कृषि वैज्ञानिकों ने बताया गेहूं में बुआई के समय उर्वरक का प्रयोग और मात्रा

कृषि वैज्ञानिकों ने बताया गेहूं में बुआई के समय उर्वरक का प्रयोग और मात्रा

बहराइच, आचार्य नरेंद्र देव एवं कृषि प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र, नानपारा, बहराइच के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. के. एम. सिंह ने बताया कि गेहूं की बुवाई के समय निम्न उर्वरकों संयोजन में से किसी एक का प्रति एकड़ में प्रयोग कर अधिक उत्पादन लें -

डीएपी-50 किलोग्राम
एम ओ पी-25 किलोग्राम
यूरिया-25 किलोग्राम या सिंगल सुपर फास्फेट -150 किलोग्राम
एम.ओ.पी.-25 किलोग्राम, यूरिया 50 किलोग्राम या एनपीके (12 : 32 :16) 75 किलोग्राम
यूरिया 25 किलोग्राम या एनपीके (10 : 26 : 26) 100 किलोग्राम 
यूरिया 20 किलोग्राम

यह खेत धान कटाई करने के उपरांत गेहूं की बुवाई कर रहे हैं तो 10% यूरिया घोल धान के डंठल अथवा पुआल के ऊपर छिड़काव करने के बाद खेत में बुवाई करें। डॉ सिंह ने बताया कि धान की कटाई सुपर एस एम एस युक्त कंबाइन हार्वेस्टर से कराएं। 

बुआई के लिए हैप्पी सीडर का प्रयोग करें। यदि मल्चर उपलब्ध है तो मल्चर से धान के पुआल एवं डंठटल को छोटा-छोटा काट दें, उसके बाद जीरो सीडड्रिल मशीन से बुवाई करें। 

केंद्र के पादप प्रजनन वैज्ञानिक डॉ अरुण कुमार ने गेहूं की उन्नतशील प्रजातियों डी. बी. डब्ल्यू. 187 गेहूं की एक उन्नतशील प्रजाति है, जो 140 से 150 दिन में पक कर तैयार हो जाती हैI इसकी उपज 70 से 80 कुंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त की जा सकती है। 

डी. बी. डब्ल्यू. 222 भी गेहूं की एक उन्नतशील प्रजाति है जो 136 से 142 दिन में पक कर तैयार हो जाती हैI इसकी उपज 60 से 68 कुंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त की जा सकती हैI 

डी. बी. डब्ल्यू. 252 भी गेहूं की एक उन्नतशील प्रजाति है जो 130 से 140 दिन में पक कर तैयार हो जाती हैI इसकी उपज 50 से 60 कुंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त की जा सकती हैI 

एच. डी. 2967 भी गेहूं की एक उन्नतशील प्रजाति है जो 132 से 138 दिन में पक कर तैयार हो जाती हैI जो 55 से 65 कुंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त की जा सकती हैI 

एच. डी. 3226 भी गेहूं की एक उन्नतशील प्रजाति है जो 140 से 150 दिन में पक कर तैयार हो जाती हैI इसकी उपज 60 से 70 कुंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त की जा सकती हैI

डॉ वी पी सिंह ने गेहूँ की समय से बुआई के लिए 15 से 25 नवम्बर के मध्य करे। मध्य देरी वाली प्रजातियां दिसंबर के पखवारे में बुआई करें।

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