जानिए... कैसे करें टमाटर की उन्नत खेती और कमाएं ज्यादा मुनाफा
डॉ. मनमोहन सिंह भूरिया
डॉ. एन आर रंगारे
दिनेश कुमार कुलदीप
मनीष कुमार
जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर
टमाटर की खेती अलग अलग तरह की मिटटी में की जा सकती है, किन्तु अच्छि फसल हेतु उचित जल निकास वाली दोमट मिट्टी लाभकारी होती है। इसके लिए 6-7 pH अच्छा माना जाता है | टमाटर की फसल हेतु उठी हुई क्यारियाँ बना ले , जो की जमीं से 10-15 इंच तक की हो, क्यारियाँ बनाते समय मिट्टी को अछि तरह मिलकर भुरभुरा करले व उसमे आवश्यकता अनुसार खाद भी मिला ले उठी हुए क्यारी होने से उगने वाले फल अछे होते है तथा खरपतवार भी कम होते है।
जलवायु
टमाटर गर्म मौसम की फसल है| यह फसल पाला सहन नहीं कर सकती है| टमाटर के लिए तापमान 18 डिग्री से.- 27 डिग्री से. के. बीच उपयुक्त है| फल लगने के लिए रात का आदर्श तापमान 15 से 20 डिग्री के बीच रहना चाहिए| ज्यादा गर्मी में फलों के रंग व स्वाद पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है|
बीजदर
एक हेक्टयेर क्षेत्र में फसल उगाने के लिए नर्सरी तैयार करने हेतु लगभग 350 से 400 ग्राम बीज पर्याप्त होता है। संकर किस्मों के लिए बीज की मात्रा 150-200 ग्राम प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है।
टमाटर की किस्में
पूसा सदाबाहर, पूसा रूबी, अर्का विकास, सोनाली, पूसा शीतल, पूसा रोहिणी, पूसा -120,पूसा अर्ली ड्वार्फ, पूसा हाइब्रिड-1, पूसा हाइब्रिड-4, तथा पूसा हाइब्रिड-2
नर्सरी तैयार करना
टमाटर की खेती के लिए जुलाई माह में पौध तैयार करते हैं। एक एकड़ खेत में टमाटर के पौध रोपने के लिए माह जुलाई में 2 डिसमिल परिक्षेत्र में टमाटर के बीजों की नर्सरी डाल दें। इसके लिए खेत के एक भाग में क्यारी बनाकर गोबर की खाद डालें तथा दो इंच ऊंची मिट्टी तैयार कर देशी या संकर बीज की बुवाई करें पुनः पौध तैयार होने पर खेत में इसकी रोपाई कर दें।
बुवाई का समय
टमाटर की फसल को हम दो बार लगाते है। खरीफ के लिए जुलाई से अगस्त तथा रबी में अक्टूबर से नवम्बर के अंत तक बुवाई व रोपाई की जाती है।
उर्वरक की मात्रा
रोपाई के एक माह पहले गोबर या कम्पोस्ट की अच्छी सड़ी व गली खाद 20-25 टन /हेक्टेयर की दर से अच्छी तरह मिला लें| फ़ास्फ़रोस व पोटाश की क्रमश: 60 व 50 किलोग्राम मात्रा रोपाई से पहले भूमि में प्रयोग करें तथा बाकि नत्रजन की आधी मात्रा फसल में फूल आने पर प्रयोग करें।
सिंचाई
टमाटर की फसल में नमी की आवश्यकता होती है इसमे अधिक या कम नमी दोनों ही हानी करक होती है अतः मोसम के अनुसार गर्मियों में 6-7 दिन के अन्तराल से हल्का पानी सर्दियों में 10-15 दिन के अन्तराल में दें।
निराई-गुड़ाई व पौधों को सहारा देना
फसल के साथ अक्सर खरपतवार आ जाते है जो की अवश्यक पोषक तत्व को पुर्णतः पौधे तक नहीं पहुचने देते अतः समय-समय पर निराई-गुड़ाई कर खरपतवार को निकलते रहना चाहिए|
टमाटर मे फूल आने के समय पौधों को सहारा देना आवश्यक होता है। विशेषतः टमाटर की लम्बी बढ़ने वाली किस्मों को सहारा देने की आवश्यकता होती है। जिससे की फल मिट्टी एवं पानी के सम्पर्क मे नही आ पाते फलस्वरूप फल सड़ने की समस्या नही होती है। सहारा देने के लिए रोपाई के 30 से 45 दिन के बाद बांस या लकड़ी के डंडों में विभिन्न ऊॅचाईयों पर छेद करके तार बांध दे फिर पौधों को सुतली की सहायता से तारों से बांध दें। इस तरह से आप अच्छी गुड़वत्ता वाली फसल प्राप्त कर सकते हैं।
तुड़ाई
अगस्त में रोपे गए पौधों में अक्टूबर में फल आने लगता है। फसल 75 से 100 दिनों में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है| जब फलों का रंग हल्का लाल होना शुरू हो उस अवस्था मे फलों की तुड़ाई करें नजदीकी बाजार में भेंजने हेतु परिपक्व फलों की तुड़ाई करें।
रोग व नियंत्रण
आद्र गलन: प्राय: यह फगंस के द्वारा होता है तथा पौधषाला में होता है
नियंत्रण
बीज को 3 ग्राम थाइरम या 3 ग्राम केप्टान प्रति किलो बीज की दर से उपचारित कर बोयें। नर्सरी में बुवाई से पूर्व थाइरम या केप्टान 4 से 5 ग्राम प्रति वर्गमीटर की दर से भूमि में मिलावें। नर्सरी, आसपास की भूमि से 4 से 6 इंच उठी हुई बनावें।
पछेती अंगमारी
यह रोग पौधों की पत्तियों पर किसी भी अवस्था में होता है। भूरे व काले बैंगनी छब्बें पत्तिायों एवं तने पर दिखाई देते है जिसके कारण अन्त में पत्तियाँ पूर्ण रूप से झुलस जाती हैं।
नियंत्रण
मैन्कोजेब 2 ग्राम या कॉपर ऑक्सी क्लोराइड 3 ग्राम या रिडोमिल एम जैड 3 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल का छिड़काव करें।
पत्ता धब्बा रोग
बैक्टीरियल धब्बा रोगज़नक़ पौधे के सभी भागों पर घावों का उत्पादन कर सकते हैं जैसे पत्तियों, तने, फूल और फल। प्रारंभिक पत्ती पर लक्षण एक पीले रंग की प्रभामंडल से घिरा हो सकता है, जो छोटे, गोल से अनियमित, गहरे घावों जैसे होते हैं । घाव, पत्ती के किनारों और अग्र भाग पर 3-5 मिमी व्यास के आकार में वृद्धि करते हैं । प्रभावित पत्तियां पर एक झुलस जैसी दिखाई देती है । और अनेक स्पॉट हो जाते हैं तथा पत्ते पीले रंग बदल जाते हैं और अंत में पौधे के निचले हिस्से में पतझड़ होकर पौधा मर जाता है ।
नियंत्रण : नर्सरी बेड की तैयारी से पहले मिट्टी धुप में तैयार करें बीज को स्यूडोमोनास क्लोरसेंस (१० ग्राम/कि.ग्रा.) के साथ उपचार करें.
कीट प्रकोप व नियंत्रण :
1.पत्ती सुरंगक कीट (लीफ माइनर): ये कीट पत्तियों में चांदी के रंग की सुरंगे बनाकर उसके अन्दर पत्तियों को खाता है।
नियंत्रण :
ग्रसित पत्तियों को निकाल कर नष्ट कर दें |
डाइमेंथोएट 2 मि.लि./लिटर या मिथाइल डेमीटोन 30 ई.सी. 2 मि.लि./लिटर पानी का छिडकाव करें |
2. टमाटर फल छेदक (टोमेटो फ्रूट बोरर): यह किट टमाटर में सर्वाधिक हानि पहुंचाने वाला किट है तथा मादा कीट पत्तियों की निचली सतह पर अण्डे देती है इल्ली टमाटर के फलों में छेद करके फल का गुदा खाती है।
नियंत्रण
टमाटर की प्रति 16 पंक्तियों पर ट्रैप फसल के रूप में एक पंक्ति गेंदा की लगाएं |
जरुरत पडने पर नीम की बीज अर्क (5 प्रतिशत) या एन.पी.बी. 250 मि.लि./हेक्टेयर या बी.टी. 1 ग्राम/लिटर पानी एमामेक्टिन बैन्जोएट 5 एस.जी., 1.ग्रा./2 लिटर स्पिनोसेड 45 एस.सी. 1. मि.लि./4. लिटर या डेल्टामेंथ्रिन 2.5 ई.सी. 1.मि.लि./पानी का इस्तेमाल करें |
3. सफ़ेद मक्खी (वाइट फ्लाई): ये कीट पत्तिायों का रस चूसते है तथा वायरस जनित रोगों का प्रसार करते है।
नियंत्रण:
रोपाई से पहले पौधों की जड़ों को आधे घंटे के लिए इमिडाक्लोग्रिड 1 मी.लि. / 3 लिटर में डुबोएं |
नर्सरी को 40 मैश की नाइलोन नेट से ढक कर रखें|
नीम बीज अर्क (4 प्रतिशत) या डाईमेंथोएत 30 ई.सी. 2 मी.ली. / लिटर या मिथाइल डेमीटोन 30 ई.सी. 2 मी.ली. / लिटर पानी का छिडकाव करें |