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ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम कम करते हैं खेतों के पास लगे पेड़

कृषि के आसपास की झाडिय़ों और बाड़े और उनकी सूखी और मृत लकडि़य़ां पर्यावरण संरक्षण में बहुत ही कारगर साबित होती हैं। खेतों के आसपास जीवित और मृत दोनों तरह के पेड़ रहने से और ज्यादा पेड़ लगाने से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम होते देखे गए हैं। इन ना केवल ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम होता है, बल्कि कार्बन भंडारण में भी मदद मिलती है।

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विकास और प्रकृति में विरोधाभास हमेशा ही इंसान के लिए समस्याकारक रहा है। साफ तौर पर और बार बार यही देखा गया है कि जब भी विकास कार्य प्रकृति से दूर या उसके खिलाफ होता है इसका सीधा नुकसान पर्यावरण, फिर जलवायु और अंतत: मनुष्य को ही होता है। नए अध्ययन में दर्शाया गया है कि खेतों के पास पेड़ों का होना पर्यावरण के लिए हमेशा फायदेमंद ही साबित होता है। कृषि  भूमि पर जिंदा और मृत दोनों तरह के पेड़ बने रहने और ऐसी जमीन पर और ज्यादा पेड़ लगाने से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को भी कम किया जा सकता है। विकास और पकृति में विरोधाभास हमेशा ही इंसान के लिए समस्याकारक रहा है। साफ तौर पर और बार बार यही देखा गया है कि जब भी विकास कार्य प्रकृति से दूर या उसके खिलाफ होता है इसका सीधा नुकसान पर्यावरण, फिर जलवायु और अंतत: मनुष्य को ही होता है। नए अध्ययन में दर्शाया गया है कि खेतों के पास पेड़ों का होना पर्यावरण के लिए हमेशा फायदेमंद ही साबित होता है। कृषि भूमि पर जिंदा और मृत दोनों तरह के पेड़ बने रहने और ऐसी जमीन पर और ज्यादा पेड़ लगाने से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को भी कम किया जा सकता है।

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ग्लोब चेंज बायोलॉजी में प्रकाशित न्यू यूनिवर्सिटी ऑफ अल्बेर्टा के अध्ययन में दर्शाया गया है कि मृत और जिंदा पेड़ किसानों के बहुत महत्वपूर्ण साथी और पर्यावरण  के खासे मददगार भी होते हैं। खेतों के आसपास की झाडि़य़ों और बाड़े की सूखी और मृत लकडिय़ों को संरक्षित रखने से कार्बन को कायम रखने और ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलती है।

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अध्ययन: पर्यावरण के खासे मददगार

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