भोपाल -उज्जैन बन गया तितलियों का गढ़, मध्यप्रदेश में मिलीं 150 प्रजाति की तितलियां

भोपाल -उज्जैन बन गया तितलियों का गढ़, मध्यप्रदेश में मिलीं 150 प्रजाति की तितलियां

वंदना बृजेश परमार 
भोपाल/उज्जैन। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से तकरीबन 50 किमी दूर स्थित 823 वर्ग किमी में फैले रातापानी वन्यजीव अभयारण्य में 103 से अधिक प्रजातियों की तितलियां पाई गई हैं। यह आंकड़ा सितंबर 2021 में 13 राज्यों के 88 तितली विशेषज्ञों के द्वारा दो दिन जंगल की खाक छानने के बाद जारी किया गया। वहीं उज्जैन वन मंडल के नौलखी के ईको टूरिज्म पार्क में प्रथम तितली सर्वेक्षण का कार्य किया गया। इस दौरान 28 प्रकार की तितलियां और 36 प्रकार के पक्षी पाए गए। हालांकि देश के अलग-अलग राज्यों में तितलियों की 14,00 प्रजातियां होने का अनुमान है। इनमें से मप्र में करीब 150 प्रजातियां की पहचान की जा चुकी। वन विहार नेशनल पार्क में 2015 व 2020 में हुए सर्वे में 36 प्रजातियां मिली हैं। इनमें ब्लू टाइगर, फैंसी, मोरमोन, कामन ग्रास यलो, प्लेन टाइगर आदि शामिल हैं। होशंगाबाद के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और हिल स्टेशन पचमढ़ी में 2017 में किए सर्वे में 126 प्रजातियां मिली थीं। इनमें इंडियन नवाब, कामन नवाब, आरेंज आकलीफ, काल जेजेबेल आदि शामिल हैं। अब उत्साही वन विशेषज्ञ तितलियों के संरक्षण की कवायद में जुट गए हैं।

भोपाल में रातापानी के जंगल में दुर्लभ तितलियां मिलीं

14 राज्य के 88 विशेषज्ञ तीन दिन तक घूमे अभयारण्य

तितलियों की 103 प्रजातियां मिली, इनमें कई दुर्लभ भी

सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में 126 प्रजाति की तितलियों की पहचान

बर्ड सर्वे की गुजारिश

सर्वे में मप्र के अलावा छढ़, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, प. बंगाल, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक, यूपी समेत 13 राज्य के एक्सपर्ट शामिल हुए। इन्हें आने वाले बर्ड सर्वे में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया। तितलियों पर हुए सर्वे में वाइल्ड वारियर्स और तिंसा फाउंडेशन का सहयोग भी रहा।

13 राज्यों की टीम
राजधानी भोपाल के रातापानी वन्यजीव अभयारण्य में 103 से अधिक प्रजातियों की तितलियां पाई गई हैं। यह आंकड़ा सितंबर 2021 में 13 राज्यों के 88 तितली विशेषज्ञों के द्वारा दो दिन जंगल की खाक छानने के बाद जारी किया गया। इन आंकड़ों के सामने आने के बाद भोपाल से सटे इस जंगल की गुणवत्ता को लेकर चर्चा हो रही है।  

तितलियों से फायदा
अब रातापानी में तितलियों को संरक्षित करने की योजना बनेगी। जंगल का संरक्षण और बढ़ेगा। खाद्य श्रृंखला मजबूत होगी। बाघ, तेंदुए समेत दूसरे वन्यजीवों को फायदा होगा। जंगल का संरक्षण बढऩे से वन्यजीवों की आबादी भी बढ़ेगी। रातापानी पहुंचने वालो पर्चटकों को बाघ, तेंदुए समेत दूसरे वन्यप्राणी व तितलियां आसानी से नजर आएंगी।

भोपाल वन विहार में सिर्फ तीन दर्जन
भोपाल शहर स्थित वन विहार नेशनल पार्क के तितली उद्यान में पिछले वर्ष करीब तीन दर्जन तितलियां देखी गई हैं। वर्ष 2014 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेस्ट मैनेजमेंट (आईआईएफएम) के कैपस में हुए अध्ययन में तितलियों की 55 प्रजातियां देखी गई थी। जानकार मानते हैं कि शहरों के आस-पास प्रदूषण और खेती-बाड़ी  के बदलते तरीकों की वजह से तितलियों की संख्या कम हो रही है। ऐसे में भोपाल से सटे जंगल से आया यह आंकड़ा जंगल की गुणवत्ता को लेकर क्या एक अच्छा संकेत है। रातापानी के जंगल में तितलियों की प्रजाति और संख्या देखने के अलावा शोधकर्ताओं को एक और बात उत्साहित कर रही है, वह है दुर्लभ प्रजातियों की तितलियों का मिलना। इस सर्वे में लगभग 6 -7 दुर्लभ प्रजातियों की तितलियां दिखी हैं जिसमें से कुछ ऐसी हैं जो वर्षों बाद नजर आई हैं। चमढ़ी बुश ब्राउन, जो कि मध्यप्रदेश के हिल स्टेशन पचमढ़ी की तितली है। रातापानी के जंगल में देखी जा रही हैं। रातापानी में इस तितली के दिखने का मतलब है कि अभयारण्य इस तितली के लिए अनुकूल परिस्थितियां प्रदान कर रहा है। ब्लैक राजा , एंगल्ड पियरो, नवाब, कॉमन ट्रीब्राउन, ट्राई कलर्ड पाइड फ्लेट जैसी कई और दुर्लभ प्रजातियों की तितलियां भी यहा विशेषज्ञों को नजर आईं। 

खेती का बदला तरीका चिंतनीय
जानकार जंगल के आसपास हो रहे रासायनिक खेती को लेकर चिंतिंत हैं। 103 प्रजातियों की तितलियां जिस स्थान पर देखी गई हैं उसके आसपास खेतों में रसायनों का प्रयोग होता है। इसका तितलियों पर बुरा असर हो सकता है। इस अभयारण्य के आस-पास और भीतर इंसानी आबादी मौजूद है। गांव के लोग खेती करते हैं और कीटनाशकों का उपयोग भी करते हैं जिस से तितलियों के अंडे मर जाते है। साथ ही,कैटरपिलर जहरीली पत्तियों को खा कर मर जाते हैं, जिन से तितलियों की संख्या प्रभावित हो सकती है। 

पशुओं से फायदा
हालांकि गांव में लोगों की वजह से फायदा भी हो रहा है। लोग पशु-पालन करते हैं उस से जंगल में ताड़ी खाद उपलब्ध होती है, और यहा पेड़ और अच्छे से उग पाते हैं। यहां जानवर, इंसान और पौधों के बीच एक संतुलन बना हुआ है जिस से होस्ट और नेक्टर प्लांट्स उग रहे हैं और तितलियों को भरपूर मात्रा में पोषण और रहने की जगह मिल रही है। इस अभयारण्य में अमलतास, अशोक, लंटाना, कैथ, सड़ेद शिरीष, आक, नींबू, करीपत्ता, मदार जैसे होस्ट प्लांट्स पाए जाते हैं जिन के कारण यहा कई प्रजातियों की तितलियां मिलीं। 

उज्जैन के ईको टूरिज्म पार्क में 28 प्रकार की तितलियां 
इधर, उज्जैन के ईको टुरिज्म पार्क में किए गए प्रथम सर्वेक्षण में 28 प्रकार की तितलियां और 36 प्रकार के पक्षी पाए गए हैं। यह सर्वेक्षण वन्य प्राणी विशेषज्ञों एवं वन विभाग के दल ने संयुक्त रूप से पार्क के सम्पूर्ण क्षेत्र का भ्रमण/निरीक्षण करने पर सामने आया है। रेंजर कौसंबी झा के अनुसार ईको टूरिज्म पार्क में प्रथम तितली सर्वेक्षण का कार्य 24 अक्टूबर को किया गया। इस प्रथम सर्वेक्षण में विशेषज्ञ के रूप में सेवानिवृत्त भारतीय वन सेवा के अधिकारी शामिल थे। एक दिवसीय सर्वेक्षण में सुबह के दो घंटे के समय में अलग अलग ग्रुप ने पार्क में अलग-अलग स्थान पर तितलियों और पक्षी को देखकर इंगित किया। मुख्य वन संरक्षक वृत्त उज्जैन, और समस्त वन स्टाफ की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। वन्यप्राणी विशेषज्ञों तथा वन विभाग के दल द्वारा संयुक्त रूप से मनोरंजन पार्क के संपूर्ण क्षेत्र का भ्रमण/निरीक्षण किया गया। इस दौरान 28 प्रकार की तितलियां और 36 प्रकार के पक्षी पाए गए, जिनके संरक्षण के लिए वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा मौके पर निर्देश दिए गए। 

उज्जैन में चार-चांद लगा रहा नौलखी वनक्षेत्र
उज्जैन में विशेष रूप से स्पाटेट पाईरोट, थ्री स्पाट ग्रास यलो,स्ट्रीप्ड टाईगर किस्म की तितलीयां देखी गईं। इसी प्रकार पक्षियों मे व्हाईट आई बर्जड,शार्ट टोड स्नेक ईगल, ट्री पीप्ट,बे बेक्ड शीक देखे गए। उपस्थित विशेषज्ञों को सम्मान स्वरूप प्रमाण-पत्र वितरित कर उक्त कार्य में रुचिपूर्ण सहयोग व प्रचार-प्रसार करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। उज्जैन वन मंडल के अन्तर्गत उज्जैन के आरक्षित वन खंड नौलखी कक्ष क्र. 24 में वन एवं वन्यप्राणी के अनुभव/संरक्षण एवं पर्यटकों के मनोरंजन के लिए ईको टूरिज्म पार्क सन 2018 से प्रारंभ किया गया है। उज्जैन के चारों ओर लगभग 118 किलो मीटर का पंचक्रोशी परिक्रमा मार्ग नौलखी वनक्षेत्र के अंदर से गुजरता है। 

कमल तालाब बना आकर्षण का केंद्र
ईको टूरिज्म पार्क में इंटरप्रीटेशन सेंटर, नौकायन, पक्षी दर्शन, कैंपिंग, ट्रेकिंग और सायकलिंग की सुविधाएं उपलब्ध हैं। उक्त क्षेत्र में राशि वन, नक्षत्र वन, शोभादार एवं अन्य पौधों का रोपण कार्य किया गया है। इसका रख-रखाव संबंधी कार्य वन विभाग द्वारा किया जा रहा है। गौरतलब है कि नौलखी ईको टूरिज्म पार्क शहर की चकाचौंध के बीच में स्थित होकर वन और वन्यजीव के प्रेमियों, बच्चों, फोटोग्राफर और पर्यटकों के लिए एक बहुत ही अच्छा केंद्र है। यहां पर पार्क की सुंदरता तथा पर्यटकों के आकर्षण के लिए कमल तालाब भी बनाया गया है। इंटरप्रीटेशन सेंटर में वन/वन्यप्राणियों से संबंधित त जानकारी संग्रहित है।