किसान ने आधा एकड़ भूमि में लगाई गेहूं की 25 किस्म
संजय शर्मा
खरगोन, किसानों को देशी बीजों का महत्व बताने और जैविक खेती से बीजों के संरक्षण के मकसद से खरगोन के एक किसान ने नवाचार किया है। जिला मुख्यालय से करीब 17 किमी दूर बिस्टान के किसान अविनाश दांगी ने आधा एकड़ रकबे में 25 किस्म के गेहूं के बीज लगाए हैं। गेहूं के साथ अंतरवर्तीय फसल धनिया, मेथी, चना, मूली, गाजर भी लगाई है। गेहूं की बालियां आने लगी हैं।
इसी बीच धनिया, मेथी, मूली, गाजर का उत्पादन शुरू हो चुका है। इस माडल को देख दूसरे किसान भी जैविक खेती में रुचि ले रहे हैं। दांगी बताते हैं वे जैविक खेती करने के साथ देशी बीजों का संरक्षण भी करते हैं। लंबे समय तक रखे रहने से बीज खराब होने की आशंका रहती है। उन्होंने बीज संरक्षित करने के साथ ही दूसरे किसानों को जैविक खेती का महत्व बताने के लिए यह प्रयोग किया है।
रिसर्च किस्म भी शामिल
आधा एकड़ में दो नवंबर को पूसा तेजस, काला गेहूं, काली बाली, करण वंदना, चावल कोटा, जौ, लोकवन, लाल गेहूं, एचडब्ल्यू 2004, एचआई 8498, लाल बाली, 009, केडी 2001, चंदोसी, बंशी, आईडी 2003, सोना मोती, हरा गेहूं, खपली, पूर्णा, सी 306, गोल दाना, यूडी 1948, डीडी 1945, एचडी 2004 किस्म के बीज खेत में लगाए। इन किस्मों में देशभर के किसानों से जुटाए गए देशी बीज के साथ ही रिसर्च किस्म भी शामिल हैं।
60 किस्मों के बीज संरक्षित
दांगी 16 वर्ष से जैविक खेती और सात वर्ष से देशी बीज संरक्षण कर रहे हैं। अब तक 60 से अधिक देशी किस्म के बीज संरक्षित किए हैं। 25 एकड़ जमीन पर पूर्णत: जैविक खेती करते हैं। जमीन मध्य प्रदेश राज्य जैविक प्रमाणीकरण संस्था से पंजीकृत है। मेड़ों पर नीम, करंज आदि पेड़ लगाकर फसल की कीटों से रक्षा करते हैं। पेड़ों की पत्तियों और फलों से जैविक उत्पाद बनाते हैं। उनके पास 42 गौवंश हैं।
पुरस्कार भी मिले
दांगी को वर्ष 2018-19 में इंडिया आर्गेनिक संस्था के टॉप टेन जैविक किसानों में शामिल किया गया था। 2020 में विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर से जैविक खेती के लिए फैलोशिप दी गई। वर्ष 2020 में ही मध्य प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड से राज्य स्तरीय जैव विविधता पुरस्कार से सम्मानित किया था।