आम के बगीचे में पहंचे कृषि वैज्ञानिक, देखी समस्याएं किया निदान

आम के बगीचे में पहंचे कृषि वैज्ञानिक, देखी समस्याएं किया निदान

बहराइच, कृषि विज्ञान केंद्र, नानपारा, बहराइच-II के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. के.एम. सिंह के मार्गदर्शन में ग्राम- सिलेटनगंज, वि. खं.- बलहा के कृषक मो. हनीफ के आम के बागीचे में वैज्ञानिक गणों द्वारा प्रक्षेत्र भ्रमण कर वहाँ पर आ रही समस्या का अवलोकन कर तत्काल निदान किया गया।

बीमारी देख बताई दवाई 
पौध संरक्षण वैज्ञानिक डॉ हर्षिता ने बाग में तना छेदक (स्टेम बोरर) का प्रकोप बताया। उन्होंने बताया कि इस कीट की गिडार (ग्रब) तने को छेदकर सुरंग बना लेती है जिससे पेड़ कमजोर हो जाता है और सूखने लगता है। इसके नियंत्रण हेतु ग्रब और प्यूपा द्वारा प्रभावित शाखाओं को काटकर नष्ट कर देना चाहिए तथा मिट्टी का तेल/ पेट्रोल अथवा एल्युमिनियम फासफाइड तने में हुए छिद्रों में डालकर गीली मिट्टी से बन्द कर देना चाहिए। इसके अलावा प्रभावित तने के छिद्रों में फिप्रोनिल 40%+ इमिडाक्लोप्रिड 40% डब्लू.जी. के स्प्रे  के साथ फिप्रोनिल 0.3% जी. का पेड़ों के चारों ओर बुरकाव कर देने की सलाह दी। 

मीली बग के प्रकोप से बचने के लिए उपाय
पौध संरक्षण वैज्ञानिक डॉ. हर्षिता ने मीली बग के प्रकोप से बचने के लिए कृषकों से दिसम्बर माह की शुरुआत में थालों की गुड़ाई कर मिथाइल पैराथियान 2 % पाउडर 150 से 200 ग्राम प्रति थाले के हिसाब से मिट्टी में मिलाने को कहा और दिसम्बर के अन्तिम सप्ताह तक वृक्ष के मुख्य तने पर लगभग 1/2 मीटर की ऊंचाई पर 25-30 से.मी. चौड़ी 400 गेज की पॉलीथीन शीट को पतली सुतली से बांधकर दोनों सिरों को चिकनी मिट्टी से लेपने को कहा जिससे जमीन में दबे अंडों से निकले शिशु कीट पेड़ों के ऊपर ना चढ़ सकें।उन्होंने बताया की गोंद निकलने की शिकायत होने पर 10 वर्ष या उससे अधिक वयस्क वृक्ष के थाले में 250 ग्राम तूतिया (कापर सल्फेट) +250 ग्राम जिंक सल्फेट +125 ग्राम सुहागा (बोरेक्स)+ बुझे चूने का मिश्रण मिट्टी में मिलाकर हल्की सिंचाई करनी चाहिए तथा स्केल कीट के नियंत्रण हेतु उसका चिपचिपा पदार्थ या उसपर उगी काली फफूंद दिखते ही नीम का तेल 0.03 % एस.एल. अथवा इमिडाक्लोप्रिड 17.8 % एस.एल. का  छिड़काव करना चाहिये। मौके पर क्षेत्र के अन्य कृषक मायाराम, श्याम मनोहर सिंह, मुन्ना लाल गुप्ता, राम केवल आदि उपस्थित रहे।

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