रीवा के किसान कर रहे अफ्रीकन महोगनी की खेती, अच्छे लाभ की उम्मीद
dhanajay tiwari
रीवा। वैसे तो रीवा जिले के किसान नवाचार के लिए जाने जाते हैं। जिले के किसान अपनी आय बढाने के लिए तरह तरह के प्रयोग करते हैं। इसी के तहत जिले के कई किसानों ने अफ्रीकन महोगनी के पौधे लगाए हैं। इन प्रयोगधर्मी किसानों को उम्मीद है कि उन्हें इस खेती में अच्छा फायदा मिलेगा। अफ्रीकन महोगनी की लकड़ियां काफी मजबूत और महंगी होती है। साथ ही इन पौधों के बीच में किसान खेती भी कर सकते हैं।
5 हजार रुपए घन फिट में बिकती है लकड़ी
यह लकड़ी लाल और भूरे रंग की होती है। इस पर पानी के नुकसान का कोई असर नहीं होता है। महोगनी की लकड़ी मजबूत और काफी लंबे समय तक उपयोग में लाई जाने वाली होती है। बताया जाता है कि इसकी लकड़ियों का इस्तेमाल एरोप्लेन, जलजहाज आदि के लिए भी होता है। इसकी लकड़ी को सागौन से भी मजबूत माना जाता है। वर्तमान में इसकी लकड़ियां 5 हजार रुपए घन फिट में बिकती है।
औषधीय पौधा भी है महोगनी
यह औषधीय पौधा भी है, इसलिए इसके पत्तों, फूलों और बीजों का उपयोग भी कई प्रकार के रोगों में होता है। इसका पौधा पांच वर्षों में एक बार बीज देता है। इसके एक पौधे से पांच किलों तक बीज प्राप्त किए जा सकते है। इसके बीज की कीमत एक हजार रुपए प्रतिकिलो तक होती है। इस वृक्ष की पत्तियों में एक खास तरह का गुण पाया जाता है, जिससे इसके पेड़ो के पास किसी भी तरह के मच्छर और कीट नहीं आते हैं।
रीवा अनिल मिश्रा ने भी एक एकड़ में पौधे लगाए
राजस्थान, पंजाब के अलावा अब म.प्र. में भी इसकी खेती बढ़ने लगी है। रीवा में चोरहटा के सांव गांव निवासी अनिल कुमार मिश्रा ने भी एक एकड़ में पौधे लगाए हैं इसके अतिरिक्त दीनबंधु पटेल निवासी देवरिहन थाना नईगढ़ी, भोला प्रसाद कुशवाहा निवासी तारीखास थाना नईगढ़ी सहित अन्य लोग भी इनकी खेती कर रहे हैं। कई समय लगता है और उसके बाद लोगों के पौधे अब धीरे-धीरे विकसित हो रहे है। किसानों ने बताया कि पौधे लगाने के बाद पेड़ तैयार होने में 10 से 15 साल का समय लगता है इसके बाद इसकी लकड़ियां तैयार हो जाती हैं।
महोगनी के लिए अनुकूल है जिले की जलवायु
जिले की जलवायु और मिट्टी महोगनी के लिए अनुकूल बताई जा रही है। महोगनी का पेड़ दोमट मिट्टी में जल्दी तैयार होता है। इसको उस जगह पर उगाया जाता है, जहां तेज हवाएं कम चलती हैं, क्योंकि इसके पेड़ 40 से 200 फ़ीट तक लम्बे होते हैं लेकिन किन्तु भारत में यह 60 फीट तक ही होते हैं। इन्हें पहाड़ी क्षेत्रों को छोड़कर किसी भी जगह उगाया जा सकता है। यह पेड़ 50 डिग्री सेल्सियस तक ही तापमान को सहने की क्षमता को बर्दाश्त कर सकता है। जिले के सीमित इलाकों में अभी इसकी खेती होती है लेकिन इसके महत्व को देखते हुए लोगों में इस पेड़ के प्रति रुझान तेजी से बढ़ रहा है।
इंटरनेट से जानकारी लेकर लगाया पौधा
अनिल कुमार मिश्रा के मुताबिक तीन साल पूर्व एक एकड़ में महोगनी के पौधे लगाए थे। इनके बारे में इंटरनेट से जानकारी ली थी। पौधों को पूरी तरह तैयार होने में 10-15 साल लग जाता है। इसको हर सप्ताह पानी की आवश्यकता होती है और हर साल करीब एक क्विंटल खाद देनी होती है। अभी तक पौधों में किसी तरह की दिक्कत सामने नहीं आई है।