रबी फसलों की बुवाई हेतु किसानों के लिए कृषि वैज्ञानिकों की सलाह
टीकमगढ़। कृषि विज्ञान केंद्र, टीकमगढ़ के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, डॉ. बीएस किरार साथ ही केंद्र के वैज्ञानिकों डॉ. आर.के. प्रजापति, डॉ. एस.के सिंह, डॉ. एसके जाटव, डॉ. यूएस धाकड़, डॉ. आईडी सिंह द्वारा रबी फसलों की बुवाई हेतु खेत की कल्टीवेटर या रोटावेटर से अच्छी तरह से खेती की तैयारी कर लें।
चना की किस्में:
जेजी 24, जेजी 36, जेजी 14, आरव्हीजी 202, आरव्हीजी 203, मटर की किस्में - आईपीएफडी 10-12, आईपीएफडी 12-2, आकाश,
गेंहू की किस्में
जेडब्ल्यू 1203, जेडब्ल्यू 3211, जेडब्ल्यू 3288, जेडब्ल्यू 3382, जेडब्ल्यू 3465, एचआई 1633, एचआई 1634, पूसा वकुला, पूसा अनमोल, पूर्णा, पूसा प्रभात, पूसा तेजस, पूसा ओजस्वी।
सरसों की किस्में
गिरिराज, आरएच 761, आरएच 769, कृषि विज्ञान केंद्र, बीज फार्म या राष्ट्रीय बीज निगम, निवाड़ी से संपर्क कर अच्छे बीज को प्राप्त कर लें।
रबी फसलों की बुवाई के लिए अक्टूबर के तीसरे सप्ताह से नवंबर के दूसरे सप्ताह में बुवाई करना ज्यादा लाभकारी होगा। गेंहूँ की अगेती किस्मों की बुवाई अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में कर देना चाहिए और गेंहूँ के बुवाई के समय का तापमान 25-30 डिग्री सेल्सियस एवं रात्रि का तापमान 20-25 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। यदि तापमान अधिक रहा तो सरसों, चना, मटर एवं गेंहूँ के अंकुरण प्रभावित होता है। जिसमें मटर एवं चना की बुवाई के समय तापमान 20 से 25 डिग्री से कम होना चाहिए। किसान भाई एक देशी नुक्सा के रूप में कहे कि जब नारियल का तेल जमना शुरू हो जाए तो समझना चाहिए कि रबी फसलों की बुवाई का समय ठीक है और बुवाई शुरू कर देना चाहिए।