गेहूं की खेती: अच्छी उपज के लिए उन्नतशील प्रजातियों का चयन और उर्वरक का सही प्रयोग जरूरी
ग्वालियर, खरीफ फसलों की कटाई के साथ ही किसान रबी फसलों की तैयारी शुरू कर देते हैं। गेहूं की फसल रबी की प्रमुख फसलों से एक है, इसलिए किसान कुछ बातों का ध्यान रखकर अच्छा उत्पादन पा सकते हैं।
भारत ने पिछले चार दशकों में गेहूं उत्पादन में उपलब्धि हासिल की है। गेहूं का उत्पादन साल 1964-65 में जहां सिर्फ 12.26 मिलियन टन था, जो बढ़कर साल 2019-20 में 107.18 मिलियन टन के एक ऐतिहासिक उत्पादन शिखर पर पहुंच गया है। भारत की जनसंख्या को खाद्य एवं पोषण सुरक्षा प्रदान करने के लिए गेहूँ के उत्पादन व उत्पादकता में निरन्तर वृद्धि की आवश्यकता है।
उन्नतशील प्रजातियां
कृषि विज्ञान केन्द्र के ग्वालियर प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ राज सिंह कुशवाह के अनुसार गेंहू की उन्नतशील प्रजातियां:- HI -1636, GW 322, HI 1418, HI 8823, HI 1605, HI 8759, HI 1544, RVW 4106, Lok- 1, MP 4010 ,GW 173,DBW -287 एवं DBW- 303। बुवाई के पूर्व बीज को उपचारित किसी भी फफूंद नाशक से अवश्य करें। बीज प्राप्त करने के लिए राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के कृषि महाविद्यालयों एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों मे जाकर सम्पर्क करने का कष्ट करें।
आवश्यक उर्वरकों की मात्रा
अरधसिंचित :-- 60 किलो नत्रजन,40 किलो स्फुर,20 किलो पोटाश साथ ही 10 से 12 टन पकी हुई गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर देना चाहिए। सिफारिश के अनुसार तत्वों की पूर्ति हेतु उनकी मात्रा किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर :-- डी ए पी 87 किलो, यूरिया 118 किलो, पोटाश 34 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उपयोग करें। सिंचित अवस्था में::-- नत्रजन 100 किलो, स्फुर 60 किलो, पोटाश 40 किलो प्रति हेक्टेयर साथ ही 12 से 14 टन पकी हुई गोबर की खाद का अवश्य उपयोग करें । सिफारिश के अनुसार तत्वों की पूर्ति हेतु मात्रा किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर ::-- डी ए पी 130 किलो, यूरिया 166 किलो, पोटाश 67 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उपयोग करें। 1 हेक्टेयर 5 बीघा का होता है।ऊपर दी गई मात्राओं का 5 में भाग देकर एक बीघा का डोज निकाल सकते हो।