श्योपुर में सेलम हल्दी से संवर रहा किसानों का भविष्य

श्योपुर में सेलम हल्दी से संवर रहा किसानों का भविष्य

मप्र स्थापना दिवस पर हल्दी प्रोसिंग यूनिट शुरू हो जाएगी

श्योपुर। आदिवासी बहुल श्योपुर जिले की हल्दी जल्द ही अब दूर-दूर तक अपनी सुनहरी चमक बिखेरगी। हल्दी का रकबा बढऩे के साथ ही मप्र ग्रामीण आजीविका मिशन समूह से जुड़ी महिलाएं कराहल में यूनिट लगाने जा रही हैं। हल्दी सूखाने, पीसने से लेकर पैकेजिंग करने वाली मशीन आ गई है। अगर सब कुछ ठीकठाक रहा तो मप्र स्थापना दिवस पर हल्दी प्रोसिंग यूनिट शुरू हो जाएगी। प्रशासन से भी इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं। आदिवासी ब्लॉक कराहल के बरगवां, दुबड़ी, बमौरी, गड़ला, चितारा सहित अन्य गांवों के किसान इन दिनों हल्दी की खेती कर रहे हैं। इस हल्दी में कुर्कमिन या करक्यूमिंन औषधीय तत्व पाया जाता है। करीब 6 महीने पहले पतंजलि, मुनीम जी मसाले और डाबर जैसी कंपनी के प्रतिनिधियों ने भी आजीविका प्रोड्यूसर कंपनी से इस हल्दी को खरीदने के लिए संपर्क किया था। उस समय कंपनियों की डिमांड थी, कि उन्हें हल्दी पीसकर दी जाए। यही वजह है, कि समूह की महिलाएं अब हल्दी प्रोसिंग यूनिट शुरू करने जा रही है।

तीन हजार किसान कर रहे हल्दी की खेती

2012 में आदिवासी ब्लॉक बरगवां संकुल के ग्राम दुबड़ी, बमौरी, गड़ला, बगरवां, चितारा, कांकरा, डूंडीखेड़ा, सारनअहिरवानी, अगरा, मदनपुर, पाली, हीरापुर 40 किसानों ने 15 एकड़ में खेती शुरू की। 450 क्विंटल हल्दी का उत्पादन हुआ। किसानों ने हल्दी को मसालों के साथ ही अन्य किसानों को बीच बेचा, जिससे उन्हें काफी फायदा हुआ। 2019-20 में 150 किसानों ने 7500 क्विंटल हल्दी का उत्पादन किया। इसका उत्पादन एक हेक्टेयर में 45-50 क्विंटल होता है। प्रति हेक्टेयर में किसान को 40 से 50 हजार रुपए का शुद्ध हुआ था। इसलिए इस साल करीब 3000 हजार किसानों ने 3 हजार हेक्टेयर में हल्दी का उत्पादन किया है।

सेलम हल्दी का उत्पादन

श्योपुर जिले में किसान सेलम हल्दी का उत्पादन कर रहे है सेलम हल्दी में करक्यूमिन नामक तत्व सबसे महत्वपूर्ण और एक्टिव सामग्री माना जाता है, जो हल्दी के चमकदार पीले रंग और तीखी खुशबू का कारण है। करक्यूमिन शरीर में फंगल का जन्म नहीं होने देता है और साथ ही टिशू में सूजन को भी कम करने में मदद करता है।