भोपाल के शारदा विहार विद्यालय में रोजाना तैयार की जा रही 50 किलो बॉयो सीएनजी
पूर्व सरसंघचालक के सुदर्शन का सपना हुआ साकार
अरविंद मिश्र
भोपाल, नरेंद्र मोदी सरकार जहां लोकल फॉर वोकल को बढ़ावा देते हुए कार्बन उत्सर्जन कम कर पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त करना चाहती है। वहीं केंद्र सरकार की इस मंशा को राजधानी स्थित सरस्वती विद्या मंदिर शारदा विहार आवासीय विद्यालय फलीभूत कर रहा है। केरवा डैम स्थित गौ-शाला में न सिर्फ उन्नत नस्ल की गाय तैयार की जा रही हैं, बल्कि गायों के गोबर से अन्यंत्र उपयोग भी किया जा रहा है। यहां गायों के गोबर से संपीडि़त प्राकृतिक गैस यानि सीएनजी (कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस) तैयार की जा रही है, जिसका संस्थान में प्रयुक्त होने वाले वाहनों में ईंधन के रूप में उपयोग किया जा रहा है। यही नहीं, विद्यालय परिसर में स्थित कामधेनु गौ-शाला में गैस प्लांट से निकले हुए रॉमटेरियल से खाद के साथ गौ-काष्ठ भी तैयार किया जा रहा है। यानी यह संस्थान पूरी तरह इकोफ्रेंडली है। खास बात यह है कि यह मध्यप्रदेश का पहला 100 घनमीटर छमता का प्राइवेट बॉयो सीएनजी गैस प्लांट है, जिससे रोजाना 50 किलो बॉयो सीएनजी तैयार की जा रही है। इस ईंधन से गौ-शाला के दो मिनी ट्रक, तीन वैन और दो बस चलाई जा रही हैं।
मध्यप्रदेश में गौ-शालाओं का बढ़ावा देना चाहिए। जब सीएनजी का उत्पादन होगा तब गौ-शालाएं आत्मनिर्भर होंगी। इस तहर की गौ-शालाएं स्थापित होने किसानों की आमदनी भी बढ़ जाएगी। साथ ही सड़कों पर आवारा घूमने वाली गायों को संरक्षण मिल जाएगा। सबसे बड़ी बात यह है कि जब लोग सीएनजी का उपयोग करने लगेंगे तब प्रदूषण भी धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा। हमारे यहां पहले एक दिन में दस एलपीजी गैस सिलेंडरों का इस्तेमाल होता था। प्लांट स्थापित होने के बाद सीएनजी का ही उपयोग कर रहे हैं।
प्रकाश मंडलोई, गौ-शाला और गैस प्लांट के प्रमुख, शारदा विहार
गुरुकुल की तर्ज पर भोपाल में सरस्वती विद्या मंदिर शारदा विहार आवासीय विद्यालय का संचालन किया जा रहा है। वास्तव में संस्था आत्मनिर्भर हो चुकी है। मप्र में इस तरह की पहल से किसानों के अच्छे दिन जरूर आएंगे। अखबार के माध्यम से संस्था को मेरा सुझाव है कि सीएनजी प्लांट के रख-रखाव पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। संस्था से समाज को सीख लेने की जरूरत है। शहर की अपेक्षा गांव में बड़े प्लांट अधिक उत्पादन क्षमता के स्थापित किए जा सकते हैं। कामधेनु गौशाला में सीएनजी उत्पादन बड़ी उपलब्धि है।
मनोकामना शुक्ला, सिविल इंजीनियर, नई दिल्ली
के. सुदर्शन की अहम भूमिका
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पांचवें सरसंघचालक स्व. के सुदर्शन का सपना था कि शारदा विहार विद्यालय पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो। आज यहां की उपलब्धिां यही बयां कर रही हैं कि उनका सपना साकार हो गया। चंूकि विद्यालय परिसर में काफी समय उन्होंने गुजारा है। वो जिस कुटी में रहते थे वो आज भी विद्यमान है।
ऐसे आया आइडिया
शारदा विहार आवासीय विद्यालय के प्रमुख अजय शिवहरे बताते हैं कि पेट्रोल-डीजल से बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए विद्यालय में गाय के गोबर से बॉयो सीएनजी के उत्पादन का ख्याल आया। इसके लिए परिसर में एक करोड़ की लागत से प्लांट तैयार किया गया। इससे न सिर्फ संस्थान में उपयोग होने वाले वाहन प्रदूषण फ्री हो गए, बल्कि संस्थान में खाना बनाने से लेकर अन्य सहूलियतें भी संभव हो सकी हैं। इसमें सबसे बड़ा फासदा संस्थान का इकोफ्रेंडली होना है। पहले संस्थान में हर दिन दस गैस सिलेंडर उपयोग होते थे।
दिल्ली आईआईटी ने स्थापित किया था प्लांट
गौ-शाला और गैस प्लांट के प्रमुख प्रकाश मंडलोई और विष्णु पाटीदार ने 'जागत गांव हमारÓ से खास बातचीत में बताया कि शारदा विहार आवासीय विद्यालय में वर्ष-2001 में गौ-पालन शुरू किया गया था। शुरुआत में 45 घनमीटर क्षमता का गोबर गैस प्लांट शुरू किया गया था। फिर प्लांट में दिल्ली आईआईटी की तकनीकी टीम ने सीएनजी गैस का नया प्लांट स्थापित किया। तभी से सीएनजी छात्रावास, कर्मचारियों के लिए भोजन पकाने में नई विधि से इस्तेमाल हो रही है। यहां एक हजार से ज्यादा बच्चों के लिए प्रतिदिन लगभग दो हजार से ज्यादा रोटियां, सब्जी, दाल पकाई जाती है। चार-पांच साल पहले 100 घनमीटर क्षमता का बॉयो सीएनजी गैस प्लांट शुरू किया गया। वर्तमान में गौ-शाला में तीन सौ से ज्यादा गाय हैं। यहां रोजाना लगभग पांच टन गोबर निकलता है। उसका इस्तेमाल दोनों प्लांट में किया जाता है।
एक किलो दूध में २५० ग्राम घी
कामधेनु गौ-शाला में वर्तमान में 300 से ज्यादा गिरि नस्ल की गाय हैं। पांच एकड़ में फैले परिसर में सिर्फ ढाई एकड़ में सीएनजी प्लांट और गौ-शाला है। यहां से 300 लीटर दूध रोजाना निकलता है। एक किलो दूध में 250 ग्राम घी निकल रहा है। बाजार में गिरि गाय के घी की कीमत 2200 रुपए प्रति किलो है।
एक गाय पर 150 रुपए खर्च
शारदा विहार में रोजाना 60 लीटर गौ-मूत्र एकत्र किया जाता है। गौ-मूत्र का बाजार भाव 160 रुपए प्रति लीटर है। यही नहीं, कैंसर-डायबिटीज वाला गौ-मूत्र अर्क 180 रुपए लीटर बिकता है। संस्थान में फिनाइल गुनाइल के नाम से बनाया जाता है। गौ-मूत्र और गुनाइल की सप्लाई भोपाल, इंदौर, विदिशा, ग्वालियर, जबलपुर सहित अन्य शहरों में की जाती है। यहां एक गाय खाने-पीने पर प्रतिदिन 150 रुपए का खर्च आता है।
हर साल 22 लाख का गौ-काष्ठ
संस्थान में हर साल करीब 22 लाख रुपए के कंडे बेचे जाते हैं। ये कंडे बॉयो सीएनजी प्लांट से निकले गोबर से बनाए जाते हैं। साथ ही इससे खाद भी बनाई जाती है। यहां सीएनजी प्लांट से निकले गोबर से देसी खाद बनाई जाती है, जिसका बाजार भाव प्रति ट्राली करीब 1500 रुपए है।
2.40 लाख की हर माह बचत
शारदा विहार आवासीय विद्यालय में सीएनजी गैस के उपयोग से हर माह दो लाख 40 हजार रुपए की बचत हो रही है। पहले एलपीजी के दस गैस सिलेंडरों का प्रति दिन उपयोग होता था। जिसका बाजार भाव आज के समय में 800 रुपए प्रति सिलेंडर है। राजधानी में घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत 800 पर पुहंच गई। घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत इंदौर में 818.93, जबलपुर में 800.34 और ग्वालियर में 878 रुपए हो गई है।
औषधीय पौधों की खेती
लोकल फॉर वोकल को चरितार्थ करते संस्थान में सब्जी के साथ औषधि पौधे भी तैयार किए जाते हैं। यहां करीब ढाई एकड़ में सब्जी—भाजी और औषधि पौधों की खेती की जाती है। औषधीय पौधों से 60 प्रकार की दवाइयां भी बनायी जाती हैं। यही नहीं, यहां केचुआ खाद भी तैयार की जाती है। जिसकी काफी डिमांड है।
सीएनजी बनाने की विधि
बॉयो गैस प्लांट से निकली गैस को कंप्रेशर की मदद से सघन दबाव के जरिए शुद्घि किया जाता है। फिर उसे एक बडेÞ सिलेंडर में जमा कर लिया जाता है। इसके बाद 14 किलो क्षमता वाले गैस सिलेंडर में भरने के बाद सीएनजी किट लगे वाहनों में इस्तेमाल किया जाता है।
400 घन मीटर प्लांट की योजना
शारदा विहार में आसपास के गांवों और प्रदेश के अन्य जिलों के बच्चे पढ़ते हैं। जो आवासीय विद्यालय में रहते हैं। स्थानीय बच्चों को लाने-ले जाने के प्रबंधन की बसें जाती हैं। उन बसों को भी बॉयो सीएनजी से चलाने के लिए 400 घनमीटर क्षमता का प्लांट स्थापित करने की तैयारी की जा रही है। जिसे जल्द ही मूर्तरूप दिया जाएगा।
खाना बनाने से लेकर रोजगार तक
बॉयो सीएनजी प्लांट से यहां एक हजार बच्चों के लिए भोजन भी तैयार किया जाता है। सीएनजी से वाहन भी चल रहे हैं। सबसे खास बात यह है कि यहां एक करोड़ रुपए की लागत से तैयार बॉयो सीएनजी प्लांट से करीब 50 परिवारों को प्रत्यक्ष रोजगार भी मिला है।
लोकल फॉर वोकल
कामधेनु गौ-शाला में बन रही बॉयो सीएनजी
गैस से बन रहा खाना और चल रहीं स्कूल की बस और अन्य वाहन
पहले एक दिन में इस्तेमाल होते थे दस एलपीजी गैस सिलेंडर