प्राकृतिक खेती करें किसान, आने वाला समय इसी का है

प्राकृतिक खेती करें किसान, आने वाला समय इसी का है

dhananjay tiwari
रीवा, जिले में योजनाबद्घ तरीके से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देकर फसल विविधीकरण करते हुए किसानों को प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से कलेक्टर मनोज पुष्प के निर्देश पर प्राकृतिक खेती पोर्टल में पंजीकृत कृषकों की प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गयी। कार्यशाला में वैज्ञानिकों द्वारा प्राकृतिक खेती के तरीकों के संबंध में प्रशिक्षण दिया गया।

एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला 
कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत स्वप्निल वानखेड़े ने कहा कि मध्यम व बड़े किसान अपने कृषि भूमि में से कुछ भूमि में प्राकृतिक खेती करें क्योंकि भविष्य की जरूरतों को मद्देनजर रखते हुए यह खेती उपयोगी होगी तथा आने वाले समय में इससे ज्यादा मुनाफा होगा। 

स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक मोटे अनाज
उन्होंने कहा कि धान, गेंहू के साथ-साथ मोटे अनाजों का उत्पादन करें इनसे जहां एक ओर आमदनी के साधन बढ़ेंगे वहीं दूसरी ओर यह उपज स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है। उन्होंने कहा कि खेती में परिवर्तन आवश्यक है इससे आने वाली पीढ़ी को लाभ मिलेगा। उन्होंने विश्व पर्यावरण दिवस पर प्राकृतिक खेती की कार्यशाला के आयोजन को एक अच्छा प्रयास बताया। उन्होंने किसानों से अपेक्षा की कि ऐसे पेड़ लगायें जिनका उपयोग प्राकृतिक खेती में हो सके। उन्होंने किसानों को आश्वस्त किया कि प्रशासन स्तर से प्राकृतिक खेती के उत्पादों के पैकेजिंग, ब्रांडिंग एवं मानीटरिंग के प्रयास किये जायेंगे साथ ही कोदों फसल के उत्पाद को कृषकों एवं एफपीओ के माध्यम से मार्केंटिंग कराकर किसानों को लाभ दिलाया जाना सुनिश्चित किया जायेगा।

ई-कामर्स के माध्यम से बाजार उपलब्धता की व्यवस्था के बारे में जानकारी दी
प्रशिक्षण में महाप्रबंध यूबी तिवारी ने कहा कि प्राकृतिक खेती से किसानों को लाभ मिले, उनके उपज की ब्रांडिंग हो तथा गुणवत्तापूर्ण पैकिंग व्यवस्था के साथ उनकी उपज का बेहतर मूल्य मिल सके। यह सब प्रयास किये जायेंगे। उन्होंने मोटे अनाजों जैसे कोदों-कुटकी की फूड प्रोसेसिंग करने तथा अन्य उत्पादों की ई-कामर्स के माध्यम से बाजार उपलब्धता की व्यवस्था के बारे में जानकारी दी। 

कृषि वैज्ञानिकों ने प्राकृतिक खेती के प्रमुख बिन्दुओं पर चर्चा की
कृषि वैज्ञानिक बृजेश तिवारी एवं स्मिता सिंह ने प्राकृतिक खेती के प्रमुख बिन्दुओं पर कृषकों से विस्तृत चर्चा की। डॉ। केवल सिंह बघेल ने फसलों में कीट प्रबंधन के बारे में बताया। कृषि वैज्ञानिक डॉ। राजेश सिंह ने फसल विविधीकरण अन्तर्गत स्ट्राबेरी खेती के साथ फसल प्राणाली अन्तर्गत आलू, प्याज, धनिया एवं भिण्डी आदि की फसल से अधिकतम आय प्राप्त करने की समझाइश दी। डॉ। अखिलेश कुमार ने मधुमखी पालन एवं डा। आरपी जोशी ने दलहनी-तिलहनी फसलों के फसल चक्र एवं विविधीकरण के विषय में किसानों को जानकारी दी। उप संचालक कृषि यूबी बागरी द्वारा कृषकों से प्राकृतिक खेती अपनाने की बात कही गयी।

दलहनी-तिलहनी फसलों का बताया लाभ
डॉ. अखिलेश कुमार ने मधुमखी पालन एवं डॉ. आरपी जोशी ने दलहनी-तिलहनी फसलों के फसल चक्र एवं विविधीकरण के विषय में किसानों को जानकारी दी। वहीं उप संचालक कृषि यूबी बागरी द्वारा कृषकों से प्राकृतिक खेती अपनाने की बात कही गई। इस अवसर पर सहायक संचालक उद्यानिकी योगेश पाठक, उप परियोजना संचालक आत्मा प्रीति द्विवेद्वी सहित कृषि वैज्ञानिक, कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के अधिकारी-कर्मचारी तथा कृषक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. बीपी सिंह ने किया।