशी को बहुत ही ताकतवर माना जाता है। खासकर कृष्णा की बात की जाए तो यह देखने में तो आकर्षक है ही, इसकी 6।2 फीट की ऊंचाई, 8 फीट लंबाई और 800 किलो वजन के बारे में जानकर लोग गदगद हो जाते हैं। हल्लीकर नस्ल के सांड के अलावा इस मेले में दक्षिण अफ्रीकी नस्ल के घरेलू भेड़ डॉर्पर और ब्लैकहेड पर्शियन नस्ल के भेड़ों की भी बहुत ज्यादा मांग रही है। एक डॉर्पर की कीमत 10 लाख रुपये तक होती है, क्योंकि इसमें उच्च क्वालिटी का मीट मिलता है, लेकिन फैट बहुत ही कम रहता है।
पौष्टिक दूध के लिए मशहूर है हल्लीकर नस्ल
कृष्णा के मालिक बोरेगौड़ा ने कहा है कि, 'ठीक से देखभाल करने पर कृष्णा 20 साल और जीवित रह सकता है। हम चाहते हैं कि लोग इस मौके का फायदा ज्यादा हल्लीकर नस्ल पैदा करने के लिए उठाएं। हम इसका बहुत अच्छे से ख्याल रखते हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा हल्लीकर नस्ल के मवेशी पैदा हो सकें, जो कि पौष्टिक दूध देंगे।' यह कृषि मेला 11 नवंबर से 14 नवंबर तक आयोजित किया गया है।
हल्लीकर नस्ल मवेशियों के सभी नस्लों की मां
कृष्णा सांड के मालिक बोरेगौड़ा ने कहा है कि 'हल्लीकर नस्ल मवेशियों के सभी नस्लों की मां है। इस नस्ल के सीमन की बहुत ही ज्यादा मांग रहती है और हम सीमन की एक डोज 1,000 रुपये में बेचते हैं।' उन्होंने बताया कि इस उम्र के सांड के सीमन की बहुत ज्यादा मांग रहती है और इसे हर हफ्ते निकाला जाता है। कृष्णा का सीमन रामनगर, दावाणगेरे और चिकमगलुरु के दुकानों में उपलब्ध रहता है।
वीर्य की एक डोज 1 हजार रुपये में
सांड मालिक ने एएनआई को जानकारी देते हुए बताया कि हल्लीकर नस्ल के सांड के स्पर्म यानी वीर्य की काफी ज्यादा डिमांड होती है। उन्होंने कहा कि वह इसके वीर्य की एक डोज 1 हजार रुपये में बेचते हैं। बोरेगौड़ा ने कहा कि हल्लीकर नस्ल के जितने भी मवेशी होते हैं वे ए2 प्रटोन वाले दूध के लिए जाने जाते हैं। सांड मालिक ने बताया कि अब यह प्रजाति धीरे धीरे लुप्त होती जा रही है। कृष्णा सांड को खरीदने के लिए व्यापारियों ने हजार, लाख नहीं करोड़ रुपये तक की बोली लगाई। सांड मालिक ने बताया कि मेले में एक खरीदार ने कृष्णा सांड को 1 करोड़ रुपये में खरीदा।