खरीफ की पड़त भूमि पर मटर की खेती कर अधिक लाभ कमाएं

खरीफ की पड़त भूमि पर मटर की खेती कर अधिक लाभ कमाएं

neeraj jain

टीकमगढ़। कृषि विज्ञान केंद्र टीकमगढ़ के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. बी.एस. किरार, डॉ. यू.एस. धाकड़, डॉ. एस.के. सिंह, डॉ. आर.के. प्रजापति, डॉ. एस.के. जाटव एवं जयपाल छिगारहा द्वारा विगत दिवस डोर, दिगोरा, कुर्राई एवं धमना गांवों में खरीफ फसलों का अवलोकन करने के बाद कृषक संगोष्ठी का आयोजन किया जिसमें किसानों को खरीफ मौसम में जो रकवा बुवाई से छूट गया था उसमें सब्जी वाली मटर लगाकर 70 - 80 दिन में अतिरिक्त लाभ कैसे कमा सकते हैं बताया।

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बलुई एवं दोमट भूमि जिसमें जल निकास की अच्छी व्यवस्था हो उन खेतों पर 15 - 25 सितंबर तक सब्जी वाली मटर की बुवाई करने की सलाह दी गयी। मटर की किस्म अर्केल, काशी नंदनी, पी. एस. एम.-3, कशी उदय, कशी मुक्ति, आजाद पी-1 आदि सब्जी के लिए उपयुक्त हैं और ऐसी किस्में बाजार से विश्वसनीय कृषि सेवा केंद्र से अच्छी कंपनी का बीज खरीद सकते हैं । बीज खरीद कर पक्का बिल आवश्यक रूप से ले लेना चाहिये । मटर की बुवाई से पहले खेत में अच्छा सड़ा हुआ गोबर की खाद 40 - 50 कुंटल प्रति एकड़ की दर से खेत में मिला देना चाहिये । उसके बाद बीज बोने से पहले 125-150 किलोग्राम प्रति एकड़ सिंगल सुपर फास्फेट खेत की अंतिम जुताई के समय मिला देना चाहिये ।

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मटर की बुवाई सीडड्रिल से कतारों में करना चाहिए । बीज को बुवाई से पहले जैविक फफूंदनाशक ट्राइकोडर्मा 10 मि.ली. प्रति किलोग्राम बीज की दर से ततपश्चात् स्फुर घोलक जीवाणु और राइजोबियम कल्चर से 10-10 मिली प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोपचार करके छाया में सुखाने के बाद शीघ्र बोनी कर देना चाहिए । मटर की फसल में हमेशा हल्की सिंचाई स्प्रिंकलर से करना चाहिए जिससे कम पानी में ज्यादा क्षेत्रफल में खेती कर सकते हैं साथ ही दलहनी फसल की बढ़वार एवं फलन भी अच्छा होता है ।

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बुवाई के 40 दिन बाद हरी मटर की अच्छी पैदावार के लिए स्यूडोमोनास जैविक पौध वर्धक घोल का 2 लीटर प्रति एकड़ से 150 - 200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें और मटर के बाद 15 दिसंबर तक गेंहूँ एवं जौ की देर से बुवाई हेतु अनुसंशित किस्मों  की बुवाई करके खेत मे  दो फसलों को उगाकर अधिक लाभ कमाया जा सकता है ।

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