कमलनाथ का खरीदा गेहूं केंद्र सरकार ने लेने से किया इंकार, शिवराज ने 1200 करोड़ में बेचा

कमलनाथ का खरीदा गेहूं केंद्र सरकार ने लेने से किया इंकार, शिवराज ने 1200 करोड़ में बेचा

भोपाल। केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश के जिस छह लाख 43 हजार टन गेहूं को सेंट्रल पूल में लेने से मना कर दिया था, उसे प्रदेश सरकार ने लगभग 12 सौ करोड़ रुपए में बेचा है। खुले बाजार में नीलामी के माध्यम से राज्य नागरिक आपूर्ति निगम ने इस गेहूं की बिक्री की है। तीन लाख टन गेहूं के उठाव के अनुबंध भी हो चुके हैं। यह गेहूं कमलनाथ सरकार के समय में खरीदा गया था। तब सरकार ने किसान समृद्धि योजना प्रारंभ करके किसानों को प्रति क्विंटल 165 रुपए प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की थी। इसे केंद्र सरकार ने बोनस मानते हुए सेंट्रल पूल में लेने से मना कर दिया था। काफी मान-मनौव्वल के बाद भी जब बात नहीं बनी तो शिवराज सरकार ने इसे नीलाम करने का निर्णय लिया।

छोटे-छोटे समूह बनाए तो मिली अच्छी कीमत

राज्य नागरिक आपूर्ति निगम पर बढ़ते जा रहे कर्ज के बोझ को कम करने के लिए सरकार ने छह लाख 43 हजार टन गेहूं को नीलाम करने का फैसला किया। निगम ने पहले दो लाख टन गेहूं नीलाम करने के लिए निविदा निकाली पर शर्तों को लेकर विवाद हो गया और सरकार ने पूरी प्रक्रिया को निरस्त कर दिया। इसके बाद छोटे-छोटे समूह बनाकर गेहूं नीलाम करने का कदम उठाया गया। इस प्रयास को सफलता मिली और औसत एक हजार 875 रुपए प्रति क्विंटल की दर प्राप्त हुई, जो समर्थन मूल्य से अधिक रही। अधिकांश गेहूं का गोदामों से उठाव करने के लिए अनुबंध हो गए हैं। निगम को गेहूं की बिक्री से लगभग एक हजार 200 करोड़ रुपए मिलेंगे। हालांकि, इसके बाद भी निगम लगभग साढ़े चार सौ करोड़ रुपए के घाटे में रहेगा, क्योंकि किसान को भुगतान करने के बाद गेहूं के भंडारण, परिवहन सहित अन्य कार्यों में बड़ी राशि व्यय होती है।

यह था विवाद

2019-20 में किसानों से एक हजार 840 रुपए प्रति क्विंटल की दर से 72 लाख टन गेहूं खरीदा गया था। खरीद प्रारंभ होने के पहले कमल नाथ सरकार ने किसानों को 165 रुपए प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की थी। खरीद के दौरान जब सेंट्रल पूल में गेहूं देने की बात आई तो केंद्र सरकार ने इस पर आपत्ति उठाई। दरअसल, केंद्र और राज्य सरकार के बीच अनुबंध है कि खरीद के पहले ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जाएगा, जिसका बाजार पर विपरीत असर पड़े। प्रदेश सरकार का तर्क था कि किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए राशि दी जा रही है पर केंद्र सरकार इससे सहमत नहीं हुई।

उज्जैन में सर्वाधिक दो हजार 52 रुपए में बिका

गेहूं की नीलामी में सर्वाधिक दो हजार 52 रुपए प्रति क्विंटल की दर उज्जैन में प्राप्त हुई है। जबकि, सबसे कम एक हजार 629 रुपए की प्रति क्विंटल की दर रीवा में मिली थी। इस निविदा को शासन ने निरस्त कर दिया और अब 12 हजार 80 टन गेहूं की दोबारा नीलामी की जाएगी।