बैगन की खेती भी दिला सकती है अच्छा मुनाफा जानिए कैसे

बैगन की खेती भी दिला सकती है अच्छा मुनाफा जानिए कैसे

भोपाल। खरीफ का मौसम शुरू हो गया है। वैसे तो इस सीजन सोयाबीन, मक्का, ज्वार जैसी खरीफ की फसलों की बुवाई की जाती है है। लेकिन इस सीजन में सब्जियों की खेती भी अच्छा मुनाफा दिला सकती है। वर्षाकालीन बैगन की खेती से किसानों को अच्छा लाभ मिल सकता है। तो आइये जानते हैं वर्षाकालीन बैंगन की खेती की पूरी जानकारी-

जून के पहले सप्ताह में लगाएं नर्सरी

वर्षाकालीन बैंगन की खेती के लिए जून के पहले सप्ताह में नर्सरी तैयार की जाती है।  इसके लिए एक मीटर चौड़ी, 3 मीटर लंबी और 15 सेंटीमीटर ऊँची क्यारियां तैयार करें। एक हेक्टेयर में बैंगन लगाने के लिए लगभग 25 से 30 क्यारियां तैयार की जाती है। बीज की बुआई से पहले हर क्यारी में 300 ग्राम एनपीके और 15 से 20 किलोग्राम गोबर खाद डालना चाहिए।

30 से 35 दिनों बाद करें पौधरोपण

30 से 35 दिनों बाद पौधे तैयार हो जाते हैं। जब पौधे 12 से 15 सेंटीमीटर बड़े और 3 से 4 पत्तियां आ जाए तब पौधों की रोपाई की जाती है। जुलाई महीने के दूसरे सप्ताह में यह रोपाई की जाती है। पौधों की रोपाई के दौरान पौधे से पौधे की दूरी और पंक्ति से पंक्ति की दूरी एक मीटर रखना चाहिए। प्रति एकड़ तकरीबन 7 हजार पौधों की रोपाई की जाती है। एक एकड़ से 120 क्विंटल तक का उत्पादन हो जाता है।

बैंगन की 6 प्रमुख उन्नत किस्में

बैंगन की प्रमुख उन्नत प्रजातियों की बात करें तो इनमें पूसा पर्ल, पूसा अनमोल, पूसा पर्पल, ग्राउंड पूसा और हाइब्रिड-6 प्रमुख हैं।

बैंगन की खेती के लिए मिट्टी

कार्बनिक पदार्थो युक्त मिट्टी में बैंगन की पैदावार अच्छी होती है। इसलिए इसकी खेती के बलुई दोमट से लेकर भारी मिट्टी में भी हो जाती है। वहीं खेत में जलनिकासी की उत्तम व्यवस्था होना चाहिए। इसकी खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 6.0 तक उत्तम माना जाता है।

बैंगन की खेती के लिए खाद एवं उर्वरक

बैंगन की अच्छी पैदावार के लिए पर्याप्त पोषक तत्वों की जरूरत पड़ती है। इसलिए प्रति हेक्टेयर के लिए 120 से 150 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 से 75 किलोग्राम फॉस्फोरस, 50 से 60 किलोग्राम पोटाश और 200 से 250 क्विंटल गोबर की सड़ी खाद डालना चाहिए। 

बैंगन की खेती के लिए तुड़ाई

पूरी तरह से पकने के पहले ही बैंगन की तुड़ाई करना चाहिए जिससे फसल के अच्छे दाम मिलने की संभावना बढ़ जाती है। वहीं बैंगन की तुड़ाई के पहले रंग और आकार का भी खास ध्यान रखना चाहिए। जब बैंगन चिकना और आकर्षक हो उस समय पर ही इसकी तुड़ाई करना चाहिए।

बैंगन की खेती के लिए स्टोरेज

सामान्यतौर पर बैंगन का अधिक समय तक स्टोरेज नहीं किया जा सकता है। यदि ऐसे ही इसे रखा जाता है तो इसकी नमी खत्म हो जाती है जिससे इसकी बाजार वैल्यू कम हो जाती है। हालांकि 10 से 11 डिग्री सेल्सियस तापमान पर बैंगन को दो से तीन सप्ताह के लिए स्टोरेज रखा जा सकता है। वहीं इस दौरान बैंगन की 92 प्रतिशत नमी को बचाया जा सकता है। बैंगन की पैकेजिंग के लिए आकषज़्क बोरियों और टोकरियों का प्रयोग करना चाहिए।