पीएम की मन की बात में सतना के रामलोटन का देशी म्यूजियम

पीएम की मन की बात में सतना के रामलोटन का देशी म्यूजियम

deepak goutam
सतना, मध्य प्रदेश के सतना के रामलोटन कुशवाह ने अपने खेत में देशी म्यूजियम बनाया है। इसमें अलग-अलग तरह के औषधीय पौधे लगाए गए हैं। 250 से ज्यादा औषधीय पौधों का संग्रहण राम लोटन ने किया है, जिसकी तारीफ रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात की। प्रधानमंत्री द्वारा रेडियो के माध्यम से मन की बात के द्वारा देशभर के लोगों को नई और रोचक जानकारियां भी उपलब्ध कराई जा रही इसके साथ साथ ही ऐसे लोगों की प्रशंसा भी की जा रही है जो कुछ नया करते हैं। गौरतलब है कि 'जागत गांव हमार ने अपने पिछले अंक में 'रामÓ की बगिया में संजीवनी शीष प्रमुखता के साथ खबर प्रकाशित की थी। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कायज़्क्रम में मप्र के सतना जिले के किसान रामलोटन कुशवाह के देशी म्यूजियम की जमकर सराहना की।

राज्य मंत्री ने भी सुनी सराहना

रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सतना जिले के सम्मानित किसानों के नेतृत्व में दुर्लभ जड़ी बूटियों का संरक्षण करने वाले पिथौराबाद नई बस्ती के रामलोटन कुशवाहा की प्रसंसा की। सुबह 11 बजे से हुए इस कार्यक्रम को रेडियो में सतना के अमरपाटन से विधायक व राज्यमंत्री रामखेलावन पटेल सहित अन्य ने भी सुना। 

म्यूजियम खास 

किसान राम लोटन सजियों के देसी बीज और जड़ी-बूटी के संरक्षण में जुटे हैं उनकी बगिया में इस वक्त 250 से ज्यादा औषधीय पौधे हैं। पक्के मकान की एक दीवार पर लटकी कई आकार की सूखी लौकियां और सजियों की फलियां असर यहां आने वालों को अपनी तरफ आकर्षित करती हैं। इस मकान और इसके आसपास ऐसा बहुत कुछ और भी है जो लोगों को अपनी तरफ खींच लाता है। 

अपनी दीवानगी बताते हैं रामलोटन कुशवाह 

राम लोटन का कहना है कि देसी सजियों और जड़ी-बूटियों से मुझे इतना स्नेह है कि दिन-रात कब ढल जाते हैं, इसका पता नहीं लग पाता। आप ये मान लीजिए यही सजियां और जड़ी बूटियां मेरा सब कुछ हैं। राम लोटन कुशवाहा, देशी सजियों और जड़ी बूटियों के संरक्षण के प्रति अपनी दीवानगी बताते हैं। 64 वर्ष के रामलोटन सतना जिले के उचेहरा लॉक के गांव अतरवेदिया के निवासी हैं। उनका गांव जिला मुयालय सतना से 25 किलोमीटर दूर है। यहीं पर रामलोटन एक एकड़ कुछ कम खेत में औषधीय गुणों से भरी जड़ी बूटियों का संरक्षण और संवर्धन कर रहे हैं। साथ में हर साल कई तरह की सजियां उगाते हैं।